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'सपा को जी-हुजूरी करने वाले सांसद-विधायकों की जरूरत' अतीक ने साबरमती जेल से लिखा भावुक खत

अतीक अहमद ने लिखा कि मैं और मेरा भाई जेल में हैं. मेरे बेटे पर इनाम रखा गया. मुझे मजबूर में यह पत्र अपनी पत्नी से पढ़ने के लिए कहना पड़ा. मेरे वालिद जिंदा होते तो शायद इसकी इजाजत नहीं देते.

अतीक अहमद (फाइल फोटो) अतीक अहमद (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • प्रयागराज,
  • 25 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST
  • अतीक का पत्र पढ़ते-पढ़ते भावुक हुईं शाइस्ता परवीन
  • मुलायम सिंह यादव का हमेशा किया समर्थन- अतीक

गुजरात की साबरमती जेल में बंद प्रयागराज के फूलपुर सीट से सांसद रहे अतीक अहमद पिछले दिनों असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल हो गए थे. असदुद्दीन ओवैसी की मौजूदगी में अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. अब अतीक ने साबरमती जेल से भावुक पत्र लिखकर समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला बोला है.

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अतीक अहमद का लिखा पत्र शनिवार को उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने मंच से पढ़ा. अपने पत्र में अतीक अहमद ने लिखा कि मैं और मेरा भाई जेल में हैं. मेरे बेटे पर इनाम रखा गया. मुझे मजबूर में यह पत्र अपनी पत्नी से पढ़ने के लिए कहना पड़ा. मेरे वालिद जिंदा होते तो शायद इसकी इजाजत नहीं देते. पति का खत पढ़ते-पढ़ते शाइस्ता भावुक हो उठीं और मंच पर ही फफक पड़ीं.

अतीक ने अपने पत्र में आगे सपा पर हमला बोलते हुए लिखा कि पार्टी से कुछ टिकट मुसलमानों को दे दिया जाता है. इनको (सपा को) ऐसा मुसलमान सांसद और विधायक चाहिए जो इनके सामने हाथ जोड़कर जी-हुजूरी करे. उन्होंने आगे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी हमला बोलते हुए कहा कि मुझे अखिलेश यादव ने सिर्फ जेल ही नहीं भेजा बल्कि उनकी सरकार ने मेरी जमानत का भी विरोध किया.

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अतीक अहमद ने आगे लिखा कि सपा को इलाहाबाद और कौशांबी में कितने लोग जानते थे. मुझे आप लोग विधायक मानते थे. मैंने मुलायम सिंह यादव का समर्थन किया. जब भी मुलायम सिंह यादव ने रैली की, मैंने उनका समर्थन किया. उन्होंने आगे कहा कि मुझे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की बी टीम कहते हैं. अपने भाई को भाई कहने में अखिलेश यादव और सपा को शर्म आती है. अपने भाई का झंडा उठाने में इन्हें शर्म आती है.

पूर्व सांसद अतीक अहमद ने कहा कि हमारे बाप-दादा चाहते तो पाकिस्तान जा सकते थे लेकिन हम यहीं रहे. हम अपने मुल्क के लिए जान दे भी सकते हैं और जान ले भी सकते हैं. जब भी मुल्क पर सवाल आया तो मुसलमान सबसे आगे लड़ेगा. उन्होंने कहा कि अब लड़ाई विधायक या सांसद बनने की नहीं है, अब लड़ाई अपना हक लेने की है. अतीक ने साथ ही अपने पत्र में भी यह भी कहा कि अब हम टिकट मांगने वाले नहीं, टिकट देने वाले बनेंगे.

अतीक अहमद ने कहा कि अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में 10 हजार वोट भी मुसलमानों के हों तो सिर्फ एआईएमआईएम को ही पड़े और दूसरी पार्टियों को हरवा दो. अगर जिंदा हो तो जिंदा होने का एहसास भी होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरी दिली ख्वाहिश थी कि ओवैसी साहब से मिलूं. जब मिला तो सुकून मिला और यूपी की सियासत को लेकर बात भी होती लेकिन गुजरात सरकार और प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी.

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