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शिवपाल की 'घर वापसी' BJP को नहीं आई रास! सिक्योरिटी घटी, योगी ने दी जांच को हरी झंडी

मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा से डिंपल यादव मैदान में है तो बीजेपी से रघुराज शाक्य कैंडिडेट हैं. मुलायम की विरासत बचाने के लिए शिवपाल यादव और अखिलेश यादव एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जो बीजेपी को रास नहीं आ रहा है. जिसके बाद अब शिवपाल यादव को लेकर बीजेपी और योगी सरकार के तेवर सख्त हो गए हैं.

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अखिलेश यादव और शिवपाल यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

उत्तर प्रदेश की सियासत में दोराहे पर खड़े शिवपाल यादव ने मैनपुरी उपचुनाव में बीजेपी के बजाय अपने परिवार को तवज्जे दी है. शिवपाल यादव बहू डिंपल यादव को मैनपुरी में जिताने के लिए ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं और गांव-गांव घूमकर वोट मांग रहे हैं. बीजेपी से मुंह मोड़ने और मैनपुरी में डिंपल यादव को जिताने में जुटे शिवपाल यादव की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. 

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शिवपाल यादव की सुरक्षा में पहले कटौती की गई और दूसरे दिन योगी सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट मामले में शिवपाल और दो आला अधिकारियों से पूछताछ की अनुमति सीबीआई को दे दी है. इतना ही नहीं मैनपुरी सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर सबसे ज्यादा शिवपाल यादव ही रहे. ऐसे में साफ जाहिर होता है कि कुछ सालों से बीजेपी के आंखों के तारा बने शिवपाल यादव को लेकर योगी सरकार के तेवर सख्त हो गए हैं. 

शिवपाल से बीजेपी को थी बड़ी आस

बता दें कि उत्तर प्रदेश सियासत में शिवपाल के कदम साल 2017 से डगमगाते रहे हैं. वह कभी दो कदम आगे चलते हैं तो कभी पीछे. सपा से अलग होकर उन्होंने पार्टी बनाई, लेकिन 2022 के चुनाव में ऐन वक्त पर सपा के साथ चले गए. अखिलेश ने शिवपाल यादव को मनमाफिक तवज्जो नहीं दी. सपा ने शिवपाल के किसी भी करीबी नेता को चुनाव नहीं लड़ाया. इसके बाद शिवपाल ने अखिलेश पर धोखा देने का आरोप लगाया और फिर बीजेपी की ओर कदम बढ़ाए. 

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शिवपाल यादव ने विधानसभा सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शान में कसीदे पढ़े और अखिलेश यादव को लेकर सख्त रुख अपनाया. ऐसे में बीजेपी को शिवपाल यादव से उम्मीदें लगा बैठी, लेकिन मुलायम सिंह के निधन के बाद ट्रनिंग प्वाइंट आया. मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल यादव कैंडिडेट बनी तो चाचा-भतीजे के बीच रिश्ते में जमी बर्फ पिघली. रिश्तों की इस डोर ने भी शिवपाल के कदम को बीजेपी की ओर बढ़ने से रोक दिया. शिवपाल ने मैनपुरी सीट पर पूरी तन्मयता के साथ डिंपल को जिताने में लगे हैं. 

शिवपाल की सुरक्षा में कटौती

शिवपाल यादव की हुई 'घर वापसी' अब न बीजेपी को रास आ रही है और न ही यूपी सरकार को पच रही है. यही वजह है कि योगी सरकार के तेवर शिवपाल को लेकर सख्त हो गए हैं. सोमवार को शिवपाल यादव की सुरक्षा में कटौती की गई. सरकार ने शिवपाल की सुरक्षा जेड श्रेणी से घटाकर वाई श्रेणी की कर दी है. इसके कुछ देर बाद ही सीएम योगी सपा के गढ़ करहल में गरजे तो उनके निशाने पर शिवपाल यादव ही रहे. 

योगी के निशाने पर शिवपाल
 

सीएम योगी आदित्यनाथ मैनपुरी के करहल में गरजे और कहा कि चाचा शिवपाल यादव की स्थिति तो पैंडुलम जैसी हो गई है. वे फुटबॉल बने हुए हैं. विधानसभा चुनाव की याद दिलाते हुए योगी बोले कि तब शिवपाल सिंह को बैठने के लिए कुर्सी का हैंडिल मिला था. योगी ने आरोप लगाया कि सपा सरकार के दौरान नौकरी निकलते ही चाचा और भतीजे नौजवानों से वसूली पर निकल लेते थे. युवाओं का शोषण होता था और बदनाम मैनपुरी इटावा होता था. अब बिना किसी भेदभाव को हर वर्ग को सरकारी नौकरी मिल रही है. 

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शिवपाल से पूछताछ की इजाजत

गोमती रिवर फ्रंट घपले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव और दो आला अफसरों की भूमिका की जांच शुरू हो गई है. सरकार ने सीबीआई को उनसे आगे की जांच के लिए पूछताछ की अनुमति दे दी है. गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के लिए सपा सरकार ने 2014-15 में 1513 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन 2017 में सरकार के बदलते ही सीएम योगी ने गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच कराई थी और फिर सीबीआई को सौंप दिया गया था. सीबीआई इस केस में दो आईएएस अधिकारी समेत शिवपाल की भूमिका की जांच करना चाहती है, जिसकी अनुमति सरकार ने दे दी है. 

शिवपाल यादव के मामले में यह जानकारी जुटाई जा रही है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में अभियंताओं को अतिरिक्त चार्ज देने में उनकी क्या भूमिका रही. मैनपुरी में डिंपल यादव को जीतने में जुटे शिवपाल पर सरकार का शिकंजा कसा जाने लगा है. सुरक्षा में कटौती और सीबीआई को पूछताछ की अनुमित दी गई है. इतना ही नहीं आगे भविष्य में कार्यालय समेत अन्य संकट आने से इंकार नहीं किया जा सकता है. 

शिवपाल के अवास पर निगाहें

योगी सरकार से दूरियां बढ़ने के बाद शिवपाल को लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर मिले बंगले पर भी भारी पड़ सकती है. योगी सरकार ने शिवपाल को यह सरकारी आवास विधायक आवास के रूप में आ‌वंटित किया है. आवास के साथ ही यहां प्रसपा का कार्यालय भी संचालित होता है, जबकि सिर्फ विधायक इस बंगले में रहने के लिए अनुमन्य हैं. मैनपुरी उपचुनाव में जिस तरह शिवपाल बीजेपी और योगी सरकार पर हमले कर रहे हैं, उसके बाद लग रहा है कि उनके इस आवास के आवंटन पर कभी भी संकट गहरा सकता है. 

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शिवपाल को पहले से आभास था?

शिवपाल को भी इन तमाम संकटों का आभास रहा होगा तभी तो उनके बेटे आदित्य यादव ने पत्रकारों से कहा कि बीजेपी जो कर रही है, वह अप्रत्याशित नहीं है. सपा ने कहा कि मैनपुरी की हार से डरी बीजेपी ने चाचा के खिलाफ सीबीआई लगाई है. एजेंसियों का कंट्रोल बीजेपी के पास है. शिवपाल यादव ने कहा कि सुरक्षा कम होगी इसकी अपेक्षा थी. अब जनता और कार्यकर्ता हमारी सुरक्षा करेंगे. सुरक्षा घटी है तो डिंपल की जीत और बड़ी होगी. अखिलेश ने कहा कि शिवपाल यादव की  सुरक्षा श्रेणी को कम करना आपत्तिजनक है. 

अखिलेश यादव ने कहा कि पेंडुलम समय के गतिमान होने का प्रतीक है और वो सबके समय को बदलने का संकेत भी देता है और ये भी कहता है कि ऐसा कुछ भी स्थिर नहीं है जिस पर अहंकार किया जाए. साथ अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री ने चाचा को पेंडुलम कह कर गए हैं. चाचा उन्हें ऐसा झूला झुलाकर छोड़ेंगे कि पता नहीं चलेगा. इस तरह शिवपाल यादव पूरी तरह से उपचुनाव के केंद्र में हैं, जिन्हें लेकर बीजेपी शख्त है तो सपा पूरी तरह से ढाल बनी हुई है? 


 

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