
उदयपुर मर्डर केस के बाद चर्चा में आया धार्मिक संगठन दावत-ए-इस्लामी पर यूपी में भी प्रशासन की पैनी नजर है. पीलीभीत के आस्ताने हशमतिया के सज्जादा नशीन और शहर काजी मौलाना जरताब रजा खां ने दावत-ए-इस्लामी को पाकिस्तानी तंजमी बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है.
काजी का कहना है कि पीलीभीत जिले में 1000 से ज्यादा गुल्लक दुकानों पर रखी है और चंदा इकट्ठा किया जा है. यह चंदा कहां जा रहा है, यह किसी को नहीं पता. यह चंदा हमारे देश के खिलाफ इस्तेमाल होगा. काजी के इस दावे पर सोशल मीडिया पर भी सवाल उठे और बहस छिड़ गई.
इस मामले में एसपी दिनेश पी. के निर्देश पर जांच शुरू हो गई है. एसपी की ओर से गठित टीम ने बुधवार को दावत-ए-इस्लामी द्वारा संचालित स्कूल में पहुंचकर कड़ी जांच की और कंप्यूटर को खंगाला. यह स्कूल जांच में बिना मान्यता के पाया गया है, जिसके चलते विभाग ने नोटिस भी जारी किया है. इस छापे से थोड़ी देर के लिए वहां खलबली मच गई.
दिनेश पी. ने बताया कि एलआईयू टीम इस मामले की जांच कर रही है. इसमें कई और भी इंटेलिजेंस की टीम के साथ में शामिल हैं. अभी तक कि जांच में कुछ भी सामने नहीं आया है. हम इस मामले पूरी तरह से अलर्ट हैं.
भारत में कैसे शुरू हुआ दावत-ए-इस्लामी
1989 में पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था. इसी के बाद 'दावत-ए-इस्लामी' संगठन को लेकर भारत में चर्चा शुरू हुई और इसकी शुरुआत हुई. भारत में दिल्ली और मुंबई में संगठन का हेडक्वार्टर है. सैयद आरिफ अली अत्तारी 'दावत-ए-इस्लामी' के भारत में विस्तार का काम कर रहे हैं.
दावत-ए-इस्लामी के लिए नब्बे के दशक में हाफिज अनीस अत्तारी ने अपने 17 साथियों के साथ मशविरा किया. इस दौरान तय किया गया कि जब तबलीगी जमात के लोग काफिला लेकर चल सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? बस यहीं से सिलसिला शुरू हो गया. उस समय लोगों को साथ जोड़ने के लिए 17 लोगों ने नया तरीका निकाला था. संगठन अपने संदेशों के विस्तार के लिए सालाना इज्तिमा (जलसा) भी करता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुड़ते हैं.
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