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सोनिया दो साल बाद रायबरेली पहुंचीं, करेंगी अपने किले को दुरुस्त

जून 2016 के बाद सोनिया का अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में ना आना क्षेत्र के लोगों के लिए धीरे-धीरे चिंता का विषय बनता जा रहा था. ऐसे में सोनिया की दूरी उनका विकल्प तलाशने के लिए मजबूर कर रही थी. इतना ही नहीं बीजेपी सोनिया के दुर्ग में सेंधमारी करने की जुगत में भी है. ऐसे समय में सोनिया की रायबरेली में दस्तक कांग्रेसियों को राहत देगी.

सोनिया गांधी सोनिया गांधी
कुबूल अहमद
  • रायबरेली,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

सोनिया गांधी करीब दो साल बाद मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली दो दिवसीय दौरे पर पहुंची हैं. जून 2016 के बाद सोनिया का अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में ना आना क्षेत्र के लोगों के लिए धीरे-धीरे चिंता का विषय बनता जा रहा था. ऐसे में सोनिया की दूरी उनका विकल्प तलाशने के लिए मजबूर कर रही थी. इतना ही नहीं बीजेपी सोनिया के दुर्ग में सेंधमारी करने की जुगत में भी है. ऐसे समय में सोनिया की रायबरेली में दस्तक कांग्रेसियों को राहत देगी.

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बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बीच सोनिया गांधी अपना किला बचाने में सफल रही थीं. इसके बाद से सोनिया के रायबरेली आने के सिलसिला धीरे-धीरे कम होने लगा. इसके पीछे एक बड़ी वजह सोनिया की सेहत भी रही, जिसकी वजह से वो पहले की तरह रायबरेली का दौरा नहीं कर पा रही थीं.

कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी के ताजपोशी के बाद सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र की तरफ रुख किया है. दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार शाम रायबरेली पहुंचीं सोनिया ने कई योजनाओं का शिलान्यास किया. कई सड़कों का लोकार्पण किया. इतना ही नहीं उन्होंने कई संगठनों के पदाधिकारियों से मुलाकात की. साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आने वाले चुनाव की तैयारियों के बारे में भी विचार-विमर्श किया.

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करीब दो साल के बाद सोनिया गांधी ऐसे समय रायबरेली आई हैं, जब जिले की सियासत में बीजेपी पैर पसारने की जुगत लगा रही है. रायबरेली से कांग्रेस पार्टी के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह अपने विधायक भाई और जिला पंचायत अवधेश प्रताप सिंह के साथ पार्टी को अलविदा कहकर बीजेपी ज्वाइन करने की धमकी देते नजर आ रहे हैं.

दिनेश सिंह के बीजेपी में जाने को लेकर रायबरेली में बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता भले ही विरोध कर रहे हों. लेकिन सीनियर नेता और पार्टी आलाकमान दिनेश सिंह की पेशकश को ठुकराते हुए नजर नहीं आ रहे हैं. साफ है कि सोनिया के दुर्ग में ही कांग्रेस को घेरने की बीजेपी की रणनीति का ये हिस्सा है. इसके जरिए बीजेपी देश की सियासत में माहौल बनाने की कोशिश करेगी, इसीलिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 21 अप्रैल को रायबरेली के दौरे पर पहुंच रहे हैं.   

दिनेश सिंह रायबरेली की सियासत में एक बड़ा चेहरा हैं. वो जहां खुद एमएलसी हैं तो उनके एक भाई हरचंद्रपुर से विधायक और एक भाई जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. तीनों ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की है. ऐसे में बीजेपी में शामिल होते हैं तो ये कांग्रेस के लिए जिले में बड़ा झटका होगा. इसके बाद रायबरेली में कांग्रेस के पास सिर्फ एक विधायक बचेगा. वह विधायक भी उस बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह हैं जिन्हें कांग्रेस के नाम से कम अखिलेश की बेटी के रूप में ज्यादा जाना जाता है.

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अखिलेश सिंह भी कांग्रेस से विधायक रहे हैं, लेकिन राकेश पांडेय की हत्या के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था. इसके बावजूद अपने बूते पर जीतते रहे हैं, 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह ने कांग्रेस का दामन थामा और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. इसके बाद रायबरेली नगर पालिका में भी अखिलेश के करीबी को टिकट दिया गया और कांग्रेस जीतने में सफल रही.

अखिलेश सिंह गाहे-बगाहे कांग्रेस संगठन तो कभी पार्टी के आला नेताओं के बारे में कुछ उल्टा सीधा बोल देते हैं. इतना ही नहीं पीएम मोदी और सीएम योगी सरकार की तारीफों के कसीदे पढ़ते नज़र आते हैं. ऐसी स्थिति में रायबरेली का कांग्रेसी जन सोनिया के आने का इंतजार कर रहा था. सोनिया के आने के बाद अब कम से कम पार्टी कार्यकर्ताओं के चेहरे पर जो मायूसी के बादल छाए थे. वो जरूर कम होंगे.

उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज पांडे ने सोनिया गांधी से उनके गेस्ट हाउस जाकर मुलाकात की. इस खबर के पता लगते ही लोगों के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं. दिनेश सिंह के पार्टी छोड़ने के बीच रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा से सपा के विधायक मनोज कुमार पांडे का सोनिया गांधी से मिलना. सियासत के नए कयास लगाए जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी मुलाकात के बाद कोई राजनीतिक मायनें ना निकाले जाएं बल्कि उन्होंने अपने घर में गृह प्रवेश का निमंत्रण देने के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की है.

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