
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि वह हर सांसदों को अपने क्षेत्र के बालगृहों का निरीक्षण करने के लिए कई बार लिख चुकी हैं, लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि एक बार भी बालगृहों में नहीं पहुंचा. चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर सांसदों को ऐसे किसी पत्र की जानकारी नहीं है.
इस संबंध में आज तक की टीम ने उत्तर प्रदेश के कई सांसदों से फोन पर संपर्क साधा, लेकिन ज्यादातर ने इस चिठ्ठी के बाबत अनभिज्ञता जाहिर की. हालांकि कुछ ने चिट्ठी मिलने की बात तो स्वीकार की, लेकिन उन्होंने उसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी क्योंकि उन्हें यही पता ही नहीं था कि चिट्ठी में क्या लिखा है.
सहारनपुर के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद राघव लखन पाल ने माना है कि उनके पास चिट्ठी आई है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के देहांत के बाद कलश यात्रा में व्यस्त होने की वजह से वह अपने इलाके के शेल्टर होम का दौरा नहीं कर पाए. फुर्सत मिलते ही वह इस काम को अंजाम दे पाएंगे.
चित्रकूट के सांसद भैरो प्रसाद मिश्र ने बताया कि उन्हें चिट्ठी मिली तो थी लेकिन उसमें क्या लिखा है उन्हें पता नहीं है और चिट्टी कब मिली थी इसका भी उन्हें अंदाज नहीं है. वहीं खीरी लोकसभा से बीजेपी सांसद अजय मिश्र ने बताया कि उन्हें मेनका गांधी का पत्र मिला है. मैनपुरी सांसद तेजप्रताप यादव को भी ऐसी किसी चिठ्ठी के बारे में जानकारी नहीं है.
बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी के संज्ञान में ऐसा कोई पत्र नहीं है. हापुड़ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस तरह का कोई भी पत्र अभी तक उन्हें नहीं मिला है. राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने कहा है कि उन्हें ऐसी कोई चिट्ठी की जानकारी नहीं है. बलिया के सांसद भरत सिंह ने भी यह बात कही.
अलीगढ़ के सांसद सतीश कुमार गौतम ने भी इस सन्दर्भ में किसी पत्र या निर्देश के आने से अनभिज्ञता जाहिर की. गोंडा के सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि हो सकता है कि लेटर आया हो मैंने अभी देखा नहीं है. अमरोहा के सांसद चौधरी कंवर सिंह तंवर ने मेनका गांधी की तरफ से किसी प्रकार की चिट्ठी भेजे जाने से इनकार किया है. बुलन्दशहर सांसद भोला सिंह ने भी इस मामले में किसी भी प्रकार के पत्र आने से अनभिज्ञता जाहिर की है.
बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले ने ऐसे किसी भी पत्र के प्राप्त होने की बात से इनकार किया है. बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि मेनका गांधी ने ये काम किया है इसके लिए धन्यवाद, लेकिन अभी तक उनके ऑफिस से ऐसा कोई भी पत्र नहीं मिला है. इस संबंध में संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी का कहना है कि उनके पास एक पत्र आया था, लेकिन उन्होंने इस पत्र के बारे में कुछ नहीं बताया गया कि किस तरह का पत्र था.
इसी तरह फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत, मिश्रिख की सांसद अंजुबाला, हरदोई की सांसद अंशुल वर्मा, श्रावस्ती के सांसद दद्दन मिश्र ने भी पत्र प्राप्त होने की बात से इनकार किया है. बहरहाल मेनका गांधी चाहे जितने भी दावे करें लेकिन सच्चाई ये है कि उनकी चिट्ठियों को तवज्जो किसी ने नहीं दी.
मेनका गांधी ने क्या किया था दावा
मेनका ने कहा था, 'मैं पिछले चार वर्षों से सभी सांसदों को लिखती आ रही हूं कि वे अपने क्षेत्रों के बाल गृहों की निगरानी करें क्योंकि सरकार हमेशा निरीक्षण नहीं कर सकती. मैंने उनको उनके क्षेत्रों के सभी बालगृहों की सूची सौंपी.' उन्होंने कहा, 'कोई एक सांसद भी इन केंद्रों में एक बार भी नहीं गया. मैं सांसदों से आग्रह करना चाहती हूं कि वे जाएं.' मगर आजतक की जांच पड़ताल में उनका पत्र मिलने से सांसदों ने इनकार कर दिया.