
कोरोना महामारी के तांडव के आगे मनुष्य पूरी तरह बेबस हो गया है. परिवार के परिवार उजड़ रहे हैं, मां-बाप अपने बच्चों को खो रहे हैं, तो बच्चे भी अनाथ हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मेरठ में इस महामारी ने एक और रौद्र रूप दिखाया है. यहां पर दो जुड़वा भाइयों का कोरोना के कारण निधन हो गया. जो भाई साथ पैदा हुए, उन दोनों को इस महामारी ने एक साथ लील भी लिया.
मेरठ में रहने वाले ग्रेगरी रेमंड राफेल के दोनों बेटे इंजीनियर थे, नाम था जोफ्रेड वर्गीज ग्रेगरी और जोएफ्रेड जॉर्ज ग्रेगरी. इसी 23 अप्रैल को दोनों ने अपना 24वां जन्मदिन मनाया था, लेकिन किसे मालूम था ये आखिरी जश्न होगा. जन्मदिन के अगले दिन ही वो कोरोना का शिकार हो गए और अब 13, 14 मई को दोनों भाइयों ने दम तोड़ दिया.
जुड़वा भाइयों के पिता ग्रेगरी रेमंड राफेल का कहना है कि उनका परिवार इस घटना से टूट गया है, अब हम सिर्फ तीन लोग ही परिवार में बचे हैं. ग्रेगरी ने बताया कि दोनों बेटे 10 मई को कोरोना नेगेटिव हो गए थे. दोनों ही होनहार थे और कंप्यूटर इंजीनियर थे. लेकिन, 10 मई के बाद फिर तबीयत बिगड़ी और 13, 14 मई को दोनों बेटों का निधन हो गया.
ग्रेगरी रेमंड ने बताया कि वो और उनकी पत्नी सेंट थॉमस स्कूल में पढ़ाते हैं. उनके दोनों बेटों ने बी-टेक की पढ़ाई की, जिसके बाद अच्छी कंपनियों में दोनों की नौकरी लग गई. दोनों बेटों के जन्म में सिर्फ तीन मिनट का अंतर था, जिनमें राल्फ्रेड छोटा भाई था. लेकिन अब कोरोना महामारी ने दोनों जुड़वा भाइयों को परिवार से छीन लिया है.
कब खराब हुई थी तबीयत?
ग्रेगरी रेमंड बताते हैं कि उनका एक और बेटा नेल्फ्रेड राफेल ग्रेगरी भी है, जो इन जुड़वा भाइयों से पांच साल बड़ा है. वो भी बाहर किसी शहर में नौकरी करता है. लेकिन आजकल तीनों भाई मेरठ में ही रह कर ‘वर्क फ्रॉम होम’ कर रहे थे.
23 अप्रैल को जोएफ्रेड और राल्फ्रेड का जन्मदिन मनाया गया. लेकिन अगले दिन ही दोनों भाइयों को बुखार हो गया. कोरोना जैसे लक्षण होने की वजह से परिवार ने सारी एहतियात बरतते हुए घर पर ही इलाज शुरू कर दिया. 1 मई को जोएफ्रेड और राल्फ्रेड की तबीयत अधिक खराब होने के बाद दोनों को आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया.
क्या बताया इलाज करने वाले डॉक्टर ने?
आनंद अस्पताल के इंचार्ज डॉ सुभाष यादव बताते हैं कि इन दोनों भाइयों का 24 अप्रैल को RT-PCR टेस्ट कराया गया था. 26 अप्रैल को दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. पहले घर पर ही आइसोलेशन में इनका इलाज हुआ. लेकिन तबीयत खराब होने के बाद दोनों को 1 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इन्हें जो अच्छे से अच्छा इलाज मुमकिन था वो दिया गया.
डॉक्टर के मुताबिक, बीच में इन्होंने अच्छा रिस्पॉन्स भी दिखाया. लेकिन जब इनका सीटी स्कैन कराया गया तो दोनों भाइयों के फेफड़ों में बहुत ज्यादा संक्रमण फैला दिखा. 13 मई को जोएफ्रेड को बचाया नहीं जा सका. ये बात छोटे भाई राल्फ्रेड को भी पता चल गई थी. 14 मई को राल्फ्रेड भी दुनिया से अलविदा कह गया. डॉ. यादव के मुताबिक सुनने में आया था कि ये दोनों केरल में किसी मैरिज पार्टी में हिस्सा लेकर लौटे थे.
'बचपन से ही हर काम साथ हुआ'
आपको बता दें कि ये परिवार मेरठ के कैंट एरिया में रहता है. जोएफ्रेड और राल्फ्रेड को नम आखों से याद करते हुए पिता ग्रेगरी रेमंड बताते हैं कि इनका बचपन से ही हर काम साथ हुआ. दोनों ने ही कोयम्बटूर की करुणया यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. दोनों को कॉलेज में कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए ही अच्छी कंपनियों में जॉब मिले.
जोएफ्रेड हैदराबाद स्थित एसेंचर में और राल्फ्रेड स्थित हुंडई मोबिस कंपनी में जॉब कर रहे थे. 13 मई को जोएफ्रेड के दुनिया से अलविदा कहने के बाद पिता को राल्फ्रेड को लेकर चिंता बढ़ गई. उनकी बस यही प्रार्थना थी कि जुड़वा भाईयों का हर काम साथ हुआ, लेकिन इस बार ऐसा न हो. लेकिन राल्फ्रेड भी 14 मई को उन्हें हमेशा के लिए छोड़ कर चला गया.
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर बहुत घातक हो गई है, इसने बड़े शहरों के अलावा अह छोटे शहरों, गांवों में भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य व्यवस्था पहले ही दम तोड़ चुकी है और कोरोना महामारी अपना असर दिखा रही है.