
यूपी विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन में बुधवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच तीखी बहस हुई. मामला इतना बढ़ गया कि वहां मौजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बीच-बचाव करना पड़ा. इसके बाद से ही इस पर दोनों पक्षों की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
बीजेपी ने विधानसभा में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर अखिलेश यादव की निंदा की. सवाल यह उठता है कि क्या उपमुख्यमंत्री के ऊपर अखिलेश की खराब प्रतिक्रिया चुनाव में हार की हताशा को दर्शाती है और भविष्य में सहयोगी दलों के साथ सपा की राजनीति कैसी होगी.
यादव बनाम कुर्मी की लड़ाई
गौरतलब है कि यूपी की राजनीति में यादव बनाम कुर्मी समाज में इस बयान का असर जरूर होगा. राजनीतिक नेता बड़ी विनम्रता से पूछ रहे हैं कि जिस तरह अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य को तुम, तुम्हारे पिता, चल हट, चल हट कहा था. क्या योगी आदित्यनाथ के खिलाफ वही जुबान और रवैया अपनाएंगे. आदित्यनाथ नहीं तो क्या ब्रजेश पाठक के खिलाफ कोशिश करेंगे? कुछ लोगों को तो ऐसा लग रहा है कि माहौल की तपिश में अखिलेश के मुंह से ऐसा निकला होगा. नेताओं के साथ ऐसा होता है, लेकिन सोशल मीडिया में ऐसे लोग ज्यादा हैं, जो अनजाने में मुंह से निकले अपशब्दों का पूरी मेहनत से बचाव करते हैं.
अखिलेश खो रहे हैं अपनी छवि
बीजेपी की ओर से यह भी कहा गया था कि अगर सपा सत्ता में आई तो 'गुंडागर्दी' बढ़ेगी. इस सपा विरोधी इस बयान का सबसे बड़ा मारक अखिलेश यादव की सौम्य और सभ्य हंसमुख छवि थी, जिसे बुधवार को एक बड़ा झटका लगा है. अखिलेश खुद यही रवैया अपनाते नजर आए. देखना होगा कि अखिलेश यादव अपने नए तेवर पर कबतक कायम हैं.
चुनाव में हताशा से ऐसा व्यवहार: केशव
दूसरी ओर, राजनीतिक रूप से यह कहा गया है कि अखिलेश हाल के यूपी विधानसभा चुनावों में अपनी हताशा के कारण इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. इंडिया टुडे से बात करते हुए डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा कि अखिलेश ने इस टिप्पणी से न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से आहत किया है, बल्कि भाजपा के खिलाफ चुनाव हारने की अपनी हताशा भी दिखाई है. उन्होंने कहा कि लोगों को कदाचार का अहसास है, जिस तरह से सपा कार्यकर्ता सामान्य रूप से व्यवहार करते हैं.
अखिलेश से नाखुश हैं शिवपाल
इसके अलावा गुरुवार को भी अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल यादव ने सदन में कहा कि अगर अखिलेश ने उनका समर्थन लिया होता तो विपक्ष दूसरी तरफ बैठा होता. यह कथन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि शिवपाल और अखिलेश के बीच दरार है. ये दिखाता है कि कि चाचा अभी भी अपने भतीजे से नाखुश हैं और सीएम योगी के लिए अपना सॉफ्ट कॉर्नर दिखा रहे हैं.
शिवपाल को चाचा कहने में क्या आपत्ति: राजभर
सीएम योगी की सदन में शिवपाल की तारीफ पर समाजवादी पार्टी के सहयोगी ओपी राजभर ने कहा कि चाचा बूढ़े हैं तो वह किसी के भी चाचा हो सकते हैं. इसमें क्या आपत्ति है. उन्होंने कहा, जहां तक 100 टिकट देने की बात है तो समय बीत चुका है. अब हमें आगे देखना है.
मुद्दों से ध्यान भटका रही बीजेपी: अखिलेश
केशव प्रसाद के मुद्दे पर इंडिया टुडे से बात करते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है और अनावश्यक मुद्दों पर बात कर रही है. उन्होंने कहा कि बजट सरकार का है और कोई भी उपमुख्यमंत्री से सदन में यह नहीं कह रहा है कि पिता की जमीन बेचकर निवेश किया गया है.
अखिलेश के लिए 2024 में चुनौती
सदन में अखिलेश और केशव मौर्य के बीच हुई इस घटना के बाद अब यूपी में ओबीसी राजनीति में सरगर्मी तेज कर दी है. इसके अलावा इन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर अपने लक्ष्य के साथ आने वाले दिनों में अपनी प्राथमिकताएं भी स्पष्ट कर दी हैं. यदि ऐसा ही जाति-आधारित नजरिया जारी रहता है तो अखिलेश के लिए सभी ओबीसी नेताओं और सहयोगी दलों को एकजुट करना चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि 2024 की लोकसभा की लड़ाई से पहले यह उनके खिलाफ जाने की संभावना है.