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Kanpur: पाकिस्तान से 28 साल बाद घर लौटा शमसुद्दीन, दोनों देशों से की ये अपील

कानपुर का रहने वाला शमसुद्दीन 28 साल बाद पाकिस्तान से वापस अपने घर लौट आया है. अपनों के बीच पहुंचकर शमसुद्दीन की आंखें भर आईं. वह अपनों के गले लग कर खूब रोया. शमसुद्दीन का कहना है कि वह 92 में पाकिस्तान गया था. वहां चप्पल बनाने का काम करता था. फिर वहां की पुलिस ने उसे एजेंट समझकर जेल भेज दिया.

शमसुद्दीन 28 साल बाद पाकिस्तान से वापस अपने घर लौटा (फोटो आजतक) शमसुद्दीन 28 साल बाद पाकिस्तान से वापस अपने घर लौटा (फोटो आजतक)
रंजय सिंह
  • कानपुर ,
  • 16 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST
  • 1992 में घर से झगड़ कर गया था पाकिस्तान
  • पुलिस ने एजेंट समझकर जेल भेज दिया था

कानपुर का रहने वाला शमसुद्दीन 28 साल बाद पाकिस्तान से वापस अपने घर लौट आया है. अपनों के बीच पहुंचकर शमसुद्दीन की आंखें भर आईं. वह अपनों के गले लग कर खूब रोया. वहीं मोहल्ले वालों ने शमसुद्दीन का स्वागत फूलों की माला पहनाकर किया. 

शमसुद्दीन का कहना है कि वो 92 में पाकिस्तान गया था. वहां चप्पल बनाने का काम करता था. फिर वहां की पुलिस ने उसे एजेंट समझकर जेल भेज दिया. शमसुद्दनीन ने इस मौके पर कहा कि मेरी दोनों सरकारों से अपील है कि दोनों देशों में निर्दोष लोगों को तंग न किया जाए क्योंकि उनका कोई दोष नहीं होता. 

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शमसुद्दीन 1992 में गया था पाकिस्तान 

बता दें कि परिजनों से विवाद होने पर शमसुद्दीन 1992 में अपने परिचित के पास पाकिस्तान चला गया था. जहां हालात सही न होने की वजह से वह वक्त पर निकल नहीं पाया. जिससे उसके वीजा की अवधि समाप्त हो गई और बाद में उसने अपने परिचित के कहने पर पाकिस्तान की फर्जी नागरिकता ले ली. बाद में पासपोर्ट रिन्यू कराने के दौरान 2012 में उसे पुलिस ने पकड़ लिया. उसे भारतीय जासूस साबित करने के लिए पुलिस ने प्रताड़ना दी. बाद में उसे गलत तरीके से देश में दाखिल होने के आरोप में जेल में डाल दिया गया. 

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पिछली 26 अक्टूबर को उसे भारतीय फौज के हवाले कर दिया गया था. जहां उसे अमृतसर के क्वारनटीन सेंटर में रखा गया. जिसके बाद क्वारनटीन की अवधि पूरे होने और कागजी औपचारिकता पूरी होने के बाद अमृतसर से कानपुर के लिए रवाना कर दिया गया. जैसे ही शमसुद्दीन थाने में कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद बजरिया स्थित अपने मोहल्ले के मोहाल पहुंचा, वहां जश्न का माहौल देखने को मिला. लोगों ने फूल मालाएं पहनाकर उसका स्वागत किया. वहीं बरसों बाद अपनों के बीच पहुंचे शमसुद्दीन की आंखें छलक उठीं. वह अपनों से मिलकर खूब रोया.

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