
बीजेपी ने यूपी में बड़ा फेरबदल करते हुए प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल को अब राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त कर दिया है. यूपी में जब-जब सुनील बंसल की चर्चा होगी, तब-तब 2014 से 2022 तक का संगठन महासचिव के नाते उनके कार्यकाल की चर्चा जरूर होगी कि कैसे कुशल संगठन के बूते अमित शाह के फार्मूले को सुनील बंसल ने एक जीत की मशीन में बदल दिया.
हालांकि इसकी के साथ यह चर्चा भी रहेगी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दबंग और सफल कार्यकाल में भी संगठन ने अपना न सिर्फ वजूद सरकार से अलग बनाए रखा बल्कि पार्टी और सरकार के समन्वय में "बीजेपी फर्स्ट" का मंत्र कार्यकर्ताओं के लिए हमेशा ऊपर रहा.
संगठन के मुताबिक सरकार चलाना चाहते थे बंसल
8 सालों के कार्यकाल में योगी और बंसल सरकार और संगठन के दो अलग-अलग ध्रुव रहे लेकिन समन्वय में कोई कमी नहीं रही. फैसले हमेशा सर्वसम्मति से लिए गए. सीएम योगी आदित्यनाथ ने संगठन में कभी हस्तक्षेप नहीं किया न ही सुनील बंसल ने सरकार में लेकिन दोनों के बीच एक अनकही रस्साकशी की चर्चा हमेशा रही.
हालांकि यह चर्चा भी रही सुनील बंसल सरकार को भी संगठन के हितों के मुताबिक चलना चाहते थे. वहीं सीएम योगी सरकार चलाने के अपने सख्त मॉडल में किसी भी हस्तक्षेप के खिलाफ थे. ऐसे में दोनों में एक अनकहा टकराव रहा. हालांकि इसमें कुछ सच्चाई होते हुए भी दोनों ने अपने समन्वय को बनाए रखा और मर्यादा की सीमारेखा हमेशा बनी रही.
55 MLA का सरकार के खिलाफ विरोध खत्म किया
योगी आदित्यनाथ की छवि सख्त प्रशासक की रही. पहले कार्यकाल में उनकी यह छवि रही कि उनतक बीजेपी के नेता, कार्यकर्ता, विधायक, यहां तक कि मंत्री भी नहीं पहुंच पाते थे. यही नाराजगी और शिकायत लेकर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सुनील बंसल के पास जाते रहे.
दोनों के बीच मतभेद को लेकर चाहे जितनी भी चर्चा रही हो लेकिन एक बार विधानसभा के भीतर जब 55 विधायकों का विद्रोह सामने आया तब उस वक्त सुनील बंसल ही संकटमोचक बनकर सामने आए और सभी विधायकों और नेताओं की सरकार के खिलाफ नाराजगी को खत्म किया.
बंसल के रहते संगठन में नहीं था योगी का दखल
माना जाता है कि सुनील बंसल के रहते सीएम योगी का दखल संगठन में नहीं था. वह चाहे टिकटों का बंटवारा हो, उम्मीदवारों का चयन हो या फिर विधान परिषद का चुनाव हो, योगी खुद को संगठन के ऐसे कार्यों से दूर ही रखते रहे लेकिन सुनील बंसल योगी की इच्छाओं को भी तरजीह देते रहे. वहीं सरकार में अधिकारियों की ट्रान्सफर- पोस्टिंग को लेकर भी रस्साकशी की खबरें आती रहीं.
नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए सबसे बड़ी चुनौती सरकार के सामने संगठन की सर्वोच्चता बनाए रखने की होगी. इसमें वह कितना सफल होते हैं, यह तो कहना मुश्किल होगा लेकिन एक बात साफ है कि अब सुनील बंसल के यूपी से चले जाने के बाद प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ का कद संगठन सरकार और पार्टी सबसे ऊपर रहेगा.