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अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं अखिलेश, कलह से VIDEO रहा बेअसर

भले ही मुलायम सिंह यादव यह कह रहे हो कि समाजवादी पार्टी का मुख्यमंत्री जीतकर आए हुए विधायक तय करेंगे, अखिलेश यादव पार्टी और परिवार में मचे घमासान के बीच अकेले अपने रास्ते पर आगे बढ़ने की ठान चुके हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
सबा नाज़/बालकृष्ण
  • लखनऊ,
  • 27 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

भले ही मुलायम सिंह यादव यह कह रहे हो कि समाजवादी पार्टी का मुख्यमंत्री जीतकर आए हुए विधायक तय करेंगे, अखिलेश यादव पार्टी और परिवार में मचे घमासान के बीच अकेले अपने रास्ते पर आगे बढ़ने की ठान चुके हैं.

अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार के लिए जो वीडियो बनकर तैयार हुआ है वो साफ दिखाता है कि अखिलेश यादव मुलायम सिंह की छाया से निकलकर सिर्फ अपनी छवि और अपने काम के दम पर लोगों से वोट मांगना चाहते हैं.

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मुंबई में तैयार किए गए इस शानदार वीडियो में सिर्फ और सिर्फ अखिलेश यादव ही दिखते हैं. ना तो कहीं मुलायम सिंह यादव है ना कहीं पार्टी. शिवपाल यादव के होने का तो खैर सवाल ही नहीं उठता. वीडियो की शुरुआत अखिलेश यादव के चेहरे से होती है जिस पर यह प्रण लिखा है कि वह हर दिन अपने आपको उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए समर्पित करते हैं.

वीडियो की शुरुआत जिस शॉट से होती है उसमें अखिलेश यादव अपने परिवार के साथ सुबह घर पर नाश्ता कर रहे हैं. और फिर वो निकल पड़ते हैं- उत्तर प्रदेश में लोगों के बीच. यानी पूरे प्रदेश को वह अपना विस्तृत परिवार ही मानते हैं. उसके बाद अखिलेश यादव लोगों से मिलते हुए और अपने दफ्तर में बैठकर मीटिंग करते हुए और अधिकारियों को निर्देश देते हुए दिखाई पड़ते हैं.

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बना चुके हैं अलग पहचान
संदेश साफ है कि अखिलेश यादव अब सिर्फ मुलायम सिंह के बेटे नहीं हैं बल्कि वो अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. वीडियो यह भी दिखाता है कि कैसे पार्टी और सरकार चलाने का अखिलेश यादव का तरीका मुलायम सिंह के जमाने से बिल्कुल जुदा है. मुलायम सिंह को अंग्रेजी और कंप्यूटर के विरोध के लिए जाना जाता था. उनकी सोच थी कि ये चीजें पार्टी को आम लोगों से अलग कर देगी. लेकिन अखिलेश यादव अपने शानदार दफ्तर में आराम से बैठे हुए दिखते हैं. मर्सिडीज में चलते हैं और भव्य दिखने में उन्हें कोई परहेज नहीं है.

इनकी है बोलती बंद
वीडियो बनाने के लिए स्पेशल कैमरे से बेहतरीन शॉट लिए गए हैं, एरियल शॉट्स के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल हुआ है और इसकी एडिटिंग के लिए मुंबई की एजेंसी को जिम्मा सौंपा गया. इससे मुलायम और पार्टी के बिल्कुल गायब होने से पार्टी के लोग हैरान हैं और उनकी बोलती बंद है.

साइकिल तो बनती ही है
पार्टी के प्रवक्ता मोहम्मद शाहिद भी कहते हैं की ऐड फिल्म में कम से कम साइकिल तो दिखनी ही चाहिए थी. समाजवादी पार्टी को गांव की पार्टी और मुलायम सिंह यादव को धरती पुत्र कहा जाता है. लेकिन अखिलेश यादव की फिल्म में चमकते-दमकते शहर देखते हैं. बात बिल्कुल साफ है कि अखिलेश यादव उन युवाओं के बीच में अपनी लोकप्रियता को भुनाना चाहते हैं जो टीवी देखते हैं, मोबाइल इस्तेमाल करते हैं और जिनकी आंखों में भविष्य को लेकर सपने हैं.

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पिछली बार पार्टी के भीतर विरोध के बावजूद अखिलेश यादव ने मुफ्त लैपटॉप देने की घोषणा की थी और इस बार वो एक कदम आगे बढ़कर सरकार में आने पर मोबाइल देने की बात कर रहे हैं. इसमें संगीत के नाम पर किसी जिंगल या गाने के बजाय एक ऐसी धुन का इस्तेमाल किया गया है जो युद्ध में जाने से पहले के माहौल का अहसास कराता है.

समाजवादी पार्टी की ताकत के पीछे यादव और मुस्लिम वोटबैंक को माना जाता है. लेकिन ऐड फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जो पार्टी की इस पहचान की याद दिलाए. यानी अखिलेश यादव धरती पुत्र मुलायम सिंह के बेटे कहलाने के बजाय एक्सप्रेसवे और मेट्रो के जरिए अपना नया रास्ता खुद बनाना चाहते हैं.

नायक रहेंगे हमेशा
वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल कहते हैं कि पूरी फिल्म इस तरह से तैयार की गई है कि नायक के तौर पर हमेशा अखिलेश यादव ही सामने दिखें चाहे वह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हों या पार्टी दो फाड़ हो जाए तब भी. अखिलेश यादव को अपनी फिल्म में शुरू और अंत में बस नई पार्टी का नाम भर लिखना होगा और हर हालत में प्रचार के मामले में उनकी तैयारी पूरी होगी.

ये है संदेश
परिवार में मचे घमासान के बीच अखिलेश यादव को एक मिलनसार पारिवारिक व्यक्ति के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई है. फिल्म के अंत में अखिलेश यादव अपने बच्चों के बुलाने पर दफ्तर से निकल कर उनके साथ खेलने चले जाते हैं. संदेश बिल्कुल साफ है कि अगर घर परिवार में कुछ गड़बड़ है भी तो उसके लिए अखिलेश यादव जिम्मेदार नहीं हैं.

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