Advertisement

बदल गईं मायावती, अब नहीं करेंगी हड़बड़ाकर विकेट देने की गलती!

मायावती का अलग अंदाज देखकर साफ हो गया है कि वो अब हड़बड़ाकर विकेट देने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं. इसकी जगह मायावती एक-एक रन जोड़कर बड़ा स्कोर खड़ा करने वाली पारी खेल रही हैं.

अखिलेश यादव और मायावती अखिलेश यादव और मायावती
मोनिका गुप्ता/अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

मायावती ने साफ कर दिया है कि अस्तित्व की लड़ाई में बने रहने के लिए वो किस राह जाने की तैयारी कर चुकी हैं. बेशक राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का समर्थन उनके इकलौते उम्मीदवार के लिए संजीवनी नहीं बन पाया. लेकिन मायावती इस बार दूर की सोच रही हैं. इसलिए अखिलेश यादव के बारे में उनका नजरिया मुलायम से बिल्कुल अलग है.

Advertisement

दरअसल बुआ ने तय कर लिया है भतीजे से भाईचारा बना रहेगा, भले ही राज्यसभा के चुनाव में बीएसपी का उम्मीदवार हार गया, भले ही समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर और फूलपुर की जीत पर बीएसपी को रिटर्न गिफ्ट देने से चूक गई. लेकिन बुआ-भतीजे की जुगलबंदी पर जिंदाबाद जारी रहेगी.

शनिवार को मायावती का अलग अंदाज देखकर साफ हो गया कि वो अब हड़बड़ाकर विकेट देने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं. इसकी जगह मायावती एक-एक रन जोड़कर बड़ा स्कोर खड़ा करने वाली पारी खेल रही हैं. उनका यूं आकर प्रेस कॉन्फेंस करना और बेहद साफगोई से समाजवादी पार्टी से रिश्ते की तरफदारी करना ये साबित कर रहा है कि बहनजी को 2019 का ख्याल आ रहा है.

ऐसा भी नहीं कि मायावती को अपने इकलौते उम्मीदवार की हार का मलाल ना हो, मलाल तो दिल की गहराइयों तक है. लेकिन समाजवादी पार्टी से रिश्ते के खातिर मायावती ने दिल के दर्द को फिलहाल दफन कर देने को तैयार हो गई है.

Advertisement

बीएसपी-एसपी के रिश्ते की इस नई केमिस्ट्री में अखिलेश भी फेविकोल फेंट रहे हैं. इधर मायावती ने राजा भैया से रिश्ते पर भड़ास निकाली तो छूटते ही अखिलेश के राजा भैया की तारीफ वाला ट्वीट डिलीट कर दिया, उसकी जगह बुआ की तारीफ वाला नया ट्वीट जारी हो गया, 'मैं मायावती जी के नजरिए का स्वागत करता हूं. हम राष्ट्र निर्माण के उनके मिशन में पूरी मजबूती से साथ हैं.'

मायावती की बैटिंग प्लानिंग से साफ है कि वो बीजेपी की गुगली पर विकेट नहीं गंवाएगी. गोरखपुर- फूलपुर का फॉर्मूला आगे भी जारी रहेगा. क्योंकि इस फॉर्मूले के बाहर बीएसपी का भी कोई वजूद नहीं रहने वाला. ये वो अच्छी तरह समझ चुकी हैं. अखिलेश से गठबंधन वो आखिरी एंटीबायोटिक है जिससे बीएसपी की तंदुरुस्ती लौट सकती है. इसलिए मायावती जी-जान से रिश्ता बचाने में लगी है वरना अतीत का अपमान आसानी से नहीं भुलाया जाता.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement