
जब एक ही पार्टी के दो नेता एक सवाल के अलग-अलग जवाब दें, तो कैसी स्थिति बनेगी? दोनों एक-दूसरे को देखने लगेंगे और फिर बात संभालने की कोशिश करेंगे. ऐसी ही कुछ स्थिति आज समाजवादी पार्टी यानी सपा के नेताओं के साथ बन गई. हुआ ये कि सपा के दो वरिष्ठ नेता हैं. एक है अहमद हसन और एक हैं नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी. ये दोनों नेता पार्टी के बाकी नेताओं के साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने पहुंचे.
उन्होंने आजम खान के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को लेकर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन सौंपने के बाद जब नेता बाहर आए, तो उनसे पूछा गया कि क्या पत्रकारों से मारपीट के मामले में अखिलेश पर दर्ज हुई एफआईआर को लेकर भी राज्यपाल से बात हुई? तो अहमद हसन ने 'हां' में जवाब दिया और रामगोविंद चौधरी ने अहमद हसन को देखते हुए जोर से कहा कि 'कोई बात नहीं हुई.'
फिर ऐसे संभाली स्थिति
जब एक ही सवाल पर दोनों नेताओं के अलग-अलग जवाब आए, तो नेता भी असहज हो गए और एक-दूसरे को देखने लगे. इसके बाद रामगोविंद चौधरी ने स्थिति संभाली. उन्होंने कहा कि इन सब बातों पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भाजपा की सरकार जाने वाली है. अब चाहे कोई लाठी खाए या गोली खाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
पत्रकारों से मारपीट का क्या है मामला?
दरअसल, 11 मार्च को मुरादाबाद के एक होटल में सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. यहां कुछ पत्रकारों ने अखिलेश से कुछ व्यक्तिगत सवाल पूछ लिए. इससे अखिलेश नाराज हो गए और उन्होंने अपने गार्ड और साथियों को पत्रकारों पर हमला करने के लिए उकसा दिया. इस घटना के बाद अखिलेश यादव समेत सपा के 20 कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई. अखिलेश यादव के खिलाफ धारा 147 (दंगा), 342 (गलत तरीके से रोकना) और 323 (चोट पहुंचाना) के तहत FIR दर्ज हुई है.