
जब भी किसी गांव या मोहल्ले में बाढ़ आती है तो आमतौर पर लोग ऐसी स्थिति से दूर ही रहने की दुआ करते हैं. लेकिन लेकिन प्रयागराज का एक ऐसा मंदिर है, जहां पर लोग बाढ़ आने का इंतज़ार करते हैं. इतना ही नहीं, प्रयागराज के इस मंदिर में बाढ़ का पानी घुसने पर शंखनाद और घड़ियाल बजाकर पानी का स्वागत किया जाता है. जिसे देखने के लिए प्रयागराज के शहर के लोग एकत्र होकर मंदिर के पुजारियों के साथ बकायदा ताली बजाते हैं और मां गंगा का जयकारा लगाकर स्वागत करते हैं. प्रयागराज का अनोखा मंदिर को संगम के लेटे हुए हनुमान जी के नाम से जाना जाता है.
दरअसल, प्रयागराज के संगम क्षेत्र में माघ मेला तकरीबन 10 किलोमीटर के दायरे में लगता है. वहीं कुंभ मेला और महाकुंभ 20 किलोमीटर की रेंज में लगाया जाता है और जब जलस्तर तेजी से बढ़ता है तो मेला लगने वाली पूरी जगह बाढ़ के पानी में डूब जाती है. प्रयागराज के संगम से सटा हुआ बड़े हनुमान जी का ये मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है. संगम तट पर लगने वाले कुंभ-अर्धकुंभ और माघ मेले में देश और दुनिया से पहुंचने वाले श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाने के बाद इस मंदिर में दर्शन जरूर करते हैं. हर साल इस मंदिर में बाढ़ के पानी का पुजारी और प्रयागराज वासी आने का इंतजार करते हैं. मंदिर के द्वार पर गंगा का पानी पहुंचता है. उसके स्वागत के लिए मंदिर के पुजारी के साथ प्रयागराज के लोग स्वागत करने पहुंच जाते हैं.
घंटा और घड़ियाल से होता है पानी का स्वागत
मंदिर में गंगा के प्रवेश करते ही शिष्यों और पुजारियों गंगा की आरती मंत्रों के उच्चारण से मां गंगा का स्वागत के साथ घंटा और घड़ियाल बजने लगते हैं. हनुमान मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर पुष्प माला, दूध, दही, मधु, मिष्ठान चढ़ाया जाता है. इसके कुछ ही समय में गंगाजल बड़े हनुमान मंदिर के गर्भगृह में पहुंच जाता है और बजरंग बली की लेटी हुई प्रतिमा का गंगा से अभिषेक किया जाता है. पूजा पाठ के बीच देखते देखते बजरंगी बली को गंगा अपने आगोश मिला लेती है. बजरंग बली के बाढ़ में डूब जाने के बाद मंदिर में ऊंचे स्थान पर स्थापित बजरंग बली के विग्रह की विशेष पूजा आरती तब तक होगी जब तक बाढ़ का पानी उतर नही जाता .
हनुमान मंदिर के प्रमुख महंत बलबीर गिरी के मुताबिक मां गंगा खुद बड़े हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं और माना जाता है कि जिस साल गंगा बजरंगबली को स्नान कराती है, वो साल शुभ होता है. देश से तमाम तरह की विपत्तियां और महामारी दूर होती है और पूरे विश्व में शांति बनी रहती है .
ये है मान्यता
प्रयाग संगम किनारे इस लेटे हुए हनुमान मंदिर के पीछे ये मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी का शरीर जीर्ण शीर्ण हो गया था. जिसके बाद सीता जी ने उन्हें यहां विश्राम के लिये भेजा था और इसी वजह से यहां बजरंग बली शयन मुद्रा यानी लेटे हुई मुद्रा में हैं. ये कथा भी काफी काफी प्रसिद्ध और इसी के चलते बड़े हनुमान जी में भक्तों की अटूट आस्था है.