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सिर्फ एक मुकदमे पर भी लगा सकते हैं यूपी गैंगस्टर एक्ट: SC ने इलाहाबाद HC के फैसले पर लगाई मुहर

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने इस बड़े मामले में फैसला सुनाया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैंग का अपराध भी उसके सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है.

सुप्रीम कोर्ट. सुप्रीम कोर्ट.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 10:52 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार के खिलाफ याचिका खारिज की
  • महिला ने कहा था- पहली बार आरोपी बनी और गैंगस्टर एक्ट लगा दिया

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी गैंगस्टर कानून पर बड़ा फैसला सुनाया है और ये साफ कर दिया है कि एक मामला होने पर पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत पुलिस कार्रवाई की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी गैंग का सदस्य है और उस पर एक ही अपराध का आरोप है तो भी गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि इस एक्ट के तहत कार्रवाई का एकमात्र आधार किसी गैंग का सदस्य होना नहीं है. साथ ही एक के बाद एक कई अपराध का रिकॉर्ड होने की भी जरूरत नहीं है. यानी किसी गैंग का सदस्य ना होने पर भी किसी पर एक अपराध का ही आरोप है तो भी गैंगस्टर कानून के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

गैंग ने अपराध किया तो सदस्य भी लपेटे में आएगा  

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने इस बड़े मामले में फैसला सुनाया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि गैंग द्वारा किया गया अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर भी इसका इस्तेमाल अपराधी के खिलाफ किया जा सकता है. 

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पहली बार अपराध करने पर भी कार्रवाई हो सकती है

राज्य सरकार ने दलील दी थी कि गिरोह का हिस्सा बनने के बाद या पहली बार अपराध करने पर भी इस ऐक्ट के तहत आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. किसी गैंग का सदस्य जो अकेले या सामूहिक रूप से अपराध करता है, उसको गैंग का सदस्य कहा जा सकता है और गैंग की परिभाषा के भीतर आता है. शर्त यह है कि उसने गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(बी) में उल्लिखित कोई भी अपराध किया हो. 

एक से ज्यादा अपराध होना जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम ( MCOCA) और गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की तरह यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के तहत ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है. इस प्रावधान की यहां गुंजाइश नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि गैंगस्टर ऐक्ट के तहत केस चलाने के लिए आरोपी के खिलाफ एक से ज्यादा अपराध या FIR या फिर चार्जशीट दर्ज हों.

SC ने याचिका खारिज की, हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत सुनाए गए फैसले को सही ठहराया और याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले में मुख्य आरोपी पीसी शर्मा एक गिरोह का नेता और मास्टरमाइंड था और उसने अन्य सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची, जिसमें याचिकाकर्ता भी शामिल थी. कोर्ट ने ये फैसला 2016 में बदायूं में हुए हत्याकांड में आरोपी महिला की याचिका पर आया है.

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महिला ने कहा था- वह पहली बार आरोपी बनी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में महिला ने याचिका में दावा किया था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. वह पहली बार एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाई गई है. लिहाजा, उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट नहीं लगना चाहिए. सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एक FIR/ आरोप पत्र पर भी गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 (बी) में सूचीबद्ध असामाजिक गतिविधियों के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत केस चलाया जा सकता है. 
 

 

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