
लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जिस उत्साह के साथ बुआ और भतीजे साथ आए थे, अब चुनाव में मुंह की खाने के बाद दोनों की राहें अलग होती दिख रही हैं. मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने ऐलान कर दिया कि वह आने वाले उपचुनाव में अकेले लड़ेंगी, तो वहीं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी कह दिया है कि अगर ऐसा है तो हम भी अकेले लड़ने की तैयारी करेंगे.
मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मंगलवार को अखिलेश यादव भी सामने आए. उन्होंने कहा कि गठबंधन के बारे में सोचकर विचार करेंगे, अगर रास्ते अलग हैं तो हम भी लोगों का स्वागत करेंगे. सपा प्रमुख बोले कि उपचुनाव में अगर अकेले लड़ने का फैसला हुआ है, तो फिर हम भी अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे.
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में लोकसभा चुनाव से पहले समझौता हुआ था. लेकिन समझौता होने के बाद भी नतीजे दोनों के अनुकूल नहीं आए, समाजवादी पार्टी तो पांच पर ही रुक गई तो वहीं बहुजन समाज पार्टी सिर्फ ज़ीरो से दस तक ही पहुंच पाई.
मंगलवार को जब मायावती आईं तो उन्होंने अखिलेश यादव और डिंपल यादव के साथ अपने पारिवारिक रिश्तों की दुहाई दी. लेकिन साथ ही ये भी कह दिया कि राजनीतिक रास्तों पर अभी भी विचार बाकी है. उन्होंने ऐलान कर दिया कि अखिलेश यादव ‘यादव वोटरों’ को समझा नहीं पाए, यही कारण रहा कि उनकी पत्नी और भाई खुद भी चुनाव हार गए.
इतना ही नहीं, मायावती ने तो अखिलेश यादव साफ संदेश दे दिया है कि अगर वह अपने संगठन में बदलाव लाते हैं तभी ये साथ आगे बढ़ सकता है. वरना रास्ते अलग होना तय है. अब अखिलेश के बयान से साफ हो गया है कि साइकिल और हाथी का साथ आगे बढ़ना मुश्किल होता जा रहा है.
विधानसभा उपचुनाव में ही हो गए रास्ते अलग!
बता दें कि हाल ही में कई विधायकों ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था इसके बाद राज्य में कई सीटें खाली हुई हैं. अब कुछ ही समय के बाद राज्य की कुल 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. बसपा कम ही उपचुनाव लड़ती है लेकिन इस बार उसने भी कह दिया है कि वह अकेले ही किस्मत आजमाएगी.
जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उसमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, मानिकपुर और जलालपुर जैसी सीटें शामिल हैं.