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अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए क्या ये है श्रीश्री का फॉर्मूला?

आजतक के खुलासे में सामने आया है कि निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने बताया कि समझौते के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 1 करोड़ रुपए से लेकर 20 करोड़ रुपए तक दिए जा सकते हैं.

राम मंदिर पर क्या है श्रीश्री का फॉर्मूला? राम मंदिर पर क्या है श्रीश्री का फॉर्मूला?
मोहित ग्रोवर
  • अयोध्या,
  • 16 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

देश की राजनीति के केंद्र में एक बार फिर राम मंदिर मुद्दा आता हुआ दिख रहा है. आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं. वह अभी तक वह इस मुद्दे पर सीएम योगी आदित्यनाथ, कई पक्षकारों से मुलाकात कर चुके हैं. लेकिन इसी बीच आजतक ने एक बड़ा खुलासा किया है.

आजतक के खुलासे में सामने आया है कि निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने बताया कि समझौते के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 1 करोड़ रुपए से लेकर 20 करोड़ रुपए तक दिए जा सकते हैं. आजतक के खुलासे में उन्होंने कहा कि जैसे समझौते का मामला है तो सबको संतुष्ट बनाए रखना जरूरी है, उनके पास भी जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हमारी पंचो से बात हुई है, आज शाम तक क्या होता है ये अभी देखना होगा.

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निर्मोही अखाड़े की ओर से कहा जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन से अपना दावा छोड़ दे. गौरतलब है कि कुल विवादित जमीन 2.77 एकड़ है, जिसमें से एक तिहाई हिस्सा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था. निर्मोही अखाड़े की ओर से सुन्नी वक्फ बोर्ड को इसी जमीन को छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है.

अब सवाल उठता है कि जिस तरह से खुलासे में कहा गया है कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को 20 करोड़ तक का ऑफर दे सकते हैं. तो क्या श्री श्री रविशंकर का इस मुद्दे को सुलझाने का यही फॉर्मूला है. क्या मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत की जगह पैसों का सहारा लिया जा रहा है.

खुलासे से उठे सवाल

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने टिप्पणी करते हुए कहा-श्री श्री रविशंकर बड़े मजहबी रहनूमा हैं. हम उनका सम्मान करते हैं. हम कह रहे हैं कि अगर उनके पास कोई फॉर्मूला है तो उन्हें बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सामने रखना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पैसे के ऑफर पर कुछ नहीं कहूंगा. जब भी दोनों पक्ष कोर्ट में पक्षकार बैठे हैं तब कुछ लोग इस तरह की बेहूदा बाते करते हैं. वो लोग नहीं चाहते हैं कि विवाद का हल निकले.  

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