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चार साल-चार फैसले, जिनके चलते सीएम योगी बने बीजेपी सरकारों के लिए रोल मॉडल

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के फैसले बीजेपी के उन राज्यों के लिए भी नजीर बन रहे हैं जहां बीजेपी शासित सरकारों का दूसरा या तीसरा कार्यकाल चल रहा है. यूपी के लव जिहाद, गोहत्या, प्रदर्शनकारियों पर सख्ती जैसे कई मामले हैं, जिसे देश के दूसरे बीजेपी शासित राज्य अपनाते नजर आ रहे हैं. 

सीएम योगी आदित्यनाथ और मनोहर लाल खट्टर सीएम योगी आदित्यनाथ और मनोहर लाल खट्टर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 19 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST
  • लव जिहाद कानून को एमपी और कर्नाटक ने अपनाया
  • प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए योगी ने कानून बनाया
  • योगी के गोहत्या कानून को कई राज्यों ने अपनाया

उत्तर प्रदेश की सत्ता पर आसीन हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शुक्रवार को चार साल पूरे हो गए हैं. सीएम योगी अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के लिए बीजेपी शासित तमाम राज्यों के लिए एक रोल मॉडल बनते जा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ के फैसले बीजेपी के उन राज्यों के लिए भी नजीर बन रहे हैं जहां बीजेपी शासित सरकारों का दूसरा या तीसरा कार्यकाल चल रहा है. यूपी के लव जिहाद, गोहत्या, प्रदर्शनकारियों पर सख्ती जैसे कई मामले हैं, जिसे देश के दूसरे बीजेपी शासित राज्य अपनाते नजर आ रहे हैं. 

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1. धर्मांतरण विरोधी कानून
योगी आदित्यनाथ सरकार जबरन होने वाले धर्मांतरण के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्मांतरण प्रतिषेध अध्यादेश-2020 लेकर आई है. ये 'लव जिहाद कानून' के तौर पर ज्यादा प्रचारित है. इस कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा. इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है. एक तरह से तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहतर सुख-सुविधा का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना अपराध की श्रेणी में आएगा. 

योगी आदित्यनाथ के इस कानून की भले ही कुछ लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन बीजेपी शासित राज्य इसे अपनाने में जुटे हैं. उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मध्य प्रदेश, हिमाचल और कर्नाटक जैसे बीजेपी शासित राज्यों ने इसे अपनाया है. वहीं, हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने लव जिहाद कानून बनाया है, लेकिन बीजेपी की सहयोगी जेजेपी के विरोध के चलते इसे कानूनी अमलीजामा नहीं पहना सकी है. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार से बीजेपी नेता ऐसे ही कानून की मांग उठा रहे हैं. 

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2. गोहत्या विरोधी कानून
योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता पर काबिज होते ही सबसे पहले गोहत्या की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए थे. इस दिशा में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश गोवध निवारण कानून बनाया, जिसके तहते गोहत्या पर 3 से 10 साल की सजा और गोवंश को शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाने पर पौने दो साल की सजा का प्रावधान है. यूपी में तमाम अवैध स्लाटर हाउस बंद कर दिए गए हैं. सीएम योगी गोहत्या कानून का देश के दूसरे राज्यों में बीजेपी की रैली में जाकर प्रचार-प्रसार भी करते हैं. यूपी की तर्ज पर कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार ने भी ऐसा ही कानून बनाया है. हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी गोहत्या के खिलाफ यूपी की तरह सख्त कानून बनाया है जबकि मध्य प्रदेश ने पहले ही ऐसे कानून बना रखी है. बीजेपी नेताओं ने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान गोहत्या के खिलाफ यूपी की तर्ज पर कानून बनाने का वादा किया था. 

3. प्रदर्शनकारियों से हर्जाने से वसूली का कानून
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नागरिकता कानून के विरोध-प्रदर्शन के साथ सख्ती से निपटी थी. विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदर्शनकारियों से वसूली की गई थी. साथ ही उनके पोस्टर भी चौराहों पर चस्पा किए गए थे. वहीं, योगी सरकार ने सूबे आंदोलनकारियों को सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से निपटने के लिए लोक एवं निजी संपत्ति विरूपण निवारण विधेयक-2021 को कानून बनाया. इसके तहत 5000 से एक लाख रुपये तक जुर्माना भरने का प्रावधान रखा है. 

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योगी सरकार की तर्ज पर हरियाणा की खट्टर सरकार भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्ती बरतने के लिए कानून लेकर आई हैं. संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021 के तहत अब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली की जाएगी. वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों से सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान का हर्जाना वसूलने की संभावनाओं पर विचार करें. इसके अलावा मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी भोपाल में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में हर्जाने के लिए कई लोगों को नोटिस भेजा था. 

4. शहरों के नाम बदलने की परंपरा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से कई शहरों के नाम बदले हैं, जिनमें इलाहाबाद को बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद जिला का नाम अयोध्या किया गया है. इतना ही नहीं आगरा के मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम रखा गया है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कई शहरों का नाम बदलने की मांग उठ रही है. मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने भोपाल के ईदगाह हिल्स, इंदौर और होशंगाबाद का नाम बदलने की मांग उठाई थी, जिसे पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने समर्थन करते हुए कहा था कि तथ्य और प्रमाण जिसके पक्ष में होगा वह काम किए जाएंगे. नाम बदलने की जरूरत है. इस तरह बीजेपी शासित राज्यों में यूपी सरकार की तर्ज पर कई काम या तो किए जा रहे हैं या उन पर विचार किया जा रहा है.

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