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...तो शिवपाल यादव नई पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी के विधायक बने रहेंगे!

अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को कोई भी विक्टिम कार्ड खेलने देना नहीं चाहते. यही वजह है कि पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में आने के बाद भी वह अपने चाचा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे.

शिवपाल सिंह यादव (इंडिया टुडे अर्काइव) शिवपाल सिंह यादव (इंडिया टुडे अर्काइव)
कुमार अभिषेक/वरुण शैलेश
  • लखनऊ,
  • 27 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 3:33 PM IST

अखिलेश यादव ने गुरुवार को यह साफ कर दिया कि नई पार्टी बनाने वाले उनके चाचा शिवपाल यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और न ही उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा जाएगा.

साफ है कि शिवपाल यादव नई पार्टी बनाने और नई पार्टी से चुनाव लड़ने और लड़ाने के बाद भी तकनीकी तौर पर समाजवादी पार्टी से ही विधायक रहेंगे. अखिलेश यादव अपने चाचा, शिवपाल यादव को कोई भी विक्टिम कार्ड खेलने देना नहीं चाहते. यही वजह है की पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में आने के बाद भी वह अपने चाचा पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे.

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दरअसल, अखिलेश यादव की यह रणनीति शुरू से रही है कि शिवपाल यादव के मुद्दे को कोई तवज्जो न दी जाए. न तो उनके बारे में पार्टी के भीतर या बाहर नेता बात करें,न ही उनकी कोई चर्चा हो. अपनी इसी रणनीति के तहत शिवपाल यादव को पार्टी से निकालने का विचार भी अखिलेश ने पार्टी के भीतर पनपने नहीं दिया है.

नई पार्टी बनाने के साथ ही शिवपाल यादव ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की है और फिलहाल समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं को तोड़ने और अपनी पार्टी से जोड़ने में लगे हुए हैं. ऐसे में अगर अखिलेश अपने चाचा को पार्टी से निकालते हैं या उनकी विधायकी खत्म करने में अपनी ऊर्जा लगाते हैं तो यह शिवपाल यादव को विक्टिम कार्ड खेलने में मदद देगा. इसे भांपते हुए अखिलेश यादव ,शिवपाल यादव को छूने से परहेज कर रहे हैं.

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