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UP: सपा नेता आज़म खान की मुश्किलें बढ़ीं, बेटे अब्दुल्ला समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. आज़म खान समेत अन्य लोगों पर सरकारी मशीनों को गायब करने और उन्हें कटवाकर जौहर यूनिवर्सिटी में दबाने का आरोप है. नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खान और यूनिवर्सिटी के उपकुलपति सुल्तान मोहम्मद खान के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है.

आजम खान और अब्दुल्ला आजम (फाइल फोटो) आजम खान और अब्दुल्ला आजम (फाइल फोटो)
आमिर खान
  • रामपुर,
  • 20 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:24 AM IST

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दिग्गज नेता और रामपुर से विधायक आजम खान (Azam Khan) और उनके परिवार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. दरअसल आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम समेत 7 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. इस बार उनके खिलाफ सरकारी सफाई मशीनों को गायब करने और उन्हें कटवाकर जौहर यूनिवर्सिटी में दबाने का आरोप है.

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नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अजहर खान और यूनिवर्सिटी के उपकुलपति सुल्तान मोहम्मद खान के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है. बताया जा रहा है कि जौहर यूनिवर्सिटी में खुदाई में नगर पालिका की सरकारी सफाई मशीन मिली है. इसके बाद ही एफआईआर दर्ज करवाई गई है. जानकारी के मुताबिक IPC की धारा 409, 120-B और सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम धारा 2 और 3 के तहत FIR दर्ज की गई है.

आजम खान, अब्दुल्लाह आजम समेत सात लोगों के खिलाफ बाकर अली खान ने रामपुर नगर कोतवाली में FIR दर्ज करवाई है. इसमें सरकारी मशीनों को कटवाकर जौहर यूनिवर्सिटी में दबाने का आरोप लगाया गया है.

 

फर्जी  कागजात के मामले में भी हुई थी FIR


आजम खान पर तीन स्कूलों की फर्जी कागजात से मान्यता लेने के मामले में हाल में ही मुकदमा दर्ज हुआ था. सीतापुर जेल में बंद आजम खान को वारंट तामील करा दिया गया है. बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आजम खान के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप लगाया गया कि आजम खान ने रामपुर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग का सर्टिफिकेट फर्जी बनवा कर मान्यता प्राप्त की थी.

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आजम के बेटे अब्दुल्ला भी संकट में


उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में ही यूपी की पिछली विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी. हालांकि ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. दरअसल, अब्दुल्ला आजम साल 2017 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन के बाद ये मामला कोर्ट पहुंचा और याचिकाकर्ता की ओर से उनकी उम्र पर सवाल उठाए गए. याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया था कि नामांकन के समय, चुनाव के समय और चुनाव के नतीजे जिस दिन आए, अब्दुल्ला आजम की आयु 25 साल से कम थी.

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