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रामपुर में मुस्लिम नेता और आजम के करीबी क्यों थाम रहे BJP का दामन? मुश्किल में सपा 

रामपुर विधानसभा के उप-चुनाव में पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. आजम खान को सजा होने के चलते रिक्त हुई रामपुर सीट पर बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला है. आजम खान के विरोधी ही नहीं बल्कि उनके करीबी नेता भी बीजेपी के समर्थन में खुलकर खड़े हैं. ऐसे में सपा के लिए रामपुर सीट को बचाए रखना चुनौती बन गया है.

साढ़े चार दशक में पहली बार आजम खान चुनावी रण से बाहर हैं. साढ़े चार दशक में पहली बार आजम खान चुनावी रण से बाहर हैं.
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 22 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

सपा के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा आजम खान को हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा होने के चलते रामपुर सीट पर उपचुनाव हो रहा है. साढ़े चार दशक में पहली बार आजम खान चुनावी रण से बाहर हैं. सपा से आसिम रजा और बीजेपी से आकाश सक्सेना के बीच सीधा मुकाबला है. ऐसे में रामपुर के सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. आजम के विरोधी ही नहीं बल्कि उनके करीबी नेता भी खुलकर बीजेपी के साथ खड़े दिखाए दे रहे हैं, जिससे रामपुर उपचुनाव में सपा के लिए चुनौती बढ़ गई है.  

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आजम विरोधी बीजेपी के साथ 

रामपुर की सियासत में नवाब परिवार और आजम खान के रिश्ते जगजाहिर है. रामपुर में नवाब खानदान की सियासत के लिए कभी आजम खान ग्रहण बने थे तो आज नवाब परिवार उनके लिए संकट खड़ा कर रहा. पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां और गन्ना विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष बाबर अली खान ने रामपुर उपचुनाव में बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान किया है. 

नवाब काजिम अली और बाबर अली खान कांग्रेस पार्टी में है, लेकिन आजम खान से राजनीतिक अदावत के चलते रामपुर सीट पर बीजेपी के साथ खड़े हैं. यह दोनों ही नेता हाल ही में हुए लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी बीजेपी को समर्थन किया था. रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. अब फिर से दोनों ही नेताओं ने बीजेपी को समर्थन देकर सपा में खलबली में मच गई है. सपा के रामपुर जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को इस संबंध में पत्र लिखा है. 

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बीजेपी को आजम के करीबी का समर्थन 

आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान उर्फ शानू ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने रामपुर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी आकाश सक्सेना के कार्यालय पर फसाहत अली खान शानू को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इसके अलावा आजम के करीबी इरशाद महमूद और नवीन शर्मा भी बीजेपी में शामिल हो गए. नवीन शर्मा लोहिया वाहिनी के रामपुर नगर अध्यक्ष रहे हैं. वहीं, सपा के कई नेताओं सार्वजनिक रूप से बगावत का झंडा उठा रखा है. 

वहीं, सपा की सहयोगी रालोद नेता भी बागी हो गए हैं. आरएलडी के पूर्व जिलाध्यक्ष उस्मान बबलू ने ने सपा को झटका देते ही बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना के साथ खड़े हैं. रामपुर में बीजेपी प्रत्याशी को जिताने के लिए कड़ी मशक्कत भी कर रहे हैं. उस्मान ने कहा है कि आजम खान ने रामपुर की जनता पर जुल्म किए हैं, इसकी कारण हम उनका विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोकदल नेतृत्व चाहे तो उन्हें पार्टी में रखें और चाहे तो निकाल दें. 

आजम के करीबी रहे फसाहत 

फसाहत शानू की गिनती आजम खान के बेहद करीबी लोगों में होती रही है. आजम के साथ ही उनके खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा मुकदमे भी हैं. दो बार प्रशासन उन्हें गुंडा एक्ट लगाकर जिला बदर भी कर चुका है. आजम के जेल में रहते हुए शानू ने अखिलेश यादव के खिलाफ बयान दिया था और मुस्लिमों के कपड़े से अखिलेश को बदबू आती है. इसीलिए मुसलमानों के साथ नहीं खड़े होते. उस समय माना गया था कि यह बयान आजम खान के इशारे पर दिया गया है, लेकिन उपचुनाव में उन्होंने आजम खान का ही साथ छोड़ दिया है. 

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आजम के करीबी क्यों हो रहे दूर

रामपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के कई नेता आजम खान के सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर खुद को देखते थे. आजम खान को कोर्ट से तीन सजा हुई और रामपुर सीट खाली हुई तो सपा से टिकट के लिए कई दावेदार थे. इस कतार में फसाहत अली खान उर्फ शानू  भी थे, लेकिन आजम खान ने अपने करीबी नेता आसिम रजा पर भरोसा जताया. माना जा रहा है कि इसी के चलते आजम खान के करीबी नेताओं ने उनसे दूरी बना रहे और बीजेपी को समर्थन देकर आसिम रजा के विधानसभा पहुंचने की राह में कांटे बिछा दिए हैं. 

वहीं, आजम खान के राजनीतिक विरोधी भी सियासी मिजाज को समझते हुए रामपुर सीट पर बीजेपी के साथ खुलकर खड़े हो गए हैं. आजम खान के चुनाव लड़ते हुए उनके विरोधी तमाम कवायद करते रहे, लेकिन कभी भी सफल नहीं हो सके. ऐसे में 10 बार आजम खान रामपुर से विधायक बने, लेकिन सियासी फिजा बदल गई है. ऐसे में नावेद मियां को लगता है कि अब बीजेपी को समर्थन करके आजम खान से हिसाब किताब बराबर कर सकते हैं. इसीलिए नावेद मिया और बाबर अली खान ने बीजेपी को जिताने के जतन में लगे हैं. 

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सपा की बेचैनी रामपुर में बढ़ी

रामपुर में मुस्लिम नेताओं के बीजेपी के साथ खुलकर समर्थन करने से सपा की चिंता बढ़ गई है. सपा के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर कहा है कि रामपुर में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष एवं शहर अध्यक्ष के अलावा अन्य कांग्रेसी नेता खासकर कांग्रेस के संचालन केंद्र नूरमहल द्वारा खुलकर बीजेपी के पक्ष में है. रामपुर में कांग्रेस के वजूद को खत्म करने के लिए नवेद मियां और मुतिउर्हमान खान बबलू द्वारा षडयंत्र रचा जा रहा है. वहीं, रालोद के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलजीत सिंह बिट्टू ने कहा कि रामपुर में आरएलडी का पूरा समर्थन सपा को है.

रामपुर में सपा सीट बचा पाएगी

सपा के दिग्गज नेता आजम खान रामपुर के चुनावी रण से बाहर हैं. आजम खान पिछले 45 सालों से रामपुर विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं. 10 बार रामपुर से विधायक रहे और एक बार उनकी पत्नी उपचुनाव में जीती थी, लेकिन इस बार उपचुनाव में वह प्रत्याशी नहीं है. रामपुर सीट पर आजम खान के सियासी उत्तराधिकारी के तौर आसिम को उतारा है, जिन्हें लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी से हार मिली थी. ऐसे में आजम के सामने अपनी विधानसभा सीट को बचाए रखने की चुनौती है, क्योंकि बीजेपी पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए लड़ रही है.   

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रामपुर के सियासी समीकरण

रामुपर में 52 फीसदी मुस्लिम और 45 फीसदी हिंदू और 3 फीसदी के करीबी सिख समुदाय के लोग हैं. रामपुर में कुल मतदाता- 3,87,385 है, जिसमें करीब दो लाख मुस्लिम है तो एक लाख 65 हजार हिंदू है और 10 हजार सिख है.  हिंदू वोट में 40 हजार वैश्य, 35 हजार लोध, 20 हजार दलित, 5 हजार कायस्थ, 10 हजार यादव, 4 हजार ब्राह्मण. इसके अलावा अन्य वोट हैं. इस तरह से मुस्लिम वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है, जिसके चलते बीजेपी मुस्लिम नेताओं को साधने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. ऐसे में देखना है कि सपा यह सीट कैसे बचाए रख पाती है? 

 

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