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माघ मेले में पहुंचे संतों ने धर्म संसद का किया विरोध, कहा- महात्मा गांधी पर टिप्पणी गलत

धर्म संसद में महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने इस्लामिक धर्म को लेकर अपनी खूब भड़ास निकाली और जिहादी बिल्ली बताते हुए हिंदुओं को कबूतर बता दिया. उनकी तरफ से कहा गया कि जो भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है और जो हिंदुओं का सम्मान नहीं कर सकते, उन्हें पाकिस्तान या फिर बांग्लादेश चले जाना चाहिए.

धर्म संसद में दिए गए बयानों का विरोध धर्म संसद में दिए गए बयानों का विरोध
पंकज श्रीवास्तव
  • प्रयागराज,
  • 30 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST
  • माघ मेले में आए संतों ने धर्म संसद का किया विरोध
  • संतों ने कहा, हमारा काम लोगों को जोड़ना है, तोड़ना नहीं

प्रयागराज में शनिवार को आयोजित एक धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र समेत विवादित बयानों के बाद माघ मेले में आए साधु-संतों ने इस धर्म संसद का विरोध किया है.

माघ मेले में हिस्सा लेने पहुंचे साधु संतों ने धर्म संसद का विरोध करते हुए कहा कि संत लोगों को जोड़ने का काम करते हैं ना कि तोड़ने का. इतना ही नहीं संतों ने महात्मा गांधी पर किए गए विवादित टिप्पणी को लेकर भी कहा कि यह उचित नहीं है.

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संतों ने कहा कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि किसी नेता ने नहीं, बल्कि भारत की जनता ने दिया है. उन्होंने कहा, संत-महात्मा विश्व के और सभी धर्मलाभार्थियों के कल्याण की कामना करते हैं.

माघ मेले में पहुंचे संतों ने कहा कि मुसलमानों के मन में भय पैदा नहीं करना चाहिए. संत ऐसी भाषा का प्रयोग न करें जिससे देश टूटे.

बता दें कि शनिवार को प्रयागराज में आयोजित धर्म संसद में यति नरसिंहानंद और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी की रिहाई की तो मांग की गई थी.

धर्म संसद के दौरान पहले प्रस्ताव में मौजूद संतों ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की बात कही है. दूसरे प्रस्ताव में धर्मांतरण के मामलों को पूरी तरह से रोकने के लिए कानून को और सख्त किए जाने की मांग की गई और धर्मांतरण कराने वालों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की गई.

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