
नवरात्रि चल रही है और इस दौरान रामलीला की धूम रहती है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी कई जगह रामलीला का आयोजन चल रहा है. लखनऊ की सबसे पुरानी ऐशबाग की रामलीला में इस बार एक परंपरा बदल जाएगी. ऐशबाग की रामलीला में इस बार विजया दशमी यानी दशहरा के दिन केवल रावण का पुतला दहन किया जाएगा, कुंभकरण और मेघनाद का नहीं.
ऐशबाग की रामलीला में ऐसा पहली बार होगा जब कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का दहन नहीं किया जाएगा. रामलीला कमेटी के मुताबिक गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस और महर्षि वाल्मीकि के रामायण में वर्णित प्रसंगों के आधार पर ये फैसला लिया गया है. रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद के पुतला दहन की परंपरा रही है जो इस साल टूट जाएगी.
ऐशबाग की रामलीला समिति के सचिव और संयोजक आदित्य द्विवेदी ने इस संबंध में बताया कि रामचरित मानस और रामायण में ये वर्णन मिलता है कि जब कुंभकरण को जगाया गया, उसने रावण को चेतावनी दी थी. कुंभकरण ने रावण से कहा था कि तुम साक्षात जगदंबा को उठा लाए हो और जिनके खिलाफ युद्ध कर रहे हो वे स्वयं नारायण हैं.
उन्होंने बताया कि ऐसा ही कुछ मेघनाद के बारे में भी मिलता है. मेघनाद ने रावण के पास आकर राम के नारायण होने और युद्ध नहीं करने की बात कही थी. आदित्य द्विवेदी ने कहा कि राम के स्वरूप को पहचानना ही पाप की सजा को कम कर देता है. ऐसे में अब उनका दहन बंद कर देना चाहिए जिससे उन्हें मुक्ति मिले.
रामलीला समिति के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल के मुताबिक साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यहां आए थे, तभी इस बदलाव का फैसला कर लिया गया था. उन्होंने कहा कि तब ऐसा नहीं किया जा सका था लेकिन इस बार फैसले पर रामलीला कमेटी के सदस्यों में आम सहमति बन गई है और इस बदलाव के लिए सभी सहमत हैं.