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UP: दादा की जिद, DM का आदेश... 11 दिन बाद कब्र से निकाली गई बच्ची की लाश

उत्तर प्रदेश के संभल में नवजात बच्ची का शव कब्र से बाहर निकाला गया है. नवजात बच्ची के परिजनों ने सरकारी अस्पताल की महिला चिकित्सक और कर्मचारियों पर पैसे नहीं देने के कारण ऑक्सीजन न लगाने का आरोप लगाया था. डीएम के आदेश में बच्ची का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.

कब्र से निकाली गई बच्ची की लाश कब्र से निकाली गई बच्ची की लाश
aajtak.in
  • संभल,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

उत्तर प्रदेश के संभल में 11 दिन पहले नवजात बच्ची की मौत के मामले में डीएम के आदेश पर नवजात बच्ची का शव कब्र से बाहर निकाला गया है. नवजात बच्ची के परिजनों ने सरकारी अस्पताल की महिला चिकित्सक और कर्मचारियों पर पैसे नहीं देने के कारण ऑक्सीजन न लगाने का आरोप लगाते हुए आईजीआरएस पोर्टल और कोर्ट में शिकायत की थी.

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दरअसल, चंदौसी क्षेत्र की निवासी गायत्री को 11 दिन पहले प्रसव पीड़ा होने पर चंदौसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था. यहां महिला ने अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही नवजात बच्ची की मौत हो गई थी. इसके बाद अस्पताल के महिला चिकित्सक डॉक्टर सारिका अग्रवाल और स्टाफ नर्स पर रिश्वत के पैसे नहीं देने के कारण लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था.

लेकिन कुछ देर बाद परिजनों ने नवजात बच्ची को झील किनारे दफन करके अंतिम संस्कार कर दिया था. मृतक नवजात की मौत के बाद दादा गोकिल सिंह अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही की जिद पर अड़ गए और अस्पताल प्रशासन के द्वारा की गई लापरवाही को लेकर आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की और साथ ही कोर्ट के माध्यम से भी 156 (3) का वाद दायर किया.

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इसके बाद संभल जनपद के डीएम मनीष बंसल के आदेश पर आईजीआरएस और कोर्ट के माध्यम से की गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए नवजात बच्ची के शव को मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की मौजूदगी में 15 दिन बाद कब्र से निकाला गया है, जिसके बाद पुलिस ने नवजात बच्ची के शव को सील करके पोस्टमार्टम के लिए भेजने की कार्यवाही की है.

मृतक नवजात बच्ची के दादा गोकुल सिंह का कहना है कि 28 अक्टूबर को मैंने अपनी पुत्रवधू को डिलीवरी के लिए चंदौसी सीएससी में भर्ती कराया था, जिसके बाद अस्पताल की डॉक्टर सारिका और स्टाफ नर्स रुचि ने 5 हजार की मांग की थी और उनको पैसे दे भी दिए गए थे लेकिन इसके बावजूद भी बच्चे को ऑक्सीजन नहीं दी गई, जिसकी वजह से बच्चे की मौत भी हो गई और बच्चे को जिंदा बता कर हमारे सुपुर्द कर दिया गया.

आरोप है कि स्टाफ के द्वारा शोर मचाने पर सरकारी काम में बाधा डालने की मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. गोकुल सिंह ने कहा कि न्याय की मांग को लेकर मेरे द्वारा डीजीपी ,कमिश्नर और आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की गई थी, उस दिन मैंने पहले बच्ची की मौत के बाद अपनी पुत्रवधू का इलाज कराया था क्योंकि अगर उसकी मौत हो जाती तो उसके मायके पक्ष के लोग हमारे खिलाफ कार्यवाही करा देते, आज बच्ची के शव को निकलवाया जा रहा है और पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है.

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