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योगी की शिक्षा और आवास से जुड़ी RTI का जवाब देने से यूपी सरकार का इनकार

यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा की ओर से दायर की गई आरटीआई पर मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी बसंत कुमार तिवारी द्वारा दिए गए एक जवाब से हुआ है.

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मोहित ग्रोवर
  • लखनऊ,
  • 26 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने मुख्यमंत्री की शैक्षिक योग्यताओं और उनके राजधानी लखनऊ स्थित आधिकारिक आवास से संबंधित सूचनाओं को सूचना के अधिकार के तहत देने से इनकार कर दिया है.

यह खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा की ओर से दायर की गई आरटीआई पर मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी बसंत कुमार तिवारी द्वारा दिए गए एक जवाब से हुआ है.

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न्यूज़ एजेंसी IANS के अनुसार, संजय शर्मा ने बीते साल 5 मई को मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक RTI अर्जी देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कक्षा 8 से आगे की शैक्षिक योग्यताओं के प्रमाणों, योगी के शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री आवास में कराये गए रेनोवेशन वर्क की संस्तुतियों सहित खर्चे, बिजली बिल और नगर निगम लखनऊ के बकाया टैक्स की धनराशि आदि के संबंध में 8 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी.

इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय के जनसूचना अधिकारी बसंत कुमार तिवारी ने बीती 13 फरवरी को संजय को एक पत्र भेजा है, जिसमें प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2 की अधिसूचना दिनांक 3 दिसंबर 2015 की धारा 4(5) की व्यवस्था का जिक्र करते हुए मांगी गई सूचना दो से अधिक लोक प्राधिकरणों गोपन विभाग, राज्य संपत्ति विभाग,ऊर्जा विभाग और नगर विकास विभाग द्वारा धारित होने की बात कही है और सूचना देने से मना कर दिया है.

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आरटीआई एक्सपर्ट संजय का कहना है कि जन सूचना अधिकारी ने गलत आधार लेकर सूचना देने से मना किया है. बकौल संजय उनके द्वारा मांगी गई सूचनाएं मुख्यमंत्री और उनके आवास के आधिकारिक क्रियाकलापों से संबंधित हैं. इसलिए ऐसा माना ही नहीं जा सकता कि किसी सूबे के मुख्यमंत्री कार्यालय को अपने हालिया मुख्यमंत्री की शैक्षिक योग्यताओं, मुख्यमंत्री आवास में कराए गए रेनोवेशन वर्क, बिजली बिल और नगर निगम लखनऊ के बकाया टैक्स की जानकारी ही नहीं हो.

संजय कहते हैं कि सूचना का अधिकार कानून की धारा 4(1)(इ) के तहत यह सभी सूचनाएं स्वत: स्फूर्त रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि वह इस मामले में अपनी आपत्तियां देते हुए एक अपील राज्य सूचना आयोग में डाली है जो आने वाले 5 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी द्वारा सुनी जाएगी.

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