
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राजद्रोह कानून (Sediton Law) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के मामले पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजों के जमाने के इस कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. साथ ही केंद्र से कहा है कि पुनर्विचार तक राजद्रोह कानून यानी 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए.
कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लंबित मामले हैं, उन पर यथास्थिति रखी जाए. जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं और इसी आरोप में जेल में बंद हैं, वे जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर सकते हैं. कोर्ट का यह फैसला अपने आप में ही ऐतिहासिक फैसला है. आइए जानते हैं इस फैसले के क्या हैं मायने और इसका क्या होगा असर?
पहला सवाल: राजद्रोह कानून की धारा 124 A की अब वास्तविक स्थिति क्या है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को रद्द नहीं किया है. सिर्फ होल्ड पर डाला है इसलिए इस कानून की लीगल वैलिडिटी यानी कानूनी मान्यता बरकरार है.
दूसरा सवाल: जिन पर राजद्रोह के केस चल रहे हैं उनका क्या होगा?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो लोग राजद्रोह के केस में जेल में हैं. वो जमानत के लिए अदालत जा सकते हैं. हालांकि यह कोर्ट तय करेगा कि आरोपियों को जमानत दी जाए या नहीं लेकिन केस चलता रहेगा.
तीसरा सवाल: अगर किसी पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया तो क्या होगा?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसी स्थिति में आरोपी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी के आधार पर निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
चौथा सवाल: राजद्रोह कानून पर यह रोक कबतक रहेगी?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट अब राजद्रोह मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में फिर से करेगी यानी यह रोक कम से कम तबतक तो रहेगी.
पांचवां सवाल: राजद्रोह कानून पर रोक क्यों लगानी पड़ी?
जवाब: केंद्र सरकार ने दायर हलफनामे में कहा था कि वह राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार कर रही है, जिसकी मंजूरी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबतक केंद्र पुनर्विचार नहीं कर लेता तब तक कानून पर रोक रहेगी.