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लखीमपुर हिंसा: आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को सुनाएगा फैसला

3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया.

लखीमपुर हिंसा में आरोपी आशीष मिश्रा लखीमपुर हिंसा में आरोपी आशीष मिश्रा
संजय शर्मा
  • लखनऊ,
  • 13 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 9:31 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
  • 18 अप्रैल को आएगा फैसला

लखीमपुर हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने को लेकर दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को फैसला सुनाएगा.  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार अप्रैल को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पीड़ित परिवारों के वकील दुष्यंत दवे ने आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जानकारी पढ़ कर सुनाई. दवे ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देने में कई तथ्यों में ध्यान नहीं दिया. यह हत्या का गंभीर मामला है.

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सुप्रीम कोर्ट में कुछ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आरोपी की जमानत रद्द की जानी चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि हमें क्या करना है. यूपी सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि हमें शुक्रवार को ही रिपोर्ट मिल गई थी. जिसके बाद हमने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. दवे ने कहा कि एफआईआर में साफ लिखा है कि थार जीप भीड़ पर चढ़ा कर लोगों को कुचला गया. इस वाहन में आशीष मिश्रा बैठे थे. 

हाई कोर्ट ने जमानत देते समय बुलेट बाइक का जिक्र किया है, जबकि कार ने कुचला था. इस दौरान गोलियां भी चलीं. उन्होंने कहा कि साफतौर पर बताया गया था कि आशीष मिश्रा ने लोगों पर गाड़ी चढ़ाई है. लेकिन हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए कह दिया कि गोली चलने के सबूत नहीं. दवे ने दावा किया कि आशीष के पिता धमकी दे रहे थे. उप-मुख्यमंत्री का यात्रा मार्ग बदलने के बावजूद आरोपी उस रास्ते पर गया जिस पर किसान थे.

SIT ने विस्तृत तौर पर की जांच

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दवे ने कहा कि विशेष जांच दल (एसआईटी) ने विस्तृत तौर पर जांच की. वीडियो-ऑडियो और गवाहों सभी पर गौर किया गया. दुष्यंत दवे ने कहा कि यह मामला आरोपी की जमानत खारिज करने के लिए बिलकुल उचित है. आशीष के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पुलिस को किसानों की तरफ से दी गई रिपोर्ट में ही कहा गया है कि गोली से एक किसान मरा है. हाई कोर्ट ने गोली न चलने की बात कही. लोगों ने यह भी कहा कि आशीष गन्ने के खेत में भाग गया. घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं, धान का था. 

वहीं रंजीत कुमार ने दलील दी कि केंद्रीय मंत्री के गांव में दंगल होना था. लेकिन वहीं आंदोलन कर रहे लोगों ने उपमुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर न उतरने देने की धमकी दी थी, इसलिए मार्ग बदला गया. अगर सुप्रीम कोर्ट मेरी जमानत रद्द करेगा तो फिर कौन देगा? मुझे विस्तार से जवाब के लिए 3 दिन का समय  दीजिए. फिर कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर दी और फैसला सुरक्षित रख लिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत

इस मामले में उत्तर प्रदेश SIT ने 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. एसआईटी ने आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. इतना ही नहीं एसआईटी के मुताबिक, आशीष घटनास्थल पर ही मौजूद था. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फरवरी में आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी. 
 

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जमानत के विरोध में SC में दायर हुई थी याचिका

आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में युाचिका दायर की गई थी. चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SIT की निगरानी कर रहे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील करने की सिफारिश की थी.  इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगते हुए पूछा था कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील को लेकर यूपी का क्या रुख है? 


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