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नोएडा: गिराए जाएंगे सुपरटेक के दो 40 मंजिला टॉवर्स, एमेराल्ड केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए नोएडा में मौजूद सुपरटेक के दो टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया है. सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं.

गिराए जाएंगे नोएडा के ट्विन टावर्स (फाइल फोटो) गिराए जाएंगे नोएडा के ट्विन टावर्स (फाइल फोटो)
अनीषा माथुर/तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 8:47 PM IST
  • सुपरटेक एमेराल्ड केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • तीन महीने में गिराए जाएंगे सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स

सुपरटेक एमेराल्ड केस (Supertech emerald court demolition case) में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराया जाएगा. सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे.

कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए. इधर, अथॉरिटी ने अपनी सफाई में कहा है कि कार्यवाई होगी.

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ताजा जानकारी के मुताबिक, सुपरटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) मोहित अरोड़ा इस मामले में अब रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे. बता दें कि साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन टॉवर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है.

गिराए जाएंगे सुपरटेक के ट्विन टॉवर

दोनों टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स

40-40 मंजिला इन सुपरटेक के टॉवर्स में 1-1 हजार फ्लैट्स हैं. कोर्ट ने कहा कि ये टॉवर्स नियमों की अनदेखी करके बनने दिए गए. कोर्ट ने कहा है कि जिन भी लोगों ने इन सुपरटेक ट्विन टॉवर्स में फ्लैट लिए थे उनको 12 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाई जाएगी. ब्याज जो है वह ब्याज रकम जमा किए जाने के समय से लागू होगा. विशेषज्ञों को देय शुल्क सहित तोड़फोड़ की लागत और सभी प्रासंगिक खर्च सुपरटेक वहन करेगा. तोड़फोड़ का कार्य CBRI (सेंट्रल बिल्डिंग रिचर्स इंस्टिट्यूट) के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा. अगर CBRI ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो नोएडा अथॉरिटी एक अन्य विशेषज्ञ एजेंसी को नामित करेगी. कहा गया है कि टॉवर्स को तोड़ते वक्त अन्य बिल्डिंग्स को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह ने इस मामले (Noida emerald court demolition case) की सुनवाई की.

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कोर्ट ने कहा - टॉवर्स मिलीभगत का नतीजा

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फ्लैट्स बिल्डर और नोएडा अथॉरिटी की 'नापाक' मिलीभगत की वजह से बने, जिनकी मंजूरी योजना का RWA तक को नहीं पता था. कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के T16 और T 17 टॉवर्स को बनाने से पहले फ्लैट मालिक और RWA की मंजूरी ली जानी जरूरी थी. साथ ही जब इस नोटिस निकाला गया कि न्यूनतम दूरी की आवश्यकताओं के नियम को तोड़ा गया है तो भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. कोर्ट ने माना कि बिल्डर ने मंजूरी मिलने से पहले ही काम शुरू कर दिया था, लेकिन फिर भी नोएडा अथॉरिटी ने कोई एक्शन नहीं लिया. 

कोर्ट ने कहा कि बिल्डर और अथॉरिटी में साठगांठ थी. कहा गया, 'प्रक्रिया के हर स्तर पर भ्रष्टाचार था. शहर में रिहायश की जरूरत है लेकिन पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर यह होना चाहिए.'

 

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