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BHU में प्रोफेसर ने छात्रों से बनवाए गोबर के उपले, गिनाए फायदे, वीडियो वायरल

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी इन दिनों सुर्खियों में है. वह भी गोबर के उपले बनाने की ट्रेनिंग देने वाले एक वीडियो को लेकर. जिसमें सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा छात्रों को गोबर से उपले बनाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं और उसके फायदे भी गिना रहे हैं.

गोबर के उपले बनाते छात्र (Photo: Twitter/@koushalbhu) गोबर के उपले बनाते छात्र (Photo: Twitter/@koushalbhu)
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 06 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST
  • बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में दी गई उपले बनाने की ट्रेनिंग
  • प्रोफेसर मिश्रा ने छात्रों को ट्रेनिंग देकर गिनाए इसके फायदे

आपको ये जानकर हैरानी होगी लेकिन, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में गोबर के उपले बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. 4 फरवरी को विश्वविद्यालय के सामाजिक संकाय विभाग के अंतर्गत आने वाले समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने छात्रों को उपले बनाने की ट्रेनिंग दी. यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ. वीडियो देखते ही लोग हैरत में पड़ गए कि यहां ऐसा भी कुछ हो सकता है क्या?

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विश्वविद्यालय की तरफ से इसे लेकर एक प्रेस रिलीज भी जारी की गई. प्रेस रिलीज में लिखा था कि समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा के द्वारा उपले बनाने की ट्रेनिंग विद्यार्थियों को दी गई. उपले बनाने में गाय का गोबर प्रयोग में लाया गया. इन उपलों का प्रयोग हवन, पूजन, एवं  रसोई घर इत्यादि में किया जा सकता है. इस अवसर पर संकाय प्रमुख ने प्रशिक्षण उपरांत छात्रों से उपले बनवाए.

संकाय प्रमुख ने भारत सरकार से निवेदन किया है कि भारतीय नस्लों के गायों के पालन हेतु किसान भाइयों को आर्थिक सहायता तथा गाय आधारित उत्पादों के लिए उपयुक्त बाजार उपलब्ध कराएं.  इससे उनकी आमदनी में वृद्धि हो सकती है.

इस अवसर पर डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय ने दो दिन पहले आयोजित कार्यशाला के दौरान छात्रों के द्वारा तैयार गौ आधारित उत्पादों से निर्मित जीवामृत, तकरासो, घन जीवामृत इत्यादि के बारे में संकाय प्रमुख को अवगत कराया. संकाय प्रमुख ने निर्देशित किया है कि एक स्टार्टअप के माध्यम से समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र के डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में कंपनी बनाकर गांव आधारित उत्पादों को बाजार में उतारा जाए.

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