Advertisement

लखनऊ: ऑक्सीजन तो आई, लेकिन रीफिलिंग के लिए उपकरण नहीं, प्लांट के बाहर लंबी लाइन

यूं तो लखनऊ में 73 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आ चुकी है लेकिन टैंकर और बड़े कैप्सूल्स में आई इस ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करने का औजार नहीं आए. जिसका नतीजा ये है 24 घंटे से ज्यादा तो ऑक्सीजन से भरे सिलेंडर रिफीलिंग प्लांट के बाहर खड़े रहे.

लखनऊ में ऑक्सीजन के लिए अब भी मारामारी जारी है. (फाइल फोटो) लखनऊ में ऑक्सीजन के लिए अब भी मारामारी जारी है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 06 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:46 AM IST
  • रिफिलिंग का औजार ना होने से बढ़ा इंतजार
  • ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लोगों की लंबी लाइन

कोरोना संकट के बीच देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन की किल्लत के मामले सामने आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी अब भी जारी है. सरकार ने ऑक्सीजन सिलेंडर तो मंगवा लिया है लेकिन रिफिल करने वाले उपकरणों की गैरमौजूदगी के चलते टैंकर ऑक्सीजन प्लांट के बाहर खड़े हैं. लोग एक-एक सिलेंडर पाने के लिए 3-3 दिन से इंतजार कर रहे हैं.

Advertisement

ऑक्सीजन प्लांट के बाहर आशीष नाम का एक शख्स बीते 3 दिनों से ऑक्सीजन पाने के लिए इंतजार कर रहा है. थक हार कर आशीष सिलिंडर के ऊपर ही लेट गया. रायबरेली में आशीष के पिता होम आइसोलेशन में है. उनको ऑक्सीजन की जरूरत है.

 रायबरेली में ऑक्सीजन नहीं मिली तो वह सिलेंडर भराने के लिए लखनऊ आ गया लेकिन लखनऊ में भी 3 दिनों से वो यूं ही इंतजार कर रहा है. वो कभी बक्शी तालाब के आरके ऑक्सीजन प्लांट पर पहुंचता है तो कभी अवध ऑक्सीजन प्लांट पर लेकिन कहीं भी उसको ऑक्सीजन नहीं मिल पाई है. उसे उम्मीद है कि लंबे इंतजार के बाद उसका नंबर जरूर आ जाएगा.

कुछ ऐसा ही इंतजार लखनऊ के रानीगंज से आई खुशबू को करना पड़ रहा है. खुशबू की मां घर में बीमार पड़ी हैं. उनको डॉक्टर ने ऑक्सीजन देने को कहा है लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर के इंतजार में कभी खुशबू तो कभी खुशबू का भाई इंतजार कर रहा है. 3 दिनों से खुशबू भी अवध ऑक्सीजन प्लांट पर सिलेंडर भरवाने के लिए लाइन में खड़ी होती हैं.

Advertisement

दरअसल इस किल्लत की वजह लापरवाही है. यूं तो लखनऊ में 73 मेट्रिक टन ऑक्सीजन आ चुकी है लेकिन टैंकर और बड़े कैप्सूल्स में आई इस ऑक्सीजन सिलेंडर को रीफिल करने का औजार नहीं आए. जिसका नतीजा है 24 घंटे से ज्यादा तो ऑक्सीजन से भरे सिलेंडर रीफिलिंग प्लांट के बाहर खड़े रहे और अब किसी तरह से देसी कारीगरों की मदद से रीफिलिंग करने का जुगाड़ किया गया है. हालांकि ऐसा जुगाड़ खतरनाक हो सकता है.

(संतोष कुमार के इनपुट्स के साथ)

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement