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BJP से पहले शिवपाल का लखनऊ में यादव सम्मेलन, दिखाएंगे ताकत

शिवपाल यादव सपा से नाता तोड़ने के बाद अब अपनी राजनीतिक ताकत की आजमाइश करने जा रहे हैं. इसके लिए 11 सितंबर को लखनऊ में श्रीकृष्ण वाहनी की ओर से होने वाले कार्यक्रम में यादव समाज की जुटने वाली भीड़ बहुत कुछ तय करेगी.

शिवपाल यादव शिवपाल यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

उत्तर प्रदेश की सियासत में यादव मतदाताओं के दिल में जगह बनाने के लिए राजनीतिक जंग तेज होती दिख रही है. बीजेपी 15 सितंबर को लखनऊ में यादव सम्मलेन कर रही हैं. वहीं, सपा से नाता तोड़कर अलग हुए शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच यादव समुदाय के नेता बनने की जंग तेज हो गई है.

शिवपाल यादव समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने के बाद पहली बार लखनऊ में एक बड़े कार्यक्रम में शामिल होंगे. यह कार्यक्रम यादव समुदाय के संगठन श्रीकृष्ण वाहनी की ओर से 11 सिंतबर को किया जा रहा है. शिवपाल इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे.

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श्रीकृष्ण वाहनी के महासचिव अशोक यादव ने 'आजतक' को बताया कि 11 सितंबर को होने वाला कार्यक्रम काफी कुछ तय करेगा. खासकर यूपी के यादव समाज के राजनीतिक भविष्य को लेकर. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में शिवपाल यादव मुख्य अतिथि होंगे और यादव समाज के काफी लोग इसमें शामिल होंगे.

इस सम्मेलन में जिस तरह यादव समुदाय के लोगों को खासकर बुलाया जा रहा है. इसका मतलब साफ है कि श्रीकृष्ण वाहनी के बहाने शिवपाल, यादव समाज के बीच अपनी राजनीतिक पकड़ का टेस्ट करना चाहते हैं. कार्यक्रम के महासचिव का साफ कहना है कि 11 सितंबर को कई राजनीतिक फैसले कदम उठाए जाएंगे.  

दरअसल उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय में सबसे बड़ी संख्या यादव समुदाय की है. सूबे में करीब 8 फीसदी यादव मतदाता हैं और पिछड़ी जाति में लगभग 20 फीसदी हिस्सेदारी है. मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक उभार के पीछे यादव मतदाताओं की अहम भूमिका रही है.

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पिछले तीन दशक से यादव समाज सपा के साथ मजबूती के साथ जुड़ा रहा है. मायावती का सर्वजन हिताय-सवर्जन सुखाय और नरेंद्र मोदी का सबका साथ-सबका विकास का नारा भी यादव समुदाय को सपा से जुदा नहीं कर सका है.

शिवपाल-अखिलेश की सियासी राह अलग होने के बाद जो समीकरण बन रहे हैं. उनमें यादव मतदाता किस दिशा में जाएगा इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है. इसी मद्देनजर बीजेपी यादव सम्मेलन करा रही है, तो वहीं शिवपाल यादव अपने राजनीतिक ताकत को अजमाना चाहते हैं.

शिवपाल-अखिलेश के बीच सुलह समझौते के सारी गुंजाइश खत्म हो गई हैं. शिवपाल अब समाजवादी सेकुलर मोर्चा को राजनीतिक दल के रूप में तब्दील करने में जुट गए हैं. उन्होंने राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करने की कवायद तेज कर दी हैं.

अखिलेश यादव के हाथ में सपा की कमान आने से रूठे नेताओं को शिवपाल अपने साथ जोड़ने में जुटे हैं.  इटावा के दिग्गज नेता और सपा से दो बार सांसद रह चुके रघुराज सिंह शाक्य भी शिवपाल यादव के समाजवादी सेकुलर मोर्चा में शामिल हो चुके हैं.

शिवपाल यादव जल्द ही फूलपुर से सांसद रहे अतीक अहमद से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि वो भी सेकुलर मोर्चा में शामिल हो सकते हैं. शिवपाल का मोर्चा सपा से बागी नेताओं का ठिकाना बन सकता है. शिवपाल लगातार इस बात को कह रहे हैं कि ये मोर्चा सपा से रूठे नेताओं के लिए ही बनाया गया है.

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