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UP के बाकी एक्सप्रेस-वे से कितना अलग है पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे? 10 points में समझें अंतर

Purvanchal expressway: यूपी में एक्सप्रेस-वे के इतिहास को खंगालेंगे तो मायावती से लेकर अखिलेश यादव तक का नाम सामने आएगा. पहले जो एक्सप्रेस-वे बने, उनमें और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में क्या अंतर है, समझें.

purvanchal expressway purvanchal expressway
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 16 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2007 में शुरू हुआ था
  • निर्माण कार्य में 5 वर्ष से ज्यादा का समय लगा था
  • पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 36 महीने में बनकर तैयार हुआ

उत्तर प्रदेश की एक्सप्रेस-वे पटकथा में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात दे रहे हैं. बीते 2 दशक में एक्सप्रेस-वे की जो सियासी इबारत लिखी गई है, उसमें पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे कितना अलग है, आइए वो समझते हैं. 

यूपी के एक्सप्रेस-वे के इतिहास को खंगालेंगे तो सबसे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की जनता के लिए अपने कार्यकाल में यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2007 में शुरू कराया था, लेकिन मायावती ये एक्सप्रेस-वे सरकार में रहते हुए जनता को नहीं दे पाईं.

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मायावती की कुर्सी खिसकने के बाद सपा सत्ता पर काबिज हुई और तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने 9 अगस्त 2012 को यमुना एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित किया. 165 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में पांच वर्ष से ज्यादा का समय लगा था. एक्सप्रेस-वे के निर्माण के वक्त टप्पल और भट्‌टा परसौल में बवाल भी हुआ था.

वहीं, अपने कार्यकाल में अखिलेश यादव ने नवंबर 2014 में आगरा एक्सप्रेस-वे की नींव रखी थी. 302 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे को सपा सरकार ने बहुत तेजी से काम कराकर पूरा कराया था. करीब 23 महीने बाद ये एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित किया गया था. उस वक्त मिराज 2000 व सुखोई विमानों ने टच एंड गो किया था. हालांंकि, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे दोनों ही एक्सप्रेस-वे से कई मायने में अलग है. बात चाहे लंबाई की हो या वक्त की. 

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10 points में समझें अंतर

1- नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से बड़ा है पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे. नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे की लंबाई 185 किमी, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे की लंबाई 302 किमी और लखनऊ-गाजीपुर एक्सप्रेस-वे की लंबाई 341 किमी है.
2- नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के वक्त टप्पल और भट्‌टा परसौल में बवाल भी हुआ था, जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कोरोना रोड़ा बना. 
3- नोएडा-आगरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में 5 वर्ष से ज्यादा का समय लगा था, जबकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 36 महीने में बनकर तैयार हुआ है. हालांकि आगरा एक्सप्रेस-वे 23 महीने में जनता को समर्पित कर दिया गया था.
4- पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर गाजीपुर से दिल्ली पहुंचने में महज 10 घंटे लगेंगे. जबकि पहले लखनऊ से गाजीपुर तक पहुंचने में ही 8 घंटे लग जाते थे.
5- राजधानी दिल्ली से पूर्वांचल के आखिरी छोर तक सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी. इसके अलावा यूपी के साथ बिहार का भी रास्ता आसान होगा. 
6- सुखोई 30, जगुआर, मिराज 2000 और एएन 32 लडाकू विमान उतरेंगे. खुद प्रधानमंत्री एयरफोर्स के एक और ताकतवर लडाकू विमान सुपर हरक्यूलिस से एक्सप्रेस-वे पर पहुंचे. वहीं, आगरा एक्सप्रेस-वे पर मिराज 2000 व सुखोई विमानों ने टच एंड गो किया था.
7-  पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे  लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ तथा गाजीपुर से होकर निकलेगा. कुल 9 जिलों से गुजरने वाला ये प्रदेश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे है.
8- सरकार का दावा है कि यह एक्सप्रेस-वे न सिर्फ उद्योग धंधों का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि क्षेत्रीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध कराएगा. 
9-  पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को गाजीपुर से बिहार को जोड़ने के प्रस्ताव पर भी काम चल रहा है.  
10-  340 किलोमीटर का पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का सफर तय करने में करीब 4 घंटे का वक्त लगेगा और इस एक्सप्रेस-वे के जरिए सरकार को टोल से 202 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा. फिलहाल लोगों को टोल टैक्स नहीं देना पड़ेगा. बाकी दोनों एक्सप्रेस-वे टोल भरना पड़ता है. 

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18 फ्लाईओवर, 7 ओवरब्रिज बनाए गए

इस एक्सप्रेस-वे पर 18 फ्लाईओवर, 7 रेलवे ओवरब्रिज, 7 दीर्घ सेतु, 104 लघु सेतु, 13 इंटरचेंज, 5 रैम्प प्लाजा, 271 अंडरपासेज और 525 पुलियों का निर्माण कराया गया है. 

सियासी गणित पर भी होगा असर 

आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम पार्टियां अपने सियासी पैंतरे से पूर्वांचल को साधने की जुगत में हैं, लेकिन पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के दांव से बीजेपी विरोधियों पर 21 पड़ सकती है. 2022 का चुनावी मुद्दा क्या होगा ये उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल ने लगभग सेट कर दिया है.

साफ है यूपी के सियासी दरबार की राह ही पूर्वांचल से होकर जाती है और उसी राह पर अब बीजेपी एक्सप्रेस-वे की रफ्तार पकड़ना चाहती है. पिछले चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल की 164 में से 115 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं समाजवादी पार्टी सिर्फ 17 सीटों पर ही सिमट गई थी. पूर्वांचल में बीएसपी को 14 और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं. ऐसे में अब बीजेपी वही प्रदर्शन दोहराना चाहती है तो समाजवादी पार्टी फिर से यहां पैर जमाना चाहती है.


 

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