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सुपरटेक ट्विन टावर केस की विजिलेंस ने शुरू की जांच, 3 IAS समेत 30 के खिलाफ FIR

सुपरटेक ट्विन टावर की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों की संलिप्तता पाई थी जिसमें से दो की मृत्यू हो चुकी है. चार अधिकारी सेवारत हैं और 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

सुपरटेक ट्विन टावर (फाइल फोटो) सुपरटेक ट्विन टावर (फाइल फोटो)
तनसीम हैदर
  • नोएडा,
  • 08 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 10:58 AM IST
  • एफआईआर में सुपरटेक के चार निदेशकों के भी नाम
  • रिटायर हो चुके अधिकारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश

सुपरटेक ट्विन टावर मामले में उत्तर प्रदेश की विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है. अब तक इस केस से जुड़े 30 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर लिया है. इस एफआईआर में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ ही सुपरटेक से जुड़े निदेशकों के नाम भी शामिल हैं. आरोपी अफसरों में से तीन आईएएस अधिकारी भी हैं जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

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नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ नियोजन अधिकारी वैभव गुप्ता की शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है. ये एफआईआर धारा 166, 120बी (आपराधिक साजिश) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात के तहत दर्ज की गई है. जांच समिति की संस्तुति के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने नोएडा प्राधिकरण के सुपरटेक मामले में संलिप्त पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. इस एफआईआर में सुपरटेक के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट के नाम भी शामिल हैं.

सुपरटेक ट्विन टावर की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों की संलिप्तता पाई थी जिसमें से दो की मृत्यू हो चुकी है. चार अधिकारी सेवारत हैं और 20 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सेवारत चार अधिकारियों में से एक अधिकारी पहले ही निलंबित किया जा चुका है. अन्य तीन अधिकारियों के खिलाफ भी नोएडा प्राधिकरण ने निलंबन की कार्यवाही शुरू कर दी है. रिटायर अधिकारियों के खिलाफ भी नियमों के मुताबिक कार्रवाई के आदेश प्राधिकरण ने दे दिए हैं.

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नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी ने इस संबंध में कहा है कि समिति ने अपनी आख्या में दो वास्तुविद संस्थानों को चिह्नित करते हुए उनके वास्तुविदों की संलिप्तता बताई है. लिहाजा इन वास्तुविद संस्थानों और वास्तुविदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कांउसिल ऑफ आर्किटेक्चर को निर्देश दे दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि जांच समिति की रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि सुपरटेक लिमिटेड ने ले-आउट प्लान में आरक्षित 7000 वर्गमीटर ग्रीन बेल्ट को भूखण्ड में मिलाकर कर अवैध कब्जा लिया है. इस सम्बन्ध में ग्रीन बेल्ट को अतिक्रमण से मुक्त कराने और अधिकारियों के खिलाफ 15 दिन में कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.

 

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