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Russia-Ukraine War: '36 घंटे से हम बस में फंसे हुए हैं, सिर्फ बिस्किट और पानी है', यूक्रेन में फंसे छात्रों ने सुनाई आपबीती

यूक्रेन में फंसी बिश्वा कहती है कि सड़क पर कहीं-कहीं यूक्रेन आर्मी के टैंक भी दिख जाते हैं. हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से शहर के बीच आर्मी के टैंक देखने को मिलेंगे. हालांकि यूक्रेन की आर्मी या पुलिस हमे देखकर कोई रिएक्शन नहीं देती है.

यूक्रेन में फंसी नोएडा के छात्रा बिश्वा. यूक्रेन में फंसी नोएडा के छात्रा बिश्वा.
मनीष चौरसिया/अलीम सिद्दीकी
  • नोएडा/जालौन,
  • 25 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST
  • यूक्रेन में युद्ध के बीच जालौन की दो छात्राएं और एक छात्र फंसा
  • नोएडा से मेडिकल की पढ़ाई करने गई छात्रा भी फंसी

देशभर के अलग-अलग शहरों के हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं. जिसे जहां जगह मिली है, वहां छिपकर रह रहा है. इस बीच यूक्रेन में फंसी एक छात्रा ने आजतक से बातचीत में बताया कि वो और उनके भारतीय दोस्त पिछले 36 घंटे से बस में हैं. उनके पास खाने को सिर्फ बिस्किट और पानी है. उसने बताया कि कैश भी खत्म हो चुका है, एटीएम खाली हैं. रह-रह कर हो रहे धमाकों से वे दहशत में हैं. 

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यूक्रेन में फंसी नोएडा के छात्रा बिश्वा ने आजतक से बातचीत में बताया कि वह एमबीबीएस की छात्रा है. 24 फरवरी को बिश्वा की कीव एयरपोर्ट से इंडिया के लिए फ्लाइट थी. बिश्वा यूक्रेन के CHERNIVTSI से एयरपोर्ट के लिए 23 फरवरी की रात निकली, लेकिन एयरपोर्ट से महज 17 किलोमीटर पहले बिश्वा की बस को रोक ली गई. बताया गया कि रूस ने हमला कर दिया है. इसके बाद से बिश्वा और उसके साथी भारतीय स्टूडेंट बस में ही छिपे हुए हैं. बिश्वा ने बताया कि उनलोगों ने 36 घंटे से कुछ नहीं खाया है. हम सिर्फ पानी और बिस्कुट के सहारे हैं.

जिस वक्त आजतक ने बिश्वा से बात की वह बस में थी और दूसरे भारतीय स्टूडेंट्स के साथ अपनी यूनिवर्सिटी की तरफ वापस लौट रही हैं. बिश्वा बताती हैं कि सड़क पर हालात बहुत खराब हैं. यूक्रेन के लोकल लोग भी पलायन करने लगे हैं. सब डरे हुए हैं.

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बिश्वा आंखों देखा हाल बताती हैं और कहती हैं कि हमारे पास कैश खत्म हो चुका है, एटीएम में भी कैश नहीं है क्योंकि लोकल लोगों ने सारा कैश निकाल लिया है. बिश्वा बताती हैं कि हमें पता चला है कि हमारे यूनिवर्सिटी के पास भी धमाके हुए हैं. बिश्वा थोड़ी नाराजगी दिखाते हुए कहती हैं कि  इंडियन एंबेसी ने सही वक्त पर रिएक्ट नहीं किया. हमें गोलमोल जवाब मिलते रहे. अब कहा जा रहा है कि पोलैंड या रोमानिया के रास्ते हमें भेजा जाएगा.
 
बिश्वा बताती हैं कि बस में कुछ लोगों की तबीयत भी खराब हुई थी. यूक्रेन में अधिकतर छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं. बिश्वा भी एमबीबीएस लास्ट ईयर की स्टूडेंट हैं. बिश्वा कहती हैं अब सब कुछ खराब होता लग रहा है. करियर पर भी संकट दिख रहा है.

जालौन की दो छात्राएं और एक छात्र भी यूक्रेन में फंसा

रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध में कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के जालौन की दो छात्राएं और एक छात्र भी यूक्रेन में गोलीबारी के बीच फंस गए हैं. छात्रों की सलामती के लिए उनके परिजन लगातार भगवान से दुआ कर रहे हैं. साथ ही केंद्र सरकार से बच्चों की सकुशल वापसी की गुहार भी लगाई है. 

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जालौन जिले के शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की तीन बेटियां अंकुरीति, आकृति व संस्कृति हैं. शैलेंद्र ने बताया कि उन्होंने दूसरे नंबर की बेटी आकृति चित्रांश को मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन की राजधानी कीव में भेजा था. आकृति वहां के बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल कॉलेज में थर्ड ईयर की स्टूडेंट है. जब से रूस और यूक्रेन में तनातनी शुरू हुई तभी से शैलेंद्र व उनकी पत्नी पूनम श्रीवास्तव आकृति चित्रांश को लेकर परेशान है.

यूक्रेन में फंसी जालौन की दोनों छात्राएं और छात्र.

पिता शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि अगर गुरुवार सुबह यूक्रेन पर रूस हमला न करता तो उनकी बेटी आकृति भारत से भेजी गई फ्लाइट से वापस आ जाती. हमले की वजह से फ्लाइट रास्ते से ही वापस लौट आई, जिसका उन्हें बेहद ही अफसोस है. अब परिवार के लोग विदेश मंत्रालय व देश के प्रधानमंत्री से गुजारिश कर रहे हैं कि उनकी बेटी ही नहीं बल्कि बाकी बच्चों को भी वहां से सही सलामत वापस लाया जाए.

जालौन में बजाज ऑटो एजेंसी चलाने वाले राम कुमार गुप्ता के बेटे विकास गुप्ता भी यूक्रेन के नेशनल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. वे भी थर्ड ईयर के छात्र हैं. यूक्रेन में हुए हमले के बाद से उनके परिजनों का बुरा हाल है. मां मीरा गुप्ता भगवान से प्रार्थना करने में जुटी हुई है. परिजनों ने जब विकास से बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना बोला कि फिलहाल हम लोग सुरक्षित हैं, पर लगातार हो रहे धमाकों से हम लोग दहशत में हैं.

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जालौन के मोहल्ला रापटगंज निवासी राघवेंद्र सिंह यादव की बेटी छाया यादव यूक्रेन के दिन नीतियां यूनिवर्सिटी में मेडिकल की थर्ड ईयर की छात्रा है. छाया के परिजन लगातार वीडियो कॉल कर उसका हौंसला बढ़ा रहे हैं. लगातार हो रहे हमलों के बीच जब छाया से परिजनों ने बात की तो उसने सिर्फ इतना बताया कि फिलहाल वह अपने साथियों के साथ हॉस्टल के बेसमेंट में छिपी हुई है. हॉस्टल के संचालक व अन्य लोगों ने आश्वासन दिया है कि मौका मिलते ही उन लोगों को दूसरे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाएगा.

एटा के दो छात्रों ने भांप ली थी स्थिति, 22 जनवरी को ही लौट गए थे

एटा के पूर्व प्रधान मैथिलीशरण दीक्षित का परिवार यूक्रेन में हुए हमले को लेकर परेशान है. इनके दो पोते अक्षत व आर्यन 22 जनवरी को ही यूक्रेन में बिगड़ते देख वापस आ गए थे. पूर्व प्रधान मैथिलीशरण दीक्षित का पोता अक्षत व आर्यन यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, जिसमें अक्षत का पांचवा वर्ष, जबकि आर्यन का दूसरा साल है. यूक्रेन में हुए हमले को लेकर आर्यन व अक्षत वहां फंसे अपने साथियों को लेकर परेशान हैं. दोनों ने ही गुरुवार सुबह ही जानकारी लगते ही यूक्रेन में फंसे अपने दोस्तों से बातचीत की.

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अक्षत ने बताया कि वह लोग वहां के हालात को भांप गए थे और फिर उनके पेपर भी हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने यूक्रेन में रहना मुनासिब न समझा और वहां से फ्लाइट की टिकट कराकर सकुशल वापस लौट आए. अक्षत व आर्यन ने बताया कि गुरुवार सुबह यूक्रेन के खार कीव में हुए बड़े ब्लास्ट के बाद उनके वहां फंसे हुए काफी दहशत में हैं. उनकी सरकार से गुजारिश है कि उनके सभी साथियों व अन्य लोगों को सकुशल निकाल लिया जाए.

 

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