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15 दिन बाद थमा पासपोर्ट विवाद, तन्वी-अनस को क्लीन चिट, विकास ने लांघी थीं सीमाएं

स्थानीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने बताया कि तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट जारी कर दिये गये हैं. विदेश मंत्रालय के जून 2018 के नियमों के मुताबिक पुलिस रिपोर्ट में 6 अहम बिंदुओं में अगर आवेदक पर कोई आपराधिक केस नहीं है और उसकी नागरिकता पर कोई विवाद नहीं है तो पासपोर्ट नहीं रोका जा सकता.

अनस और तन्वी सेठ अनस और तन्वी सेठ
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST

लखनऊ में तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट विवाद का अब अंत हो गया है. क्षेत्रीय कार्यालय ने बुधवार को दंपति को पासपोर्ट जारी कर दिए गए. पिछले करीब 15 दिनों से सोशल मीडिया से लेकर खबरों में इस विवाद पर काफी चर्चा हुई, यहां तक कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी इस मामले में ट्विटर पर ट्रोल किया गया.

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स्थानीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने बताया कि तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट जारी कर दिये गये हैं. विदेश मंत्रालय के जून 2018 के नियमों के अनुसार पुलिस रिपोर्ट में 6 अहम बिंदुओं में अगर आवेदक पर कोई आपराधिक केस नहीं है और उसकी नागरिकता पर कोई विवाद नहीं है तो पासपोर्ट नहीं रोका जा सकता. इसी आधार पर तन्वी और अनस को पासपोर्ट जारी किया गया है.

सरकार की एक आंतरिक जांच में पाया गया है कि दस्तावेज के लिए कार्यालय में अपना आवेदन देने गए हिन्दू-मुस्लिम दंपति से धर्म के बारे में अप्रासंगिक सवाल पूछने वाला लखनऊ का पासपोर्ट अधिकारी गलत था. सूत्रों ने बताया कि पासपोर्ट जारी करने के लिए जरूरी सत्यापन प्रक्रिया के समय उनके आवास और अन्य अप्रासंगिक ब्यौरा जुटाने में उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी गलती की.

पूछ गए थे गैर जरूरी सवाल

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जानकारी के मुताबिक तन्वी सेठ से पूछताछ करने वाले पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र का मैरिज सर्टिफिकेट मांगना भी गलत था. नियमों के मुताबिक अन्य दस्तावेजों के सही पाए जाने पर पासपोर्ट के लिए इस सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं पड़ती है. एक बार पुलिस सत्यापन के बाद पासपोर्ट जारी कर दिया जाता है और दोबारा सत्यापन की जरुरत सिर्फ आपराधिक रिकॉर्ड और नागरिकता संबंधी दिक्कतों के बाद ही होती है.

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में दंपती के खिलाफ ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं था इसी वजह से पासपोर्ट के लिए दोबारा पुलिस सत्यापन की कोई जरुरत नहीं थी. बताया गया है कि विकास मिश्र की तैनाती गोरखपुर में रुटीन ट्रांसफर के तहत की गई है और उन्हें सस्पेंड नहीं किया गया है.

क्या है मामला

तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी ने पासपोर्ट अधिकारी पर धर्म के नाम पर अपमानित करने का आरोप लगाया था. विवाद के तूल पकड़ने के बाद आनन-फानन में तन्वी का पासपोर्ट उन्हें दे दिया गया था. पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र ने तन्वी सेठ की शादी के बाद नाम बदल कर सादिया अनस रखे जाने और बदले नाम के कॉलम को खाली छोड़ दिए जाने पर तन्वी से सवाल पूछे थे.

साथ ही नोएडा में रहते हुए लखनऊ का पता देने पर पूछताछ की थी. इस मामले को तूल पकड़ते ही पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र का लखनऊ से गोरखपुर का तबादला तक कर दिया गया. बता दें कि मोहम्मद अनस सिद्दीकी और उनकी पत्नी तन्वी सेठ ने 2007 में शादी की थी और उन्होंने लखनऊ में पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था.

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ट्रोल्स के निशाने पर सुषमा

मामले के बाद से ही ट्विटर पर एक धड़ा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को निशाना बनाने में लगे हुए हैं. सुषमा स्वराज को लेकर कई तरह के ट्वीट किए गए, कुछ में भद्दी भाषा का प्रयोग किया जा रहा है तो कुछ ऐसे हैं जिनपर बात करना भी उचित नहीं होगा. लेकिन इस बीच सुषमा ने बड़ी ही दिलेरी से इन ट्रोलर्स का सामना किया और खुद ही इनका स्वागत कर दिया. विवाद के बढ़ता देख 10 दिन बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सुषमा स्वराज का बचाव भी किया.

 

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