
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से मजबूत करने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कमर कस ली है. प्रियंका ने प्रदेश की सभी जिला कमेटियों को भंग कर पार्टी के अंदरूनी हालात को दुरुस्त करने और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. सूबे में कांग्रेस संगठन पर सालों से काबिज बुजुर्ग नेताओं की जगह अब प्रियंका गांधी 50 फीसदी ऊर्जावान युवा ब्रिगेड की भागीदारी चाहती हैं.
प्रियंका गांधी ने अपने सचिवों और अन्य नेताओं से फीडबैक लेने के बाद संगठन खड़ा करने की बारीकियों पर काम करना शुरू कर दिया है. प्रियंका गांधी के निर्देश में पिछले एक महीने से चार विशेष टीमें हर जिले का दौरा कर रही हैं. इस टीम में कांग्रेस सचिव और कुछ संगठन की समझ रखने वाले पार्टी नेताओं को शामिल किया गया है.
कांग्रेस की इन टीमों ने सूबे के जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया है. हर टीम को एक जिले में कम से कम दो दिन रहकर सांगठन की समीक्षा करनी है. साथ ही साथ टीम जिले के पुराने और नए कांग्रेसियों से मुलाकात कर नए जिलाध्यक्षों की तलाश करेगी. यही नहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं की गिरफ्त में फंसी जिला कमेटियों को मुक्त कराने की बात भी कही गई है. दिलचस्प बात यह है कि प्रियंका गांधी के बाद दूसरे दलों से कांग्रेस में आए नेताओं को भी खास तवज्जो देने की बात कही गई है. इनमें उन नेताओं को ज्यादा महत्व देने की रणनीति बनाई गई है, जो मजबूत जनाधार वाले नेता माने जाते हैं.
प्रियंका गांधी चाहती हैं कि पार्टी में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी हो और दलितों व ओबीसी को भी ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जाए. इसके अलावा उन्होंने जिला संगठन में 50 फीसदी से ज्यादा 40 साल से कम उम्र के युवा नेताओं को शामिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही नए सामाजिक शक्तियों, समाज के नेताओं, किसान नेताओं, युवा आंदोलनकर्मियों को जिला संगठन के नेतृत्व से जोड़ने का भी प्लान बनाया गया है.
कांग्रेस संगठन को दोबारा से खड़ा करने के लिए प्रियंका गांधी ने चार फैसले किए हैं. इनमें पहले चरण में कांग्रेस संगठन को मजबूत करना है. इसके बाद जुलाई में प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश के हर जिले का दौरा और वहां बैठक करेंगी. यही नहीं सूबे के हर जिले में सांगठनिक समीक्षा की बैठक के बाद हर जिले में ओपन हाउस बैठक होगी. जिसमें कोई भी शामिल हो सकता है.
दरअसल लोकसभा चुनाव में हार के बाद से लगातार प्रियंका गांधी बैठकें कर रही हैं. प्रियंका गांधी ने पिछले एक महीने में करीब 960 लोगों से वन-टू वन-मुलाकात की है. इसमें नेता, कार्यकर्ता, किसान, व्यापारी, महिला, छात्र, प्रोफेसर, डॉक्टर समेत तमाम लोग शामिल थे. इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के हर एक जिला अध्यक्ष, हर शहर अध्यक्ष, एक एक प्रत्याशी, एक एक प्रभारी से मिलीं और उनकी बातों को ध्यान से सुना. साप्ताहिक बैठकों में पूर्वी उत्तर प्रदेश की आम जनता के साथ भी बातचीत की.
बताया जा रहा है कि इन बैठकों के बाद प्रियंका गांधी इस बात पर नाराज दिखीं कि कार्यकर्ता वरिष्ठ नेताओं के प्रतिनिधि के तौर पर काम करते हैं. कांग्रेस की विचारधारा से उनका कोई लेना-देना नहीं है. इसी के बाद प्रियंका गांधी ने कांग्रेस संगठन को पूरी तरह से बदलने का फैसला किया. उनकी मंशा है कि ऐसे युवाओं को ढूंढ कर संगठन में आगे बढ़ाया जाए और ऐसे लोगों की पहचान की जाए जो कांग्रेस की विचारधारा में यकीन रखते हों.
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