
उत्तर प्रदेश की 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. विधायकों की संख्या के आधार पर 7 सीटें बीजेपी और 3 सीटें सपा को मिलनी तय है, जबकि एक सीट के लिए दोनों ही दलों के बीच जोर आजमाइश होगी. 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने कोटे से आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का कदम उठा सकते हैं, वहीं एक सीट पर किसी मुस्लिम को प्रत्याशी बना सकते हैं.
अखिलेश-जयंत ने मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. सपा-आरएलडी गठबंधन भले ही बीजेपी को सत्ता में आने से नहीं रोक सका, लेकिन जयंत चौधरी के 9 विधायक जीतने में सफल रहे. जयंत चौधरी 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बाहर हैं. आठ साल के बाद उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरण ऐसे बने हैं, जिसके तहत जयंत चौधरी के राज्यसभा पहुंचने की संभावना बन रही है.
सूत्रों की मानें तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी जयंत चौधरी को सपा कोटे की तीन राज्यसभा सीटों में से एक सीट पर भेजने के मूड में हैं, लेकिन दिक्कत 2024 का लोकसभा चुनाव की है. सपा की मंशा है कि अगर जयंत चौधरी खुद राज्यसभा जाने का फैसला करते हैं तो फिर उन्हें 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. ऐसे में जयंत चौधरी को इस दिशा में अपना फैसला करना होगा कि राज्यसभा खुद जाते हैं या फिर अपनी पत्नी को भेजते हैं.
यूपी में राज्यसभा की जिन 11 सीटों पर 10 जून को चुनाव होने हैं, उसमें सपा के रेवती रमण सिंह, विशंभर प्रसाद निषाद और सुखराम सिंह यादव का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने तीनों ही राज्यसभा सदस्यों को दोबारा से भेजने के मूड में नहीं है. ऐसे में सपा अपने पुराने नेताओं की जगह नए चेहरों को भेजने के लिए मंथन कर रही है.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह के करीबी माने जाने वाले सुखराम सिंह यादव की इन दिनों बीजेपी से नजदीकी बढ़ रही हैं और उनके बेटे मोहित यादव बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सुखराम यादव का अब सपा से राज्यसभा में जाना नामुमकिन है. सपा के दिग्गज नेता रेवती रमण सिंह काफी उम्रदराज हो चुके हैं और ठाकुर समुदाय से आते हैं. अखिलेश की नई सपा में ठाकुर समुदाय के नेताओं को खास तवज्जे नहीं मिल रही है, ऐसे में उनके राज्यसभा जाने पर संदेह है.
अब बात विशंभर प्रसाद निषाद की, जिन्हें सपा दो बार राज्यसभा भेज चुकी है. 2022 के चुनाव में फतेहपुर की अयाह शाह विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे, लेकिन जीत नहीं सके. ऐसे में सपा ने अपने पुराने नेताओं की जगह पर नए चेहरों को उतराने की कवायद में है, जिसके लिए सियासी जोड़तोड़ भी शुरू हो गई है.
अखिलेश यादव की नजर 2024 के चुनाव पर है, जिसके लिहाज से वो राज्यसभा के लिए उम्मीदवार उतारना चाहते हैं ताकि सियासी समीकरण उनके पक्ष में हो सके. ऐसे में सपा अपने कोटे से एक राज्यसभा सीट जहां आरएलडी चीफ जयंत चौधरी को देना चाहती है तो बाकी बची दो सीटों पर एक पर मुस्लिम और दूसरे पर किसी ओबीसी नेता को भेजने का प्लान है. एक सीट जयंत चौधरी को देकर 2024 के चुनाव में आरएलडी के साथ दोस्ती को मजबूती देने का प्लान है.
यूपी के 2022 चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने सपा के पक्ष में एकजुट होकर वोट दिया था, लेकिन हाल में अखिलेश यादव पर मुस्लिमों को उपेक्षित करने का आरोप लग रहा. वहीं, राज्यसभा में सपा कोटे से फिलहाल कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, जिसे देखते हुए अखिलेश यादव किसी मुस्लिम को प्रत्याशी बना सकते हैं. इसके अलावा दूसरी राज्यसभा सीट पर किसी ओबीसी चेहरे को भेजने की रणनीति है.