
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही समाजवादी पार्टी में उथल-पुथल और पार्टी में अंदरूनी कलह बढ़ती जा रही है. जेल में दो साल से बंद सपा विधायक आजम खान से मिलने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव सीतापुर जेल जाएंगे. सपा के टिकट पर चुनाव जीते शिवपाल यादव पहले से ही अखिलेश यादव के खिलाफ बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं, दूसरी तरफ आजम के समर्थकों में नाराजगी से स्वर उठने से इस्तीफे तक हो रहे हैं. ऐसे में शिवपाल का जेल में आजम खान से मिलने फैसले से सपा के लिए चिंता बढ़ा सकता है.
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने बुधवार को रामपुर जाकर आजम खान परिवार से मुलाकात की थी. इस दौरान जयंत ने आजम खान के परिवार से अपना परिवारिक रिश्ता बताया था. वहीं, अब सपा से नाराज चल रहे शिवपाल यादव ने आजम खान से सीतापुर जेल जाकर मिलने का फैसला किया है. सूत्रों की मानें तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज माने जा रहे शिवपाल यादव अब आजम खान के साथ मिलकर किसी नई राजनीतिक रणनीति पर विचार-विमर्श कर सकते हैं.
बता दें कि रामपुर से विधायक और सपा के कद्दावर मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले मोहम्मद आजम खान पिछले दो सालों से सीतापुर की जेल में बंद है. आजम खान पर करीब 80 मुकदमे अभी भी चल रहे हैं. पिछले दो सालों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव महज एक बार ही आजम खान से मिलने जेल गए हैं, जिसके चलते आजम समर्थक सपा से नाराज हैं. ऐसे में शिवपाल यादव जेल में आजम से मिलकर सपा पर दबाव बना सकते हैं.
सपा के अध्यक्ष भले ही आज अखिलेश यादव बन गए हों, लेकिन एक समय शिवपाल यादव की तूती बोलती थी. मुलायम सिंह यादव के दौर में सपा में शिवपाल यादव का वर्चस्व कायम था. वहीं, आजम खान सपा के मुस्लिम चेहरा हुआ करते थे और पार्टी में उनकी हैसियत नंबर दो की थी. इस तरह से शिवपाल और आजम खान दोनों ही सपा के कद्दावर नेता माने जाते थे, लेकिन अखिलेश यादव भी सपा की कमान संभालकर खुद को मुलायम सिंह के सियासी वारिस के तौर स्थापित कर चुके हैं.
शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने के बाद सफल नहीं रहे, लेकिन 2022 में विधायक बनने के बाद से फिर से बागी रुख अपनाए हुए हैं. ऐसे ही आजम खान के समर्थक भी नाराज चल रहे हैं. ऐसे में शिवपाल यादव जेल में आजम खान से मिलकर भविष्य के सियासी रणनीति पर कदम बढ़ा सकते हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि अखिलेश यादव अपने दोनों ही नेताओं को लेकर किसी तरह की कोई चिंता और परवाह नहीं कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि आजम खान के करीबी नेता शिवपाल यादव के संपर्क में हैं. ऐसे में आने वाले समय में दोनों नेता एक खेमे में आ सकते हैं. वहीं, लंबे समय से चुनौतियों से जूझ रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यह अलग तरह का संकट है. सपा और अखिलेश यादव के लिए चिंता की बात इसलिए भी है, क्योंकि शिवपाल सिंह यादव और आजम खान दोनों ही नेताओं का अच्छा प्रभाव उस 'मुस्लिम-यादव' वोट बैंक पर माना जाता है. 'एमवाई' फैक्टर सपा की साइकिल का सबसे बड़ा सहारा है.