
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में बिस्तर, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के चलते हाहाकार मच गया था. सबसे ज्यादा मारामारी ऑक्सीजन को लेकर हुई थी. इस दौरान ऑक्सीजन आपूर्ति न कर पाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर सवाल भी उठे थे. इससे सबक लेते हुए कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों के तहत ऑक्सीजन प्लांट लगाने के कार्यों में तेजी आई. हमने उत्तर प्रदेश के आठ जिलों में पड़ताल की कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो क्या उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन सप्लाई करने में सक्षम होगा?
इस पड़ताल में हमने पाया कि आठ जिलों में से सिर्फ गोरखपुर ऐसा जिला है जहां पर ऑक्सीजन प्लांट की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. बाकी जिलों में कमोबेश तैयारियां आधी अधूरी हैं या प्रशासन के दावों में सच्चाई नहीं है. कोरोना की तीसरी संभावित लहर अगर सितंबर में आ गई होती तो उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले अब भी वहीं खड़े हैं जहां कुछ महीने पहले खड़े थे.
मेरठ के एक प्लांट में तैनात किया माली
यूपी के मेरठ में 13 ऑक्सीजन प्लांट प्रस्तावित थे जिसमें से 7 बनकर तैयार हैं और 3 में काम चल रहा है. जिले के सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन का कहना है कि बाकी बचे तीन प्लांट भी जल्दी ही लग जाएंगे. ज्यादातर काम कंप्लीट हो चुका है, सिर्फ मशीनें लाकर लगाना बाकी है. उनका कहना है कि सभी जगह पर पाइप लाइन से ऑक्सीजन सप्लाई की जाएगी. पाइप लाइन का काम भी पूरा हो चुका है. अलग से स्टाफ कोई नहीं रखा गया है. दो टेक्निकल लोगों को अप्वॉइंट किया गया है. ऑक्सीजन को लेकर कोई कमी नहीं होने दी जाएगी. उनका ये भी कहना है कि अब तक सभी प्लांट लग जाने चाहिए थे लेकिन थोड़ी देर हो गई है.
हम मेरठ के प्यारे लाल महिला जिला अस्पताल पहुंचे जहां एक ऑक्सीजन प्लांट लगना है. यहां प्लांट तो लग गया है लेकिन गेट पर ताला लगा था. पूछने पर पता चला कि प्लांट तैयार है लेकिन तकनीकी खामियों के चलते चालू नहीं हुआ है. इस प्लांट की देखरेख का जिम्मा सुशील नाम का शख्स कर रहा है जो कि जिला अस्पताल में माली पद पर तैनात है. अभी तक इस प्लांट के लिए ना कोई ऑपरेटर नियुक्त किया गया, ना ही अलग से कोई स्टाफ तैनात किया गया. अस्पताल की सुपरिटेंडेंट इन चीफ डॉक्टर मनीषा ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट अभी चालू नहीं हुआ है. सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस बात का उनके पास कोई जवाब नहीं था कि बिना स्टाफ और बिना ऑपरेटर के ये ऑक्सीजन प्लांट चलेगा कैसे?
मेरठ के प्यारेलाल शर्मा जिला चिकित्सालय में भी प्लांट के लिए हॉल तैयार है, चहारदीवारी बन चुकी है, चबूतरे भी बन चुके हैं लेकिन प्लांट अभी नहीं लग पाया है. अस्पताल सुपरिटेंडेंट का कहना है कि जल्द ही ऑक्सीजन प्लांट लग जाएगा. सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और प्लांट भी आ चुका है. जिलाधिकारी के बालाजी का कहना है कि मेरठ में तीन ऑक्सीजन प्लांट का काम चल रहा है. इसके अलावा सारे ऑक्सीजन प्लांट चालू हैं.
वाराणसी: प्लांट लग गया लेकिन सप्लाई सिलेंडर से
वाराणसी में 22 छोड़े-बड़े शहरी और ग्रामीण अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगने हैं. दावा किया जा रहा है अब तक 22 में से 17 जगहों पर प्लांट लग चुके हैं और चालू हालत में हैं. हालांकि, जमीनी हकीकत इसके उलट है.
हमने पाया कि वाराणसी के कबीर चौरा राजकीय महिला अस्पताल में लगा ऑक्सीजन प्लांट बेजान पड़ा है. अस्पताल की सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन भी बंद है. अस्पताल में मरीजों को सिलेंडर से ऑक्सीजन दी जा रही है. नजदीक के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में दो ऑक्सीजन प्लांट चालू तो हैं लेकिन अभी तक संचालन के लिए कोई टेक्नीशियन नहीं रखा गया है. इस प्लांट की सुरक्षा भी भगवान भरोसे ही है.
वाराणसी के राजकीय महिला अस्पताल में पीएम केयर फंड से 1000 एलपीएम का आक्सीजन प्लांट पड़ा हुआ है. इसके क्रियाशील होने का दावा भी किया जा रहा है. लेकिन आजतक ने पाया कि अभी तक इसके लिए सिर्फ पाइपलाइन ही बिछी है. अस्पताल के इलेक्ट्रीशियन सोनू ने बताया कि पाइपलाइन का काम पेंडिंग है, जिसकी वजह से प्लांट शुरू नहीं हो पा रहा है. फिलहाल अस्पताल में सिलेंडर से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है.
यही नहीं, जो आक्सीजन सेंट्रल लाइन या मैनीफोल्ड पहले से ही चल रही थी, वह भी लंबे समय से बंद है. अस्पताल के स्टॉफ ने भी इसकी तस्दीक की. अस्पताल की नर्सिंग सुपरिटेंडेंट पुष्पा देवी ने बताया कि सिलेंडर से हर वार्ड्स में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है. नया प्लांट 2-3 दिनों में शुरू हो जाएगा. सेंट्रल लाइन डैमेज हो गई है. एक तीमारदार दीपक साहनी ने बताया कि तत्काल जरूरत पड़ने पर यहां ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं है.
शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल की हालत बेहतर दिखी. यहां दो ऑक्सीजन प्लांट चालू हैं. इसमें से एक प्लांट इंडियन ऑयल तो एक रिलायंस फाउंडेशन की ओर से लगाया गया है. दोनों ही प्लांट पर न तो कोई सुरक्षाकर्मी नजर आया और न ही टेक्नीशियन. लेकिन मरीजों ने बताया कि यहां आक्सीजन मिल रही है. चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रसन्न कुमार ने बताया कि दो प्लांट लगे हैं. अस्पताल के इलेक्ट्रीशियन और टेक्नीशियन को प्लांट चलाने की ट्रेनिंग दी गई है. एक टेक्निकल आपरेटर की नियुक्ति हुई है, जिसने अभी तक ज्वाइन नहीं किया है.
वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर वीबी सिंह ने बताया कि 22 आक्सीजन प्लांट लगने थे, जिनमें 17 लग चुके हैं, सप्लाई शुरू हो गई है. पांच लगने बाकी हैं. ग्रामीण इलाकों में भी प्लांट लग चुके हैं. सभी प्लांट 600 बेड को कवर कर रहे है. टेक्नीशियन के लिए ITI शिक्षित तीन लोगों को रखा गया है और अस्पताल कर्मियों को भी ट्रेनिंग दी गई है. थर्ड वेब के लिए वाराणसी में तैयारी पूरी हो चुकी है.
कानपुर में लगने हैं छह, लगे तीन प्लांट
कानपुर में तीसरी लहर से पहले नौ ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी मिली थी. इनमें से अब तक छह प्लांट लग चुके हैं और तीन की प्रक्रिया चल रही है. इन प्लांट्स को चलाने के लिए अलग से कोई स्टाफ नहीं रखा गया है, बल्कि अस्पताल के ही स्टाफ को प्लांट चलाने की ट्रेनिंग दी गई है. अब सवाल ये है कि अगर कोरोना का पीक टाइम आया तो अस्पताल कर्मचारी मरीजों का इलाज करेंगे या ऑक्सीजन प्लांट चलाएंगे? सीएमओ का कहना है कि हमने एक्स्ट्रा स्टाफ के लिए शासन को लिखा है.
उर्सला जिला हॉस्पिटल में दो ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं लेकिन हम मौके पर गए तो प्लांट में ताला लगा था. अधीक्षक अनिल निगम का कहना था कि यहां दो ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं, दोनों चालू हैं.
काशीराम हॉस्पिटल में भी प्लांट तो लगा है लेकिन चलाने वाला कोई नहीं है. इसी तरह घाटमपुर का ऑक्सीजन प्लांट भी तैयार हो रहा है. मशीनें बाहर रखी हैं. कानपुर में हैलट में दो, बिल्हौर में एक प्लांट लग चुका है जबकि न्यूरो वार्ड हैलट में अभी पाइप लाइन नहीं पड़ी है. डफरिन हॉस्पिटल में अभी प्लांट लगने की शुरुआत होनी है. इस बारे में कानपुर के सीएमओ डॉक्टर नेपाल सिंह का कहना है कि हमारे यहां नौ में से छह प्लांट लग गए हैं. 15 दिन में सब चालू हो जाएंगे. तीसरी लहर के लिए पूरी तैयारी है.
पड़ताल में सामने आया कि कानपुर के किसी भी प्लांट में अलग से ट्रेंड टेक्निकल स्टाफ नहीं रखा गया है. घाटमपुर सीएचसी में प्लांट चलाने के लिए एक फार्मेसिस्ट और नर्स को ट्रेनिंग दी गई है. उर्सला में प्लांट चलाने के लिए यहां के सिलेंडर सुपरवाइजर टुंडी को ट्रेंड किया गया है. टुंडी का कहना है कि पहले यहां इंजीनियर आना था लेकिन अभी तक कोई नहीं आया. हमें ट्रेनिंग दी गई है.
प्रयागराज में 10 में से 9 प्लांट चालू
संगम नगरी प्रयागराज के सीएमओ के मुताबिक यहां 10 जगहों पर ऑक्सीजन प्लांट लगना था. भगवतपुर में एक प्लांट अभी बन रहा है, बाकी सभी प्लांट चल रहे हैं. लेकिन तेज बहादुर सप्रू (बेली) अस्पताल की सीएमएस ने जानकारी दी कि यहां प्लांट शुरू नहीं हो पाया है. वहीं स्वरूप रानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल में ऑक्सीजन के तीन प्लांट लगाए गए हैं. इसके अलावा 500 सिलेंडर हमेशा स्टैंड बाई में रहते हैं. ऑपरेटर अजय कुमार के मुताबिक, अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई पर्याप्त है.
वहीं बेली अस्पताल की सीएमएस डॉक्टर किरण मलिक के मुताबिक कम कैपेसिटी का प्लांट लगाया गया था. जरूरत बढ़ने पर बड़ा प्लांट लगाया गया. वो शुरू नहीं हो सका है. सीएमओ नानक शरन की मानें तो शहर में 10 में से एक भगवतपुर में प्लांट अभी नहीं लग सका है. हम तीसरी लहर से निपटने को तैयार हैं.
पीलीभीत में एलान चार का, बना सिर्फ एक
पीलीभीत में ऑक्सीजन प्लांट्स का रियल्टी चेक करने पर पता चला कि चार में से एक प्लांट पूरी तरीके से तैयार है. बाकी तीन में कुछ ना कुछ काम चल रहा है. विभाग की मानें तो आने वाली 31 तारीख को जिले के चारों प्लांट तैयार हो जाएंगे लेकिन बचे हुए काम को देखते हुए लग रहा है कि तीनों प्लांट चालू होने में 10 से 15 दिन लगेंगे.
पीलीभीत के माधोटांडा में लगा प्लांट पूरी तरह तैयार है. सीएचसी और पीएचसी स्टाफ को ट्रेनिंग दी गई है जो मौके पर यहां काम करेंगे. इससे 30 बेड को सप्लाई दी जाएगी. वहीं जिला अस्पताल में 3 प्लांट और लगाए गए हैं जिनमें अभी काम चल रहा है. इन प्लांट के आसपास कीचड़ से भरा बेहद खराब रास्ता है. इन तीनों प्लांट्स को देखकर लगता है कि अभी तकरीबन 20 लगेंगे. यहां मौजूद इंजीनियर के मुताबिक, शुरू होने में अभी समय लगेगा. सीएमओ डॉ सीमा अग्रवाल की मानें तो जल्दी ही सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी. उन्होंने ये भी माना कि ट्रेनिंग में अभी कुछ कमी है.
"अनाड़ियों" के भरोसे महोबा के तीन प्लांट
महोबा जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑक्सीजन प्लांट लगाए हैं. लेकिन लापरवाही की हद ये है कि ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. ऑक्सीजन प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों ने ही इस बात को स्वीकार किया कि उनको कोई प्रशिक्षण नहीं मिला है.
हैरानी तो तब हुई जब जिले के सीएमओ मनोजकांत सिन्हा ने दावा किया कि जिले में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट्स में लगे कर्मचारी पूर्णतया प्रशिक्षित हैं. दूसरी ओर प्लांट में काम कर रहे कर्मचारी खुद बड़ी सहजता से स्वीकार कर रहे हैं कि हमें कहीं से भी ऑक्सीजन प्लांट चलाने का प्रशिक्षण नहीं मिला है. सरकार तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों के बारे में लाख दावे करे लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और अप्रशिक्षित कर्मचारी क्या कोरोना जैसी त्रासदी से निपट पाएंगे?
रायबरेली में छह में से चार प्लांट चालू नहीं हुए
राजनीतिक तौर पर रसूख रखने वाले में रायबरेली में भी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की भारी किल्लत देखी गई थी. ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों की जान भी गई थी. तीसरी लहर से पहले रायबरेली में छह नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद महीनों पहले शुरू हो गई थी लेकिन आज भी चार प्लांट ऐसे हैं जो पूरी तरह से चलने लायक नहीं हैं. यानी कि जो हालात 2 महीने पहले थे, कमोबेश वही आज भी हैं.
रेल कोच स्थित L2 हॉस्पिटल और एम्स में ऑक्सीजन प्लांट बन चुका है लेकिन अभी तक कोई कर्मचारी नियुक्त नहीं किया गया है. जिला चिकित्सालय रायबरेली सामुदायिक केंद्र रोहनिया में भी अभी तक ऑक्सीजन प्लांट का काम पूरा नहीं हो पाया है. जिलाधिकारी की हिदायत के बाद भी प्लांट में काम करने वाले लोगों की नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं. हालांकि, जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव का कहना है कि L2 हॉस्पिटल में प्लांट में पूरा स्टाफ है और प्लांट चल रहा है.
गोरखपुर सबसे अव्वल, सभी प्लांट हालात से निपटने को तैयार
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में हमने पाया कि यह जिला दूसरी लहर से सबक सीखकर तीसरी लहर का सामना करने के लिए पूरी तरह से तेयार है. जिले में काफी तादाद में ऑक्सीजन प्लांट तैयार हैं. जिला चिकित्सालय, जिला महिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज समेत कई सीएचसी, पीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है.
अपर जिला मजिस्ट्रेट राजेश सिंह ने बताया कि गोरखपुर में दूसरी लहर के दौरान हमारी कैपेसिटी एक दिन में 5000 जंबो सिलेंडर की थी. यह सभी प्राइवेट प्लांट थे. उसी दौरान मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिले में 17 प्लांट आवंटित हुए. इनमें से 11 प्लांट उसी समय ऑपरेशनल हो गए थे. अब सभी 17 प्लांट पूरे हो चुके हैं. ऑक्सीजन को लेकर हमारी तैयारी पूरी है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल गणेश कुमार ने बताया कि यहां दूसरी लहर के दौरान भी ऑक्सीजन की कमी नहीं थी. अगर तीसरी लहर आती है तो भी कोई कमी नहीं होगी.