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हमीरपुर: दीपावली-धनतेरस पर होती है चांदी की मछली की पूजा, जानें धार्मिक महत्व

बुंदेलखंड में चांदी की मछली खूब धूम मचा रही है. यहां पर दिवाली और धनतेरस के खास मौके पर मछली की पूजा की जाती है. भारतीय परम्परा के अनुसार खास पर्वों पर चांदी की मछली को रखना और उसकी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है.

बुंदेलखंड में होती है चांदी की मछली की पूजा बुंदेलखंड में होती है चांदी की मछली की पूजा
नाह‍िद अंसारी
  • हमीरपुर ,
  • 02 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
  • मछली धन और समृद्धि की रानी है
  • धनतेरस और दिवाली पर चांदी की मछली की पूजा
  • सनातन धर्म में चांदी की मछली का खास महत्व

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में चांदी की मछली खूब धूम मचा रही है. यहां पर दिवाली और धनतेरस के खास मौके पर मछली की पूजा की जाती है. बड़ी तादाद में लोग चांदी की मछली खरीदते हैं, बाजार में 5 ग्राम से लेकर 5 किलो तक वजन की मछली मौजूद है. भारतीय परम्परा के अनुसार खास पर्वों पर चांदी की मछली को रखना और उसकी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. प्राचीन काल में व्यापारी सुबह के समय सबसे पहले चांदी की मछली देखना पसंद करते थे. मछली के बिना बुंदेलखंड में दिवाली की पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं.

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धनतेरस और दिवाली पर चांदी की मछली का महत्व 

सभी धर्मों में चांदी को सबसे शुभ और शीतल धातु माना गया है. जिस तरह मंगल प्रतीकों में गाय, मोर, हाथी, शेर और कछुआ आता है. इसी तरह इन प्रतीकों में मछली भी शामिल है. चांदी की मछली को पूजा की थाली से लेकर शादी में बेटी और दामाद को दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे बेटी दामाद पर किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है.  

हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में एक परिवार द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी से चांदी की मछली बनाई जा रही है. जब भारत में अग्रेजों का राज था तब इस परिवार के बुजुर्गो ने विक्टोरिया राजकुमारी को चांदी की मछली भेंट की थी. तो बदले में राजकुमारी ने मछली की खूबसूरती को देखकर उन्हें एक मैडल भेंट में किया था. इस कला के कारण इस परिवार का नाम आईने अकबरी पुस्तक में भी दर्ज है.

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सनातन धर्म में चांदी की मछली की पूजा का खास महत्व 

सनातन धर्म में धनतेरस और दीपावली में मछली और चांदी की मछली का विशेष महत्व है. बड़ी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रमेश शास्त्रीय ने का कहना है कि मछली समृद्धि का प्रतीक है और दस अवतारों में मत्स्य अवतार भी हुआ था. भोर के समय मछली को देखने से न सिर्फ समृद्धि आती है,  बल्कि तमाम रोगो से भी मुक्ति मिलती है. इसलिए बुंदेलखंड इलाके के लोग धनतेरस और दीपावली में चांदी की मछली खरीदने को ज्यादा महत्व देते हैं. 

चांदी की मछली का अलग-अलग तरीके से होता है इस्तेमाल

इन मछलियों को लोग अलग -अलग तरीके से इस्तेमाल करते है, कोई कोट में लगाता है तो कोई कान में पहनता है. बच्चे गले में पहनते है और घरों में यह पूजा स्थलों के अलावा ड्राइंग रूम की भी शोभा बढ़ती है. लेकिन आज तक ये मछलियां सिर्फ हाथों से ही बनाई जा रही है. हस्त कला और दस्तकारी का यह नायब नमूना किसी को भी अपना दीवाना बना देता है. 

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