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स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स पर यूपी सरकार बोली- हाई कोर्ट के आदेश पर होगा गठन

यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बताया कि राज्य सरकार ने एक स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन के आदेश दिए हैं. इस संबंध में यूपी डीजीपी से रोडमैप मांगा गया है.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो-Getty Images) यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो-Getty Images)
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 14 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:01 AM IST
  • यूपी में स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स का होगा गठन
  • हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर फोर्स बनेगी
  • इस संबंध में यूपी डीजीपी से रोडमैप मांगा गया

उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर एक स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया जाएगा, जिसने पिछले साल दिसंबर में सिविल अदालतों में सुरक्षा को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी. 

यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने पत्रकारों को बताया, "राज्य सरकार ने एक स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन के आदेश दिए हैं. इस संबंध में यूपी डीजीपी से रोडमैप मांगा गया है."

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अवनीश अवस्थी ने कहा, “यह यूपी के मुख्यमंत्री का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन का आधार हाई कोर्ट का एक आदेश है, जिसने आदेश दिया था कि सिविल अदालतों के लिए एक विशेष बल होना चाहिए. सभी में, बल में 9,919 कर्मी होंगे." अवस्थी ने कहा कि पहले चरण में पांच बटालियन का गठन किया जाएगा और इसकी अध्यक्षता एडीजी-रैंक के अधिकारी करेंगे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा, पहले चरण में होने वाले खर्च लगभग 1,747 करोड़ रुपये होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 जून को यूपी स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स के गठन को मंजूरी दी थी. 

क्या था कोर्ट का आदेश

बता दें कि बिजनौर में कोर्ट रूप में गोली चलने की घटना के बाद 18 दिसंबर, 2019 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी. 17 दिसंबर, 2019 को तीन हमलावरों ने बिजनौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक हत्या कर दी थी. इसमें तीन अन्य घायल हो गए थे जिनमें दो पुलिसकर्मी और अदालत का एक कर्मचारी शामिल था. 

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दो जजों की हाई कोर्ट की एक पीठ ने कहा था कि अधिकांश अक्षम पुलिसकर्मियों को अदालतों में तैनात किया जा रहा है. पीठ ने कहा था कि यदि राज्य सरकार यह काम करने के लिए तैयार नहीं है तो कोर्ट में केंद्रीय बलों की तैनाती के विकल्प की तलाश की जाएगी.


 

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