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टूटते टूटते बन गई बात! सपा और आरएलडी में हुआ समझौता

आज के समझौते से कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि कांग्रेस ने आरएलडी के उम्मीदवार को कैराना में समर्थन देने का ऐलान किया था अब आरएलडी ने कैराना खुद ही सपा के लिए छोड़ दिया है, ऐसे में कांग्रेस के लिए हालात शर्मिंदगी के हो गए हैं.

अखिलेश यादव, फाइल अखिलेश यादव, फाइल
नंदलाल शर्मा/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ ,
  • 05 मई 2018,
  • अपडेटेड 4:52 AM IST

कैराना और नूरपुर उपचुनाव में अलग होते होते आखिर में समाजवादी पार्टी और आरएलडी एक हो ही गए. सूत्रों की माने तो आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर समझौता हो गया है और उपचुनाव में सीट भी बंट गई है.

अखिलेश यादव से मिलने जब जयंत चौधरी उनके घर पहुंचे तभी इस बात के कयास लगने शुरू हो गए थे कि इस उपचुनाव में दोनों के बीच कोई ना कोई समझौता होने जा रहा है, आरएलडी जयंत चौधरी के लिए कैराना सीट मांग रही थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने यह ऐलान कर दिया था कि वह ना सिर्फ कैराना बल्कि नूरपुर में भी अपना उम्मीदवार देगी.

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आरएलडी ने कैराना सीट पर छोड़ा दावा

इन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन लगभग टूट के कगार पर था, लेकिन दोनों ने अपने हित में आखिरकार फैसला लिया और सूत्रों के मुताबिक दोनों एक-एक सीट का बंटवारा कर लिया. आरएलडी ने कैराना संसदीय सीट पर अपना दावा छोड़ दिया तो इसके बदले में समाजवादी पार्टी ने नूरपुर विधानसभा सीट आरएलडी के लिए छोड़ दी. हालांकि दोनों ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन सीटों की दावेदारी तय कर दी है.

कांग्रेस के लिए शर्मिंदगी के हुए हालात

आज के समझौते से कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई है क्योंकि कांग्रेस ने आरएलडी के उम्मीदवार को कैराना में समर्थन देने का ऐलान किया था अब आरएलडी ने कैराना खुद ही सपा के लिए छोड़ दिया है, ऐसे में कांग्रेस के लिए हालात शर्मिंदगी के हो गए हैं. अब कांग्रेस के लिए सपा को समर्थन देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा. अब देखना यह है कि कांग्रेस क्या फैसला करती है.

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मायावती के इशारे पर हुई अखिलेश-जयंत की मुलाकात

मायावती ने कैराना में चुनाव न लड़ने की बात पहले कह दी थी, साथ ही किसी को समर्थन नहीं करने की भी बात कही है. बावजूद इसके अंदरूनी सूत्रों की माने तो बीएसपी की मुहर लगने के बाद ही अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई है और मायावती का परोक्ष समर्थन माना जा रहा है.

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