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कोरोना: एक रुपये में NGO दे रहा है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 62 लोगों की बचाई जान

नोएडा का 'द वॉइस ऑफ स्लम' नमक एनजीओ नोएडा में झुग्गियों में रहने वाले लोगों को वे जीवन रक्षक उपकरण प्रदान करा रहे हैं. इसके अलावा एनजीओ के लोग ऐसे परिवार जो इन महंगी मशीनों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं उनकी भी मदद कर रहे हैं.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST
  • एनजीओ द वॉइस ऑफ स्लम ने छेड़ी मुहिम
  • अबतक 62 लोगों की बचाई जान

देश भर में जहां एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को ऑक्सीजन इत्यादि की समस्या से जूझना पड़ रहा है तो वहीं कुछ लोग महामारी के समय ऑक्सीजन सिलेंडर और कंसंट्रेटर की कालाबाजारी का करने में लगे हुए हैं. हाल ही में दिल्ली में पुलिस ने ऐसे कई कालाबाजारी के गिरोह का पर्दाफाश किया था. ऐसे दौर में नोएडा में एक गैर सरकारी संगठन केवल 1 रुपये में वंचित लोगों के घर पर इस तरह के उत्पाद उपलब्ध करा रहा है.

नोएडा का 'द वॉइस ऑफ स्लम' नमक एनजीओ नोएडा में झुग्गियों में रहने वाले लोगों को वे जीवन रक्षक उपकरण प्रदान करा रहे हैं. इसके अलावा एनजीओ के लोग ऐसे परिवार जो इन महंगी मशीनों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं उनकी भी मदद कर रहे हैं. ऐसे लोगों को एनजीओ एक रुपए के किराए में मशीन उपलब्ध कराता है.

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'द वॉयस ऑफ स्लम' के सह-संस्थापक देव प्रताप सिंह ने कहा कि हम झुग्गी के बच्चों के उत्थान के लिए काम करते हैं, लेकिन महामारी के बाद से, हमने कई झुग्गियों में रहने वालों को इलाज के अभाव में मरते देखा.

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उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के पास ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और सिलेंडर की बात तो छोड़िये, खाने को भोजन और स्वच्छता जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की भी कमी. हमने ऐसे लोगों की मदद करने के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से एक अभियान चलाने का फैसला किया.'

जानकारी के मुताबिक यह एनजीओ, उपकरणों को प्राप्त करने के लिए डोनेटकार्ट और अन्य जैसे क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों के माध्यम से लोगों से मदद मांगता है. जिसके बाद वे फिर अन्य एनजीओ के माध्यम से एसओएस कॉल का जवाब देते हैं और लीड को वैरिफाई करते हैं.

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एक बार यह वैरिफाई कर लेने के बाद कि जरूरतमंद व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर है और कोविड के इलाज के लिए इतने महंगे उपकरणों का खर्च नहीं उठा सकते, वे रिकवरी के समय तक जरूरतमंदों को 1 लाख रुपये से अधिक के उपकरण 1 रुपए में किराए पर देते हैं. अब तक, उन्होंने स्लम क्षेत्रों में लगभग 62 लोगों की जान बचाई है.

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