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रेमेडेसिविर की कालाबाजारी पर नोएडा पुलिस ने आरोपी पर लगाया NSA, यूपी का पहला केस

नोएडा के थाना सेक्टर-20 पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने बीते 21 अप्रैल को इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए नोएडा के सेक्टर-168 में रहने वाले रचित को गिरफ्तार किया था.  

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
तनसीम हैदर
  • नोएडा,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:19 AM IST
  • 21 अप्रैल को पुलिस ने सेक्टर-168 में रहने वाले रचित को गिरफ्तार किया था
  • धारा 275, 276, 420, पेंडेमिक एक्ट और मेडिसिन एक्ट 96 के तहत मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले आरोपी के खिलाफ नोएडा पुलिस ने रासुका (NSA) के तहत कार्रवाई की है. उत्तर प्रदेश में अपने आप में ये पहला मामला है जब किसी आरोपी के खिलाफ रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई है.  

दरअसल अभियुक्त ने जिन इंजेक्शन को जरूरतमंदों को ऊंचे दाम में बेचा था, इन इंजेक्शन में कई रेमडेसिविर के इंजेक्शन नकली भी पाए गए थे. थाना सेक्टर-20 पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने बीते 21 अप्रैल को इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए नोएडा के सेक्टर-168 में रहने वाले रचित को गिरफ्तार किया था.  

रचित की गिरफ्तारी के बाद नोएडा पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 275, 276, 420, पेंडेमिक एक्ट और मेडिसिन एक्ट 96 के तहत मुकदमा दर्ज किया था. पुलिस ने सभी बरामद इंजेक्शन को जांच के लिए लैब में भेजा था. जहां रेमेडेसिविर की 96 वायल में से 93 नकली मिलीं. इन नकली वायल की कीमत करीब 5 लाख रुपये बताई गई. 

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रचित घई पर आरोप है कि उसने जानबूझकर कोरोना की मुश्किल घड़ी में लोगों की जान को खतरे में डाला. ऐसा संभव है कि उसके द्वारा भेजे गए इंजेक्शन से किसी की मौत भी हुई हो. जिसकी फिलहाल जांच की जा रही है. यह आरोपी लगातार अदालत से जमानत की कोशिश कर रहा था. 3 जून को गौतम बुध नगर के जिलाधिकारी ने आरोपी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है. आरोपी रचित मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला है. 

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे से रचित को तीन अलग-अलग कंपनियों के रेमडेसिविर की 105 वायल के साथ गिरफ्तार किया गया था. रचित घई से बरामद रेमेडेसिविर की लैब जांच में सिर्फ बंग्लादेशी कंपनी के दो वायल सही मिले. औषधि विभाग ने 96 जांच के लिए लैब में भेजा. 96 वायल में से 93 हेट्रो कंपनी की थी. ये सभी जांच में नकली मिली हैं.

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