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यूपी में बीजेपी के मजबूत किले को भेदने के लिए अखिलेश ने बनाया नया फॉर्मूला, शहरी क्षेत्रों में तैनात किए 'सेनापति'

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के नगर निगम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए पार्टी ने अपने पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं. सपा ने नगर निगम में बीजेपी को मात देने के लिए यादव-मुस्लिम-ब्राह्मण-कुर्मी-दलित समीकरण का ख्याल रखा है. सपा ने जिस तरह से अपने विधायक और सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी है, उससे साफ है कि शहरी क्षेत्र में अब पार्टी अपने सियासी आधार को मजबूत करने के लिए दिशा में कदम बढ़ा दिया है.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 05 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

उत्तर प्रदेश के सियासत में एक के बाद एक चुनावी मात खा रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव अब दोबारा से पार्टी के सियासी आधार को मजबूत करने की कवायद में जुट गए हैं. साल आखिर में होने वाले नगर निगम चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए अखिलेश ने अभी से अपने 'सेनापति' तैनात कर दिए हैं, जो शहरी क्षेत्रों में डेरा जमाकर सपा के जीत का तानाबाना बुनेंगे. 

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सपा ने गुरुवार को यूपी के 17 नगर निगम में अपने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है. नगर निगम चुनाव के लिए विधायक और सांसदों को पर्यवेक्षक बनाकर अखिलेश ने अपनी रणनीति साफ कर दी है. इतना ही नहीं सपा ने जिन नेताओं को जिस क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी है, उसमें जातीय और उस सीट के समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. इसकी वजह यह है कि नगर निगम के चुनाव को 2024 का सेमीफाइल भी माना जा रहा है, क्योंकि इसके बाद सीधे लोकसभा का चुनाव होना है. 

सपा ने बनाया नया सियासी समीकरण

सपा के पर्यवेक्षकों की फेहरिश्त को देखें तो शहरी क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने अपने नेताओं को लगाया है. सपा ने यादव, मुस्लिम, ब्राह्मण, कुर्मी और दलित कैंबिनेशन के जरिए नगर निगम चुनाव की सियासी बिसात बिछाने की कवायद की है. सपा पर्यवेक्षकों के जरिए शहरी निकाय क्षेत्र में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की है, क्योंकि 2017 में पार्टी का एक भी मेयर नहीं बन सका था जबकि बीजेपी 15 और बसपा दो मेयर बनाने में कामयाब रही थी. हालांकि, इस बार का चुनाव सपा के लिए काफी अहम माना जा रहा. यही वजह है कि सपा ने चार महीने पहले ही अपने सिपहसलारों को मोर्चे पर लगा दिया है. 

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अलीगढ़ में सपा ने खेला मुस्लिम-यादव दांव

सपा ने अलीगढ़ नगर निगम में विधायक नवाब जान खान और राम खिलाड़ी सिंह पर्यवेक्षक बनाया है. अलीगढ़ नगर निगम सीट पर मुस्लिम वोटों के सियासी प्रभाव को देखते हुए सपा ने मुस्लिम नेता जिम्मेदारी दी है, लेकिन साथ ही गुन्नौर विधायक और यादव समुदाय से आने वाले राम खिलाड़ी सिंह को भी मोर्चे पर लगाया. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछली बार बसपा ने मोहम्मद फुरकान को उतारकर अलीगढ़ में अपना मेयर बनाने में कामयाब रही थी. अलीगढ़ के शहरी क्षेत्र में सपा मुस्लिम-यादव समीकरण के जरिए अपना मेयर बनाने के फिराक में है.

आजम खान के बेटे को सौंपी जिम्मेदारी

सपा के दिग्गज नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को मुरादाबाद नगर निगम की जिम्मेदारी दी गई है. अब्दुल्ला के साथ मुरादाबाद में विधायक मनोज पारस और रफीक अंसारी को भी जिम्मा सौंपा गया है. 2017 में मुस्लिम बहुल मुरादाबाद सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था, जो सपा के लिए तगड़ा झटका था. इस बार मुरादाबाद सीट पर सपा ने दलित-मुस्लिम समीकरण के जरिए अपना मेयर बनाने की प्लानिंग की है. इसी मद्देनजर दलित समाज से आने वाले मनोज पारस को लगाया गया है, जो बिजनौर के नगीना से विधायक हैं. ऐसे ही मुरादाबाद में आजम खान का सियासी प्रभाव को देखते हुए अब्दुल्ला आजम को लगाया गया है और साथ ही विधायक रफीक अंसारी को लगाने के पीछे शहर में अंसारी समुदाय के अच्छा खासा दखल है. 

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आगरा-प्रयागराज के लिए बनाया समीकरण

आगरा नगर निगम का जिम्मा विधायक ब्रजेश कठेरिया, सचिन यादव और आशुतोष मौर्या को सौंपा है. आगरा के शहरी क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने दलित-यादव-मौर्य समुदाय को मोर्चे पर लगाया है. पिछली बार बीजेपी के नवीन जैन मेयर बने थे, लेकिन इस बार सपा ने एक नए समीकरण के साथ आगरा में जीत के लिए सियासी चक्रव्यूह रचा है. ऐसे ही प्रयागराज नगर निगम सीट का जिम्मा विधायक इंद्रजीत सरोज और संदीप पटेल को सौंपी है. सपा दलित-कुर्मी-मुस्लिम दांव से प्रयागराज में जीत का तानाबाना बुन रही है, जो बीजेपी के लिए सियासी चुनौती खड़ी कर सकती है. इसकी वजह यह है कि शहर में मुस्लिम-दलित-कुर्मी-यादव वोट अच्छे खासे हैं. 

कानपुर नगर निगम चुनाव की जिम्मेदारी सपा ने विधायक विशंभर सिंह यादव, रविदास मेहरोत्रा और चंद्रप्रकाश लोधी को सौंपी है. कानपुर के शहरी क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखें तो पंजाबी समुदाय अच्छे खासे हैं, जिसके चलते ही सपा ने पूर्व मंत्री और लखनऊ से विधायक रविदास मेहरोत्रा को जिम्मा सौंपा है, जो साथ यादव और लोध समुदाय के नेता को भी लगाया है. 

गाजियाबाद-मेरठ में सपा ने चला बड़ा दांव

गाजियाबाद नगर निगम का जिम्मा सपा ने मेरठ के किठौर से विधायक शाहिद मंजूर और सहारनपुर से आने वाले संजय गर्ग को जिम्मा सौंपा है. गाजियाबाद के शहरी क्षेत्र के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने मुस्लिम-वैश्य समीकरण बनाने की कोशिश की है. मेरठ नगर निगम के लिए विधायक स्वामी ओमवेश, आशु मलिक और प्रमोद त्यागी को जिम्मेदारी दी गई है. मेरठ में सपा ने जाट-मुस्लिम-त्यागी समीकरण बनाने के लिए तीनों नेता को लगाया है, जहां पर 2017 में बसपा ने जीत दर्ज की थी. 

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सहारनपुर नगर निगम के लिए सांसद जावेद अली खान, विधायक समर पाल सिंह को पर्यवेक्षक बनाया गया है. सहारनपुर के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने का दांव चला है, क्योंकि 2017 में बसपा इस सीट पर बहुत ही मामूली वोटों बीजेपी के हाथों मेयर का चुनाव हार गई थी. इस बार बदले हुए सियासी समीकरण में सपा इस सीट पर जीत के लिए अपने सेनापति तैनात किए हैं. 

बरेली-मथुरा के सियासी समीकरण रखा ख्याल

वहीं, बरेली नगर निगम चुनाव के लिए सपा ने अमरोहा से पार्टी के विधायक महबूब अली और ब्रजेश यादव को पर्यवेक्षक बनाया है. बरेली में मुस्लिम और यादव समीकरण बनाने की कवायद की है, क्योंकि दोनों ही वोटर काफी महत्वपूर्ण हैं. ऐसे ही फिरोजाबाद नगर निगम के लिए पूर्व सांसद अक्षय यादव और पूर्व विधायक राकेश राठौर को जिम्मेदारी सौंपी गई है. सपा ने इस सीट के सियासी समीकरण को ध्यान में रखते हुए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. मथुरा-वृंदावन नगर निगम चुनाव के लिए सपा ने ब्राह्मण समुदाय के विधायक अमिताभ बाजपेयी और सर्वेश सिंह यादव को जिम्मा दिया गया. 

लखनऊ-वाराणसी में ब्राह्मणों के भरोसे सपा

लखनऊ नगर निगम के लिए सपा ने विधायक फरीद महफूज, अमिताभ बाजपेयी, धर्मराज सिंह (सुरेश यादव) को जिम्मेदारी सौंपी है. लखनऊ के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने मुस्लिम-ब्राह्मण-यादव फॉर्मूला बनाने का कवायद की है, जो अगर चला तो सपा ने बीजेपी के गढ़ में अपना परचम फहराने में कामयाब हो सकती है. वाराणसी नगर निगम के लिए सपा ने विधायक मनोज पांडे, जाहिद बेग और आरके वर्मा को जिम्मा सौंपा है. पीएम मोदी के गढ़ में सपा ने ब्राह्मण-मुस्लिम-कुर्मी समीकरण बनाने की कवायद की है, जो वाराणसी के शहरी क्षेत्र के लिए काफी फिट बैठता है. 

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योगी के गढ़ को भेदने की रणनीति क्या है

सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर नगर निगम चुनाव के लिए सपा ने विधायक राममूर्ति वर्मा और संग्राम सिंह यादव को जिम्मा सौंपा है, जिसका सीधा संकेत कुर्मी-यादव समीकरण के तौर पर है. ऐसे ही झांसी नगर निगम के लिए सपा ने विधायक विनोद चतुर्वेदी और डॉ. मान सिंह यादव को जिम्मा दिया है, जिसके जरिए ब्राह्मण-यादव समीकरण बनाने की कवायद है. झांसी के सियासी समीकरण को देखते हुए सपा ने यह दांव चला है. अयोध्या नगर निगम के लिए सपा ने अतुल प्रधान और कमाल अख्तर को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे ही शाहजहांपुर नगर निगम के लिए सपा ने विधायक अनिल वर्मा और अरमान खान को जिम्मेदारी दी है. 


 

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