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मुजफ्फरनगर दंगों के दोषी बीजेपी के निवर्तमान विधायक विक्रम सैनी को बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने दी जमानत 

बीजेपी के निवर्तमान सांसद विक्रम सैनी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. मुजफ्फरनगर दंगे के दोषी विक्रम सैनी को निचली अदालत ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद कर दी गई थी. इस सजा पर रोक के खिलाफ दायर की गई विक्रम सैनी की अपील पर हाईकोर्ट 21 नवंबर को सुनवाई करेगा.  

विक्रम सैन की विधानसभा सदस्यता रद होने के बाद खतौली सीट पर उपचुनाव की घोषणा की गई थी. विक्रम सैन की विधानसभा सदस्यता रद होने के बाद खतौली सीट पर उपचुनाव की घोषणा की गई थी.
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज ,
  • 18 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:43 PM IST

बीजेपी के निवर्तमान सांसद विक्रम सैनी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. मुजफ्फरनगर दंगे के दोषी विक्रम सैनी को निचली अदालत ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी. अब इस सजा पर रोक के खिलाफ दायर की गई विक्रम सैनी की अपील पर हाईकोर्ट 21 नवंबर को सुनवाई करेगा. 

सजा सुनाए जाने के बाद अदालत ने हाई कोर्ट में अपील लंबित रहते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है. जस्टिस अमित गोपाल की सिंगल बेंच के आदेश पर विशेष अदालत ने विक्रम सैनी को दो साल की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

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खतौली में टल सकता है उप-चुनाव  

यदि हाई कोर्ट सजा पर रोक लगाता है, तो विक्रम सिंह सैनी खतौली में उपचुनाव पर रोक लगाने की मांग को लेकर नई याचिका दाखिल करेंगे. इसके बाद खतौली में उपचुनाव टल सकता है. 

दरअसल, विक्रम सैनी मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. 11 अक्टूबर 2022 को मुजफ्फरनगर की विशेष अदालत ने विक्रम सैनी को दंगों का दोषी पाया और उन्हें 2 साल कैद की सजा सुनाई थी.

इस सजा की वजह से चार नवंबर को उनकी विधान सभा की सदस्यता रद कर दी गई थी. इसके बाद खतौली सीट पर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा की गई थी. 

2013 में हुए दंगे के दौरान ग्राम प्रधान थे सैनी 

बताते चलें कि मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को दंगा हुआ था. दंगे के समय विक्रम सैनी ग्राम प्रधान थे. इस मामले में विक्रम सैनी समेत 28 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था. 

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मुजफ्फरनगर की विशेष अदालत ने इन 28 में से 12 लोगों को दो साल कैद की सजा सुनाई है. वहीं, सबूतों के अभाव में 15 लोगों को बरी कर दिया गया था और इस दौरान एक आरोपी की मौत भी हो गई थी. 

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