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UP: शिवपाल यादव ने की समान नागरिक संहिता लागू करने की पैरवी, किया लोहिया का जिक्र

शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की है. प्रसपा के एक कार्यक्रम में शिवपाल ने कहा कि राम मनोहर लोहिया ने तो 1967 के चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था.

प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव (फाइल फोटो) प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 15 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
  • शिवपाल यादव ने अंबेडकर जयंती पर कही ये बात
  • पार्टी प्रवक्ता ने मांगा पीएम से मुलाकात के लिए समय

बीजेपी से नजदीकियों की खबरों के बीच शिवपाल यादव ने समान नागरिक संहिता लागू करने की पैरवी की है. उन्होंने कहा कि अब समान नागरिक संहिता लागू करने का सही समय आ गया है. बता दें कि प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने ये बात अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही.

शिवपाल यादव अंबेडकर जयंती और राहुल सांकृत्यायन की पुण्यतिथि के मौके पर एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान राष्ट्रीयता और समाजवाद विषय पर बोलते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि अंबेडकर और लोहिया दोनों ने समाजवाद की खुली पैरवी की थी. साथ ही संविधान सभा में समान नागरिक संहिता की वकालत भी की थी. उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया ने तो 1967 के चुनाव में इसे मुद्दा भी बनाया था.

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वहीं शिवपाल यादव के इस मुद्दे को उठाने के बाद समाजवादी चिंतक, बौद्धिक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राष्ट्रीय दीपक मिश्रा ने कहा कि जल्द ही समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग को लेकर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी और शांता कुमार सिंह मुलाकात करना चाहते हैं. इसके लिए दीपक मिश्रा ने पीएम मोदी से मुलाकात के लिए वक्त मांगा है.

क्या है समान नागरिक संहिता है

- समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून. अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है.
- हिंदुओं के लिए अपना अलग कानून है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़ी बातें हैं. मुस्लिमों का अलग पर्सनल लॉ है और ईसाइयों को अपना पर्सनल लॉ. 
- समान नागरिक संहिता को अगर लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए फिर एक ही कानून हो जाएगा. मतलब जो कानून हिंदुओं के लिए होगा, वही कानून मुस्लिमों और ईसाइयों पर भी लागू होगा. 
- अभी हिंदू बिना तलाक के दूसरी शादी नहीं कर सकते, जबकि मुस्लिमों को तीन शादी करने की इजाजत है. समान नागरिक संहिता आने के बाद सभी पर एक ही कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या मजहब का ही क्यों न हो.

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