Advertisement

राम मंदिर पर टूट रहा साधु-संतों का धैर्य: मंच से ही योगी को सुनाई खरी-खरी

संतों के टूटते धैर्य की एक झलक अयोध्या में सोमवार दोपहर दिख गई जब नृत्य गोपाल दास के जन्मदिन पर हुए संत समागम में संतों ने योगी आदित्यनाथ को मंदिर निर्माण में देरी के लिए न सिर्फ खरी-खरी सुना डाला, बल्कि चेतावनी भी दे डाली.

अयोध्या में संतों को समझाते योगी आदित्यनाथ अयोध्या में संतों को समझाते योगी आदित्यनाथ
कुमार अभिषेक/राहुल विश्वकर्मा
  • लखनऊ,
  • 25 जून 2018,
  • अपडेटेड 11:47 PM IST

योगी आदित्यनाथ आज अपनों के बीच थे, उन अपनों के बीच यानि उन साधु-संतों के बीच जिनसे निकलकर आज वह सियासत के केंद्र में हैं और यूपी के मुख्यमंत्री हैं लेकिन उन्हीं अपनों का अब राममंदिर के सवाल पर धैर्य टूटता जा रहा है.

टूटते धैर्य की एक झलक अयोध्या में सोमवार दोपहर दिख गई जब नृत्य गोपाल दास के जन्मदिन पर हुए संत समागम में संतों ने योगी आदित्यनाथ को मंदिर निर्माण में देरी के लिए न सिर्फ खरी-खरी सुना डाला, बल्कि चेतावनी भी दे डाली.

Advertisement

सबसे पहले रामजन्म भूमि न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने उन्हें अयोध्या में दिया उनका एक पुराना बयान याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वह कभी मुख्यमंत्री बने तो राम मंदिर बनाकर दम लेंगे. राम विलास वेदांती ने कहा कि अब मीडिया उनसे सवाल करने लगा है. लोग उनसे मंदिर की तारीख पूछने लगे हैं. ऐसे में अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाती तो संत समाज खुद ही मंदिर बनाने का निर्णय ले लेगा और वह भी 2019 के पहले.

दूसरे नंबर पर जब कन्हैया दास की बारी आई तो उन्होंने योगी के सामने चेतावनी वाले लहजे का इस्तेमाल किया और कह डाला कि अब संतों का मुंह बिल्ली के जैसा होता जा रहा है जो अपने मुंह से अपने बच्चों को दबाकर बचाकर भी ले जाती है और उसी मुंह से शिकार भी कर लेती है. कन्हैया दास के इन शब्दों में साधु-संतों की चेतावनी साफ दिखाई दे रही थी.

Advertisement

कन्हैया दास यहीं नहीं रुके और बोल पड़े कि भले ही योगी जी और मोदी जी की अंतरात्मा न जग रही हो लेकिन करोड़ों हिंदुओं की अंतरात्मा जाग चुकी है. अब लगता है मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी साधु-संतों को ही उठानी पड़ेगी.

इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने डैमेज कंट्रोल करने की कमान खुद संभाली और मंच पर आते ही योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी भावना संतों की भावना से कभी अलग नहीं हो सकती.

योगी ने कहा कि वह उस परंपरा से निकल कर आए हैं, जिसकी तीन पीढ़ी मंदिर निर्माण के आंदोलन में खप चुकी है. ऐसे में उनके ऊपर शक करने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए लेकिन संतों को थोड़ा धैर्य रखना होगा क्योंकि समाधान न्यायपालिका कार्यपालिका और व्यवस्थापिका जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं के बगैर नहीं निकल सकता.

साधुओं के गुस्से को देखते हुए योगी आदित्यनाथ ने उनसे धैर्य रखने की अपील कई बार की और जल्द ही नतीजे का भरोसा दिया. योगी ने एक दबी सलाह भी दे डाली कि साधु संत धैर्य के साथ-साथ शब्दों की मर्यादा का भी ख्याल रखें.

बहरहाल 2019 के चुनाव नजदीक हैं और साधु संतों को भी लगने लगा है कि अगर इस बार चुके तो मंदिर की राह बहुत मुश्किल हो जाएगी. ऐसे मे इनका दबाव अब बीजेपी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है क्योंकि संतों की इसी भावनाओं को हवा देने मंगलवार को तोगड़िया पंहुच रहे हैं.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement