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जानें- क्या है Lucknow और Kanpur के पुलिस कमिश्नर को हटाए जाने की Inside Story

कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा और लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को नई पोस्टिंग नहीं मिली है. दोनों ही अफसरों को वेटिंग में डाला गया है. ऐन मोहर्रम के मौके पर दोनों ही संवेदनशील जिलों में पुलिस कमिश्नर को हटाने के कड़े फैसले की क्या वजह थी?

आईपीएस डीके ठाकुर और विजय सिंह मीणा (फाइल फोटो) आईपीएस डीके ठाकुर और विजय सिंह मीणा (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 01 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

उत्तर प्रदेश पुलिस में 2 बड़े बदलाव हुए हैं. कानपुर और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर हटा दिए गए हैं. कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा और लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को नई पोस्टिंग नहीं मिली है. दोनों ही अफसरों को वेटिंग में डाला गया है. ऐन मोहर्रम के मौके पर दोनों ही संवेदनशील जिलों में पुलिस कमिश्नर को हटाने के कड़े फैसले की क्या वजह थी? आइए जानते हैं-

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सबसे पहले बात राजधानी लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर की. उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद शासन ने नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर तैनात किए. लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को बनाया गया था. नवंबर 2020 में डीके ठाकुर ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर का चार्ज लिया था.

1 साल 8 महीने डीके ठाकुर लखनऊ के पुलिस कमिश्नर रहे. उनको अचानक शासन ने हटा दिया और उनकी जगह पर 93 बैच के आईपीएस अफसर और एडीजी इंटेलीजेंस एसबी शिरोडकर को लखनऊ का नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. बताया जा रहा है कि शनिवार रात लखनऊ कानपुर हाईवे पर लंबा जाम लगा. घंटों गाड़ियां बंथरा बॉर्डर पर फंसी रही.

लोगों ने सोशल मीडिया पर जाम की शिकायत की, जिस पर डीजीपी डीएस चौहान ने नाराजगी जताई और एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार को मौके पर भेजा.  प्रशांत कुमार ने घंटों की मशक्कत के बाद ट्रैफिक डायवर्जन कर, रविवार सुबह तक ट्राफिक नॉर्मल का करवा पाए. ट्रैफिक जाम लखनऊ पुलिस कमिश्नर के हटने का तात्कालिक कारण बना.

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लेकिन डीके ठाकुर की कार्यशैली से ऊपर के अफसर लंबे समय से नाराज थे. लुलु मॉल में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन और उन पर कार्रवाई में हीला हवाली बरतने के चलते ही लुलु मॉल में विवाद कई दिनों तक चलता रहा. हालात ऐसे बिगड़े के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लुलु मॉल में सख्त कार्रवाई करने की हिदायत देनी पड़ी.

गड़बड़ी फैलाने वाले किसी भी वर्ग के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने पड़े. इसके बाद भी प्रदर्शन से कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों पर कार्यवाही नहीं की गई, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होने लगे कि अगर राजधानी लखनऊ में करोड़ों की लागत से बने लुलु मॉल के संचालन में प्रदर्शनकारी बाधा बनेंगे तो सरकार की लॉ एंड ऑर्डर वाली छवि का क्या होगा.

यही वजह थी कि इस शनिवार और सोमवार की रात कानपुर रोड पर लगे लंबे जाम के बाद लखनऊ के पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर को शासन ने हटाने का कड़ा फैसला लिया.

अब बात कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा की करें तो विजय सिंह मीणा पहले पुलिस कमिश्नर असीम अरुण के वीआरएस लेने के बाद चुनावी माहौल में भेजे गए थे. चुनाव आयोग को तीन सीनियर अफसरों की लिस्ट भेजी गई, जिसमें विजय सिंह मीणा का नाम सबसे ऊपर था और वह कानपुर के पुलिस कमिश्नर बना दिए गए.

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लेकिन विजय सिंह मीणा के कानपुर पुलिस कमिश्नर बनते ही चर्चा तेज हो गई कि वह सपा के खेमे के अफसर हैं. समाजवादी पार्टी की सरकार में उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में डीआईजी और आईजी के पद पर रहे. यह अलग बात है कि वह मौजूदा बीजेपी सरकार में भी लंबे समय तक वाराणसी रेंज के आईजी रहे.

बीते 3 जून को कानपुर में हुई हिंसा और इस हिंसा में फाइनेंसर के तौर पर हुई बिल्डरों पर कार्रवाई पर सवाल खड़े होने लगे. कानपुर के बिल्डर वसी अहमद की गिरफ्तारी में भी चर्चाओं का बाजार तेज था कि पुलिस पहले वसी अहमद को बचाने में जुटी थी लेकिन जब दबाव बढ़ा तो वसी अहमद को दोस्ती के बावजूद गिरफ्तार कर जेल भेजना पड़ा.

बीते दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस के सबसे चर्चित डिप्टी एसपी त्रिपुरारी पांडे का शंट किया जाना इसकी शुरुआत माना गया. सिपाही से सीओ तक पहुंचे त्रिपुरारी पांडे को उत्तर प्रदेश पुलिस में सबसे जुगाड़ू अधिकारी और हमेशा कमाई वाली पोस्टिंग पर रहने वाले पुलिस वाले के तौर पर जाना जाता रहा है. 

कानपुर में हुई हिंसा में जो एसआईटी गठित की गई उसमें भी त्रिपुरारी पांडे लीड रोल में था. यही वजह है कि वसी अहमद व बाबा बिरियानी के मालिकान पर कार्रवाई में सवाल उठने लगे लेकिन कानपुर पुलिस कमिश्नर के हटने का भी तत्कालिक कारण लखनऊ कानपुर रोड पर लगा ट्रैफिक जाम ही बना.

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कानपुर से आ रहे भारी वाहनों की ट्रैफिक ने लखनऊ में कई किलोमीटर तक जाम लगा दिया लोग घंटो जाम में फंसे रहे. यही वजह थी कि कानपुर और लखनऊ हाईवे पर लगे जाम को हटाने के लिए एडीजी लॉ एंड प्रशांत कुमार को जाना पड़ा जिसके बाद दोनों ही शहरों के पुलिस कमिश्नर हटाकर वेटिंग में डाल दिए गए हैं. अब शासन ने एडीजी पुलिस मुख्यालय रहे बीपी जोगदंड को कानपुर का नया पुलिस कमिश्नर बनाया है.

लखनऊ का बंथरा थाना ले गया दो पुलिस कमिश्नर की कुर्सी

उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस कमिश्नरी लागू की तो लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे बने, लेकिन सुजीत पांडे भी अचानक हटा दिए गए और उनके हटने के पीछे की वजह भी बंथरा पुलिस ही थी. बंथरा में जहरीली शराब के चलते छह लोगों की मौत हो गई जिसके बाद नाराज मुख्यमंत्री ने पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को हटाकर पीटीएस सीतापुर भेज दिया गया.

एटीएस में एडीजी रहे डीके ठाकुर को लखनऊ का नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया. अब लखनऊ के दूसरे पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर भी हटाए गए तो बंथरा पुलिस के चलते. बंथरा थाना क्षेत्र में ही लखनऊ कानपुर हाईवे पर लगा कई किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम पुलिस कमिश्नर की कुर्सी ले गया.

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