
शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक शिवसेना के सांसद राउत ने सीएम योगी से मुलाकात के दौरान 16 जून को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और पार्टी सांसदों के अयोध्या दौरे के संबंध में चर्चा की.
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे का पार्टी के सांसदों के साथ 16 जून को अयोध्या पहुंचने का कार्यक्रम है. लोकसभा चुनाव के पहले नवंबर में भी शिवसेना सुप्रीमो ने अयोध्या का दौरा किया था. अब, जबकि वह एक और चुनाव के मुहाने पर खड़े हैं, उन्होंने एक बार फिर अयोध्या का रुख कर लिया है. नवंबर माह में अपने दौरे के दौरान ठाकरे ने अयोध्या में आयोजित धर्म संसद के मंच से केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा था कि राम मंदिर का श्रेय लेने नहीं, इसके निर्माण की तारीख जानने के लिए अयोध्या आया हूं.
कुंभकर्णी निद्रा में सो रही सरकार को जगाने को अपनी अयोध्या यात्रा का उद्देश्य बताते हुए कहा था कि पूरे देश को राम मंदिर के निर्माण का इंतजार है. उद्धव ने सीएम योगी के बयान को आधार बनाकर कहा था कि वह कहते हैं कि वहां मंदिर था, है और रहेगा. लेकिन हमारी धारणा है कि यदि मंदिर है, तो वह दिखना भी चाहिए. ठाकरे ने तब केवल चुनाव के समय ही मंदिर मुद्दा उठाने और इसके बाद कोई प्रयास नहीं करने के लिए बीजेपी की जमकर आलोचना की थी.
तब लोकसभा, अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अयोध्या जा रहे उद्धव
अयोध्या का दौरा कर हमेशा आने का वादा करने वाले शिवसेना प्रमुख जब आए थे, लोकसभा चुनाव में कुछ महीनों का समय शेष था. अब जबकि वह एक बार फिर अयोध्या जा रहे हैं, कुछ ही माह में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में उद्धव की यात्रा के राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे हैं. कोई इसे हार्ड हिंदूत्व के पुराने ट्रैक पर शिवसेना की वापसी की कवायद बता रहा है, तो कोई महाराष्ट्र में खो चुकी बड़े भाई की भूमिका वापस पाने की छटपटाहट. गौरतलब है कि राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना की भी सक्रिय भूमिका मानी जाती है. हिंदुत्व की लहर पर सवार शिवसेना को महाराष्ट्र में इसका लाभ भी मिला था. पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में मजबूती से उभरी थी.