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आजम खान को 87 केस में बेल, 88वां केस बना मुसीबत, क्या है फर्जी सर्टिफिकेट का सबसे ताजा केस?

आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ साल 2019 में कई मुकदमे दर्ज हुए थे. उनके खिलाफ 87 मुकदमे विचाराधीन थे, जिनमें सिर्फ एक में जमानत होना बाकी थी. लेकिन इस 88वें केस ने उन्हें फिर से परेशानी में डाल दिया है. 

samajwadi party leader Azam Khan samajwadi party leader Azam Khan
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST
  • 88वें केस ने उन्हें फिर से परेशानी में डाल दिया है
  • इस केस में अब तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. वक्फ बोर्ड की जमीन गलत तरीके से अपने पक्ष में कराने के मामले में आजम खान को राहत मिली है, लेकिन अभी उनके जेल का सफर जारी रहेगा. 87 मामलों में जमानत पा चुके आजम खान के लिए नया 88वां केस बड़ी मुसीबत बना हुआ है. इसी केस के चलते उनकी रिहाई नहीं हो पा रही है. 

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गौरतलब है कि आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ साल 2019 में बड़े पैमाने पर मुकदमे दर्ज हुए थे. उनके खिलाफ 87 मुकदमे विचाराधीन थे, जिनमें सिर्फ एक में जमानत होना बाकी थी. लेकिन इस 88वें केस ने उन्हें फिर से परेशानी में डाल दिया है. 

क्या है 88वां केस?

आजम खान पर तीन स्कूलों की फर्जी कागजात से मान्यता लेने के मामले में हाल में ही मुकदमा दर्ज हुआ है. सीतापुर जेल में बंद आजम खान को वारंट तामील करा दिया गया है. इस मुकदमे की वजह से फिलहाल उनकी रिहाई नहीं हो सकेगी. बता दें कि इसी महीने बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप लगाया गया कि आजम खान ने रामपुर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग का सर्टिफिकेट फर्जी बनवा कर मान्यता प्राप्त की थी. अभी इस मामले में सुनवाई नहीं शुरू हुई है. 19 मई को रामपुर कोर्ट में सुनवाई होनी है. 

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हाई कोर्ट से इस मामले में मिली जमानत

आजम के खिलाफ वक्फ बोर्ड की जमीन गलत तरीके से अपने पक्ष में कराने के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था. अगस्त 2019 में लखनऊ में पत्रकार अल्लामा जमीर नकवी ने यह मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में आखिरी बार पांच मई को सुनवाई हुई थी, तब फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था. हालांकि 10 मई को इस मामले में उनको जमानत मिल गई. 

बेटे पर 43 और पत्नी पर 22 मुकदमे 

विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ 43 और पत्नी तंजीम फातिमा के खिलाफ 33 मुकदमे विचाराधीन हैं. अदालत ने तीनों को जेल भेज दिया था. अब्दुल्ला 23 माह बाद और तंजीम फातिमा 10 माह बाद जमानत पर छूट सकी थीं. 

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- दूसरा केस दर्ज होने का इत्तेफाक क्यों?

जमानत मिलने से पहले एक और केस दर्ज होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल पूछा है. सुप्रीम कोर्ट में आजम खान की जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और बोपन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही है. इस दौरान जस्टिस गवई ने पूछा कि आजम खान को जमानत मिलते ही एक और केस दर्ज होने का इत्तेफाक क्यों हो रहा है?

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फिर से हो रहा है, एक मामले में सुनवाई के बाद और भी शिकायतें दर्ज होंगी. जब भी उन्हें (आजम) किसी एक मामले में जमानत मिलती है तो दूसरा केस दर्ज होने का इत्तेफाक क्यों? इस पर स्टेट काउंसिल का कहना है कि कोई भी मामला फालतू नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.


 

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